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दुनिया की प्रशंसा और आलोचना दोनों को स्वीकार करे फूलों को खिलने के लिए धूप और बारिश दोनों की जरूरत होती है:- पं. नितिन जैन

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रायपुर(विश्व परिवार)। श्री दिगम्बर जैन खंडेलवाल मंदिर जी, सन्मति नगर, फाफाडीह, रायपुर में पर्वाधिराज दषलक्षण महापर्व के पावन अवसर पर छठे दिन उत्तम संयम धर्म की आराधना की गई। प्रातःकाल भक्तों ने मंदिर जी में इन्द्रों की वेषभूशा में अभिशेक षांतिधारा से लेकर पर्व पूजाएं कर धर्मलाभ लिया।
आज उत्तम सत्य धर्म के दिन श्री महावीर स्वामी के समक्ष मूल वेदी में षांतिधारा का सौभाग्य श्री जिनेन्द्र कुमार-राजश्री जी, जयेष-रिमझिम, जियांष, रायषा पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ।
समिति के अध्यक्ष अरविंद बड़जात्या ने बताया कि शश्ठम दिवस में प्रथम तल में भगवान पार्ष्वनाथ की वेदी पर षांतिधारा का सौभाग्य भगवान पार्ष्वनाथ के सभी भक्तों को सामूहिक रूप से प्राप्त हुआ। भगवान मुनिसुव्रतनाथ की वेदी पर षांतिधारा श्री निलेष जी गर्वित कासलीवाल द्वारा की गई।
संध्या समय श्रीमती उशा लोहाड़िया एवं श्रीमती वर्शा सेठी के निर्देषन में श्रावक प्रतिक्रमण कराया जा रहा है । साथ ही श्रावकों को णमोकार मंत्र के माध्यम से अपना सुरक्षा कवच बनाना भी सिखाया गया।
पूर्व संध्या पर आयोजित षास्त्र सभा में स्थानीय विद्वान पं. नितिन जैन ‘निमित्त’ ने बताया – भारत के सभी संतों ने धर्म का उपदेश देते हुए एक स्वर में यही कहा. ष्असतो मा सद्गमयष् अर्थात् असत्य से मुझे सत्य की ओर ले चलो क्योंकि धर्म सत्य में ही समाहित है। सत्य को भगवान कहा गया है। कहा गया है कि समग्र वेदों का पठन और समस्त तीर्थों का स्नान सत्य के सोलहवें भाग की भी बराबरी नहीं करता। जिन्होंने सत्य का त्याग कर झूठ की शरण ली उन्होंने अपना जन्म जुए में हार दिया है।
आज का व्यक्ति तर्क देता है कि झूठ बोले बिना काम नहीं चलता परन्तु यथार्थता यह है कि व्यवहार में सत्य बोले बिना काम नहीं चलता। यदि कोई एक दिन के लिए सत्य का त्याग करे तो सारा व्यवहार उसका ठप्प हो जाएगा। मान लीजिएए स्टेशन से घर जाना है तो रिक्शे वाले को सही पता बताना होगा। डॉक्टर को सही हाल बताना पड़ेगा। पत्र पर सही पता लिखना पड़ता है। चेक पर सही हस्ताक्षर करने पड़ते हैं। यानी जीवन के प्रत्येक अंश में सत्य पिरोया हुआ ही है। सत्य जीवन का मूल और साधना का प्राण है। इतना जरूर है कि सत्य सदैव कड़वा होता है और सत्य पर चलने वालों की परीक्षा जरूर होती है। सत्य की चुभन बड़ी तीखी है जो तन.मन को घायल कर देती है और सत्य की कसौटी बड़ी कठिन है जो काँटों से जिगर को भर देती है।
लोगों का सोचना यह है कि सच बोलना बड़ा कठिन है पर असलियत तो यह है कि सच बोलना बड़ा सहज है। सच इतना सहज है कि मुँह से सहसा निकल जाता है।
ष्सच मुँह से निकल जाता है कोशिश नहीं करता। शोला है भड़कने की गुजारिश नहीं करता।
❝ सत्य वह दौलत है जिसे पहले खर्च करो और जिंदगी भर आनंद पाओ और झूठ वह कर्ज है जिससे क्षणिक सुख पाओ और जिंदगी भर चुकाते रहो ❞
दुनिया की प्रशंसा और आलोचना दोनों को स्वीकार करे फूलों को खिलने के लिए धूप और बारिश दोनों की जरूरत होती है !! सबसे खराब समय को झेलने वाला सबसे अच्छे भविष्य का निर्माण करता है!

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