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आचार्य श्री ने संघ को गुरुकुल बनाया और आज वे हमारे कुलगुरु बन गए हैं -108 निर्यापक श्रमण श्री समतासागर महाराज जी

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डोंगरगढ़ (विश्व परिवार)| “बारिस की बूंदें भले ही छोटी हों,लेकिन उनका लगातार बरसना नदियों का प्रवाह बन जाता है,उसी प्रकार आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज ने भव्य आत्माओं को आश्रय देकर मोक्ष मार्ग को आगे बड़ाया तथा मुनिओं एवं आर्यिका माताओं का विशाल समूह दुनिया के सामने प्रस्तुत किया” | “आचार्य श्री ने संघ को गुरुकुल बनाया और आज वे हमारे कुलगुरु बन गए हैं” | उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने चंद्रगिरी डोंगरगढ़ तीर्थ पर चल रहे श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में प्रातःकालीन धर्म सभा में समवसरण से संबोधित करते हुये व्यक्त किये।
मुनि श्री ने कहा कि बेगम गंज के युवकों ने अंतरमति माता जी की प्रेरणा से जो दृश्य प्रस्तुत किये वह अद्वितीय है,भले ही उनको 2022 के पश्चात चातुर्मास का अवसर नहीं मिला हो लेकिन उनको इस युग के साक्षात भगवान की प्रस्तुति करने का अवसर यहा चंद्रगिरी पर आकर मिला सभी की आंखें नम थी एवं एक बार फिर से गुरुवर की याद को ताजा कर गयीं मुनि श्री ने प्रातःकालीन श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के समवसरण में अपने विचारो को प्रकट करते हुये कहा कि जैसे इंद्रभूति गौतम को प्रभु मिले और प्रभु को शिष्य के रुप में गणधर गौतम मिले | गुरू और शिष्य यह परंपरा आज तक चली आ रही है आचार्य गुरुदेव विद्यासागरजी महाराज का कुछ पुण्य कम रहा कि इस कलिकाल में उनको जन्म लेना पड़ा अन्यथा उस भव्य आत्मा का पुण्य तो ऐसा होना चाहिये था कि वह साक्षात विदेह क्षेत्र में जन्म लेकर इसी भव से कर्म नष्ट करके सिद्धत्व प्राप्त करते |

मुनि श्री ने कहा कि उनका पुण्य कुछ कम होगा कि उन्होंने पंचमकाल के भरत क्षेत्र में जन्म लिया लेकिन हम सभी का पुण्य इतना अधिक प्रबल था कि उनके जीवनकाल में हमारा जन्म हुआ और हम सभी के भाग्य से हमें ऐसे गुरुदेव मिले। दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं निशांत जैन डोंगरगढ़ ने बताया संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महामुनिराज के समाधि स्थल पर छै दिवसीय कार्यक्रम चल रहा है श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में बड़ी संख्या में संपूर्ण भारत से श्रद्धालुओं ने पहुंचकर समाधि स्थल पर भक्तिभाव के साथ आचार्य गुरुदेव की अष्टद्रव्य से पूजन संपन्न की गई |इस अवसर पर विभिन्न नगरों से पधारे गुरु भक्तों ने अर्घ्य समर्पित किये। तथा बेगमगंज के बच्चों ने “शरद पूर्णिमा के दो दो चांद नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जिसे आदर्श मति माताजी की संघस्थ अंतरमति माताजी ने अपने भावों से आचार्य श्री के जीवन तथा उनका सल्लेखना समाधि वृत का दृण संकल्प चल चित्र के साथ नाट्यरुपांतरण के रुप में प्रस्तुत किया गया जब समाधि संल्लेखना के दृश्य दिखाये जा रहे थे तो मुनिसंघ, आर्यिकासंघ और पांडाल उपस्थित सभी श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू थे जो कि थम नहीं रहे थे, इसी क्रम में एक दौर ऐसा आया “मूक माटी” के माध्यम से गुरु के उपकारों की बात कही गई और कहा गया कि गुरु के उपकारों को जो भूल जाता है वह सच्चा गुरु भक्त नहीं कहलाता” आचार्य श्री द्वारा प्रदत्त जीवन्त धरोहर आचार्य समय सागर जी है,यह धर्म रुपी वृक्ष जो आचार्य गुरूदेव हमें सोंप कर गये है उसकी गरिमा को हम सभी हमेशा याद रखेंगे आचार्य श्री समयसागर जी महाराज एक मौन साधक है उनको यह जिम्मेदारी तो विदिशा से ही प्रारंभ हो गई थी तथा उनको प्रथम निर्यापक श्रमण की जिम्मेदारी देकर उनको संघ संचालन का अवसर भी प्रदान कर दिया गया था।

