सागर (विश्व परिवार)। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की प्रथम समाधि स्मृति दिवस के एक दिन पूर्व सकल दिगम्बर जैन समाज सागर ने आचार्य गुरुदेव के चरण कमल की शोभायात्रा कटरा जैन मंदिर से प्रारंभ हुई बिजय टॉकीज,माता मढिया,रेलवे ओवरब्रिज, सुभाषनगर होकर भाग्योदय पहुँची जुलूस में उपाध्याय मुनिश्री विरंजन सागर महाराज ससंघ का सान्निध्य प्राप्त हुआ। देवेन्द्र जेना स्टील ने बताया की डोंगरगढ़ समाधि स्थल से 5 अष्टधातु के चरण कमल आए हैं और 21 चरण कमल पत्थर पर बनाए गए हैं। इन सभी को गाड़ियों पर रखकर भाग्योदय तीर्थ ले जाया गया हजारों लोगों ने चरण छूकर मत्था टेका। जुलूस में सैकड़ों पुरुष महिलाएं साथ चल रही थी। जगह जगह चरणों की आरती उतारी गई।
निर्यापक मुनि श्री योग सागर महाराज की उपाध्याय विरंजन सागर महाराज ने चरण वंदना की।
इस अवसर पर उपाध्याय श्री विरंजन सागर महाराज ने कहा कि भाग्योदय का परिसर गुरुदेव के आशीषों से भरा पड़ा है। गुरुदेव भले इस संसार में नहीं हैं लेकिन ऊपर बैठ कर वे सब देख रहे हैं। बिना दिखे भी गुरुदेव दिखाई दे रहे हैं जिस प्रकार पाषाण में भगवान नजर आते हैं उसी प्रकार योग सागर जी की मुद्रा भी आचार्य विद्यासागर जी महाराज की तरह नजर आ रही हैं आचार्य श्री जी ने सागर को बहुत दिया है। यहां कण कण में आचार्य भगवान विराजमान है। सर्वत्रोभद्र जिनालय के संदर्भ में उन्होंने कहा पैसा सबके पास होता है कहां लगाना है कैसे लगाना है यह उसे तय करना होता है। वैसे पैसा तो रावण के पास था। उन्होंने सोने की लंका बनवाई लेकिन वह जलकर राख हो गई। आचार्यश्री ने पैसा लगाने की कला हमें सिखाई है और जिसका पुण्य होगा।उसी का धन जिन मंदिर में लगेगा हजारों साल के लिए बनने वाला यह मंदिर जब बनकर तैयार होगा तो बुन्देलखंड का सबसे बड़ा और अच्छा मंदिर होगा।