डोंगरगढ़ (विश्व परिवार)। “अच्छी जमीन पर यदि एक बीज भी आपने समय पर डाल दिया तो वह समय आने पर कई गुना दाना आपको देता है | उसी प्रकार यदि आपने अपनी आमदनी का एक प्रतिशत भी अच्छे कार्यों में लगा दिया तो वह कई गुना होकर आपको फल प्रदान करता है|” उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी महामुनिराज के समाधिस्थल चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में आयोजित प्रातःकालीन धर्मसभा में व्यक्त किये|”
मुनि श्री ने सम्वोधित करते हुये कहा कि जैसे गृहस्थ जीवन में आप लोग जीवन यापन के लिये प्रतिदिन अर्थ पुरुषार्थ करते है,भोजन करते है,उसी प्रकार एक गृहस्थ को प्रतिदिन षटआवश्यक करने का उपदेश शास्त्रों में उल्लेखित है| मुनि श्री ने रत्नकरंडक श्रावकाचार में आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने लिखा है -“देवपूजा,गुरुपास्थी,स्वाध्याय,संयमस्थतपा,दानंचेती गृहस्थानां षटकर्मानि दिनै दिनै|” इस श्लोक की व्याख्या करते हुये मुनि श्री ने कहा कि जब आप अर्थ पुरुषार्थ और आरंभ – सारंभ के कार्य रोज रोज करते है तो उनको करने से जो पाप उपार्जित होता है उनको घटाने के लिये एक गृहस्थ को षटआवश्यक कर्म- देवपूजा, गुरु की उपासना,शास्त्रों का स्वाध्याय, संयम,तप और दान प्रतिदिन करने को कहा गया है| यहाँ पर आचार्य श्री ने सप्ताह, महिने अथवा वर्ष का उल्लेख नहीं किया है बल्कि षट आवश्यक कर्म को रोज – रोज करने के लिये कहा गया है| आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने साफ – साफ कहा है कि जैसे आप प्रतिदिन साफ सुथरे वस्त्र पहनते है और दिन भर उसका उपयोग होने के पश्चात जब वह वस्त्र गंदे हो जाते है उसमें अशुद्ध और गहरे दाग लग जाते है तो उसको साफ सुथरा करने के लिये जैसे “जल” समर्थ होता है | उससे वह वस्त्र साफ हो जाता है ठीक उसी प्रकार आरंभ – सारंभ से अर्जित पाप को धोने के लिये दान- पूजा सहयोगी एवं समर्थ है| उन्होने कहा कि गृहस्थ आजीविका के उपाय करता है किसी के बड़े उपाय हो जाते है तो किसी के छोटे उपाय रहते है| किसी की आमदनी बहुत अच्छी रहती है तो किसी की कम, किसी को पुरुषार्थ करने के पश्चात भी लाभ नहीं हो पाता, किसी को कम पुरुषार्थ से ही अच्छा लाभ हो जाता है | संसार में यह क्रम तो चलता ही रहता है लेकिन जिसको जो भी आमदनी आ रही है यदि उसमें से आपने एक प्रतिशत भी दान दिया या अच्छे कार्यों तथा शुभ कार्यों में लगा दिया तो वह आपका एक प्रतिशत दान भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। जैसे अच्छी जमीन में एक बीज भी आपने समय पर डाल दिया तो वह जब अंकुरित होकर बड़ा होगा तो उसमें कई गुने दाने अपने आप आ जाते है| उसी प्रकार एक गृहस्थ धर्म में दिये गये दान और की गई पूजा का बहुत महत्व है। मुनि श्री ने कहा कि बड़े – बड़े दान दातारों के दान भी आते है, बड़े बड़े पूजा – विधान करने वालों के दान भी आते है, लेकिन समाज में सभी सामर्थ्यवान नहीं होते जो लोग बड़ा दान नहीं दे पाते लेकिन वह अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करते है तथा उत्साह के साथ कार्यकर्ता के रुप में कार्य करते है तो उनकी भी बड़ी प्रशंसा होती है | उन्होंने जैन परंपरा का इतिहास बताते हुये कहा कि “यदि आपकी सामर्थ नहीं है, फिर भी अपने भावों को अच्छा बनाकर अच्छे कार्य करने वाले की अनुमोदना कर रहे है तो आप भी प्रशंशनीय है|
मुनि श्री ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि मंदिर बनाने वाले, मूर्ती स्थापित करने बाले, जिनवाणी का प्रकाशन कराने वाले,तीर्थों का जीर्णोद्धार कराने वाले, तीर्थंकरों की भूमी को सुरक्षित करने वाले, आहार – विहार में सहयोगी बनने बाले सभी लोगों ने अलग – अलग रहकर के अपनी सेवाएं तथा दान दिया है| इसके कई उदाहरण है और इतिहास भी बहुत बड़ा है, बहुत समृद्ध है| उसी इतिहास की श्रंखला में एक छोटी सी कड़ी बनकर के हम और आप भी यहाँ पर उपस्थित है| मुनि श्री ने कहा कि सभी तीर्थ क्षेत्रों का अपना – अपना अतिशय और नाम है लेकिन छत्तीसगढ़ की “चंद्रगिरी तीर्थ” जिसे आचार्य श्री ने यहाँ पर सर्दी, गर्मी तथा चौमासा किया तथा यह स्थान अपनी सल्लेखना के लिये चुना| अतः यह आचार्य गुरुदेव की निसिद्धिका स्थली है | यहाँ पर लोग पूजा – पाठ और वंदना करने के भाव से लगातार आ रहे है | बड़े – बड़े जन तो बड़ा बड़ा दान कर ही रहे है लेकिन अपने भावों को बड़ा करके जो भी जितना काम कर रहे है अथवा दान दे रहे है उनका काम भी किसी बड़े काम से कम नहीं है| उन्होने उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं क्षेत्रीय प्रचार प्रसार प्रमुख निशांत जैन (निशु) ने बताया प्रातः अभिषेक एवं शांतिधारा के साथ आचार्य गुरूदेव की पूजन एवं चरण पादुका का प्रछाल संपन्न हुआ इस अवसर पर क्षेत्र पर विराजमान मुनि संघ एवं आर्यिका संघ तथा प्रतिभास्थली की बहनें उपस्थित थी। शनिवार 15 फरबरी को प्रातः 8:30 बजे निर्यापक श्रमण वीरसागर महाराज संघ का मंगल प्रवेश चंद्रगिरी तीर्थ पर होगा| उनकी भव्य मंगल अगवानी ग्राम गाजमर्रा से की जाऐगी | इस अवसर पर चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष किशोर जैन, महामंत्री निर्मल जैन, कोषाध्यक्ष सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, अनिल जैन, सप्रेम जैन,विद्यायतन के अध्यक्ष विनोद बडजात्या, निखिल जैन, सोपान जैन, नरेश जैन, अमित जैन, दीपेश जैन आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।