कार्यक्रम के समापन में आर्यिकारत्न दृणमति माताजी ने अवरुद्ध कण्ठ से अपना उदवोधन दिया इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे नागपुर,वारासिवनी, रायपुर, बिलासपुर,राजनांदगांव, डोंगरगढ़, दुर्ग, इंदौर भोपाल विदिशा,वामनौद, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि, महानगर से बसें तथा चारपहिया वाहनों से आये थे। समवसरण में निर्यापक श्रमण श्री समता सागर जी, मुनि श्री आगम सागर महाराज, मुनि श्री पुनीत सागर महाराज, आर्यिकारत्न गुरुमति माताजी आर्यिकारत्न दृणमति माताजी,आदर्श मति माताजी सहित अनेक आर्यिका संघ उपस्थित थी| ऐलक धैर्यसागर महाराज ने कार्यक्रम का संचालन किया। ऐलक निश्चय सागर महाराज, ऐलक श्री निजानंद सागर महाराज मंचासीन रहे | इस अवसर पर चंद्रगिरी डोंगरगढ़ पर बनने जा रहे समाधिस्थल “विद्यायतन” के अध्यक्ष विनोद बड़जात्या, चंद्रगिरी ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष श्री किशोर जैन, महामंत्री निर्मल जैन, चंद्रकांत जैन, प्रदीप जैन विश्वपरिवार,विनोद कोयला बिलासपुर, सहित समस्त ट्रस्टीओं ने दान दाताओं का सम्मान किया। इस अवसर पर विधानाचार्य नितिन भैया खुरई,धीरज भैया राहतगड़, मनोज जबलपुर, संजीव कटंगी, अविनाश भैया भोपाल ने समय से सभी कार्यक्रम संचालित कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिये। इस अवसर पर संजय भैया दिल्ली, ब्र.अनूप भैया, अंकित भैया,रिंकू भैया सुवोध चतुर,सौरभ सुल्तान गंज मुनि सेवा में समर्पित रहे। चंद्रगिरी के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन, निर्मल जैन, सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, सप्रेम जैन, डोंगरगढ़ जैन समाज के अध्यक्ष श्री अनिल जैन, कोषाध्यक्ष श्री जय कुमार जैन, सचिव श्री यतीश जैन, सुरेश जैन, निशांत जैन, विद्यातन पदाधिकारी श्री निखिल जैन, दीपेश जैन, अमित जैन, सोपान जैन, जुग्गू जैन, यश जैन, प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश चाँद जैन ‘पप्पू भैया’, राजनांदगांव से शरद जैन, मनोज जैन, पूनम जैन सहित समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे । विद्यातन के अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या ने बताया कि आज प्रातः 7 बजे मंगलाष्टक, भगवान का अभिषेक, पूजन, आरती, विधान हुआ |

9 बजे महाराज जी का प्रवचन हुआ तत्पश्चात मुनि आर्यिका संघ का आहार हुआ | आज निर्यापक श्रमण समता सागर महाराज जी को आहार कराने का सौभाग्य श्री चंद्रकांत जैन राजनांदगांव परिवार को प्राप्त हुआ |दोपहर में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी कि भव्य महापूजा एवं महाआरती होगी जिसमे बाहर से आये उनके भक्तों के द्वारा अष्ट द्रव्य से अर्घ्य समर्पण किया जायेगा| शाम को भगवान के समवशरण में संगीतमय आरती होगी | रात्रि 8 बजे से “मूकमाटी” एनीमेशन फिल्म का प्रदर्शन किया जायेगा | उक्त कार्यक्रम में जैन समाज के एवं अन्य समाज के लोग सम्पूर्ण छत्तीसढ़ एवं भारत के विभिन्न प्रान्तों से अपने गुरुवर के प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव में शामिल हुए |

 

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