आरंग (विश्व परिवार)। जब-जब जल संकट के दौर से गुजरते हैं, तब गंगा मैया को धरती पर लाने वाले भगीरथ को जरूर याद करते हैं। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रहा है। जल संकट गहराता जा रहा है। छत्तीसगढ़ की राजधानी से लगा हुआ एक ऐसा ही गांव है रींवा। जहां करीब 50 वर्षों से जल संकट की समस्या बनी हुई है। ग्रामीण बताते हैं इस गांव में सालभर में केवल छह महीने ही पेयजल की उपलब्धता होती है। शेष छः माह जनवरी से जून तक लोगों को अन्य गांवों से पानी लाकर गुजारा करना पड़ता है। वहीं इस गांव से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम कुकरा। यहां से रीवा और कुकरा दोनों गांव के लोग जल लाकर निस्तारी कर रहे हैं।
कलयुग के भागीरथी यह है सीताराम साहू। जैसा नाम वैसा काम। ग्राम कुकरा निवासी 46 वर्षीय शिवभक्त सीताराम साहू चौबीसों घंटे लोगों को निःशुल्क पीने का पानी दे रहे हैं।वह बताते हैं कि 2010 में उन्होंने ट्यूबवेल खोदवाया। जिसमें उन्हें डेढ़ इंच पानी मिला। उनके गांव कुकरा व रीवा दो गांवों में भारी जलसंकट को देखते हुए उन्होंने जनमानस को जलदान करने का संकल्प लिया है। उन्होंने बिना किसी की मदद लिए स्वयं दो टंकी बनाकर ग्रामीणों को चौबीसों घंटे पानी की सप्लाई कर रहे हैं। जिससे ग्राम कुकरा और रीवा दोनों गांव के लोगों को पेयजल मिल पा रहा है। उनके इस सेवा को देखते हुए लोग उन्हें कलयुग का भागीरथी कहने लगे हैं।सीताराम लड्डू बनाकर बेचने का कारोबार करते हैं। इनकी लड्डू की मिठास केवल रायपुर जिले ही नहीं बल्कि आसपास के अन्य जिलों में भी चर्चित है। कुकरा के लड्डू की मांग मांगलिक कार्यों के लिए खास तौर पर है। इस तरह वे घर में ही लड्डू बनाकर इस कारोबार के माध्यम से करीब पच्चीस लोगों को रोजगार दे रहे हैं।सीताराम, बहुत ही सहज,सरल व्यक्तित्व के धनी हैं। वे एक साधारण परिवार से आते हैं।इस तरह 2010 से आज तक ग्राम रीवां और कुकरा वासियों को 24 घंटे निःशुल्क जल उपलब्ध कराकर लोगों की प्यास बुझा रहे हैं।