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विशेषज्ञ व्यक्ति वस्तु के त्रिकाल स्वरूप को समझ सकता है : मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी

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रायपुर(विश्व परिवार)। विवेकानंद नगर स्थित श्री संभवनाथ जैन मंदिर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचन माला जारी है। मंगलवार को रायपुर के कुलदीपक तपस्वी रत्न मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. ने जीवन में विशेषज्ञता हासिल करने की कड़ी में बताया कि आचरण में द्रव्यादि के कारण धर्म -अधर्म ,गुण-दोष वगैरह को विशेषज्ञ व्यक्ति यथार्थ जान सकता है। समय,स्थान,व्यक्ति व संयोग के बदलते ही विशेषज्ञ व्यक्ति अपनी वृत्ति-प्रवृत्ति में अवश्य बदलाव लाता है। सुबह के नाश्ते मे लिए हुए द्रव्य को दोपहर के भोजन में नहीं लेता है,समय बदलते ही वृत्ति बदल जाती है।
इस तरह व्यक्ति के बाह्य व्यवहार को देखकर कभी भी उसके व्यक्तित्व के लिए अभिप्राय देने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
मुनिश्री ने कहा कि वस्तु को लेकर भी उसकी जरूरत के अनुसार वस्तु की क्वालिटी या क्वांटिटी तय करनी चाहिए, जहां क्वांटिटी की जरूरत है वहां क्वालिटी को बाजू में रख देना चाहिए। जिस तरह भूख लगने पर व्यक्ति को पांच रोटी चाहिए परंतु उसे पांच बदाम देने से काम नहीं चल सकता। विशेषज्ञ व्यक्ति वस्तु के त्रिकाल स्वरूप को समझ सकता है, इसलिए उसकी प्राप्ति या नष्ट होने पर हर्ष शोक नहीं करता। अंत में मुनिश्री ने परमात्मा की स्तवना के शब्द को आलंबन करके कहा कि परमात्मा के चरण प्राप्त हो जाने के बाद जीवन में से सारे दोष नष्ट हो जाने चाहिए और कोई भी जीव कर्म का बंधन नहीं करता।
बुद्धि से परिपक्व बनिए : मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी
ओजस्वी प्रवचनकार मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने आज की प्रवचन माला में कहा कि
व्यक्ति को जीवन में बुद्धि से परिपक्व होना चाहिए। जो कार्य बल से नहीं हो सकता वह बुद्धि से हो जाता है। मुनिश्री ने मगध साम्राज्य के महाराज श्रेणिक और उनके बेटे अभय कुमार की कथा से समझाया कि कैसे अभय कुमार ने अपनी बुद्धिमानी से महामंत्री का पद हासिल किया। महाराज श्रेणिक ने जब बालक अभय कुमार के बुद्धिमनी की चर्चा सुनी तो बुद्धि को परखने के लिए अभय कुमार की परीक्षा लिए। अभय कुमार ने अपनी बुद्धि की परिपक्वता से उच्च स्थान को पाया। इसीलिए जब हम दीपावली में खाता बही का पूजन करते हैं तो हम यही प्रार्थना करते हैं कि हमें बुद्धि मिले तो अभय कुमार के जैसी।
मुनिश्री ने बताया कि अभय कुमार ने सूखे कुएं में गिरी राज मुद्रिका को अपनी बुद्धि के बल से बाहर निकाला। जब सब हार गए तो अभय कुमार ने गोबर मंगवाया और गोबर को राजमुद्रिका पर डाला, उसके बाद उन्होंने लकड़ी मंगवाकर आग लगवाई जिससे गोबर कंडे में बदला,फिर अभय कुमार ने कुंए में पानी भरवाया,सभी उनके कार्य से हैरान थे लेकिन कुएं को पानी से भरवाते ही कंडा तैरता हुआ ऊपर आया और अभय कुमार ने राज मुद्रिका को बाहर निकाल लिया।
युवाओं के लिए 5 दिवसीय विशेष क्लास
मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. द्वारा विशेष क्लास जारी है। 9 अगस्त तक विशेष क्लास में युवाओं के लिए पांच सेशन- 10 रीजंस पर क्लास में “वाय आई लव जैनिज्म” विषय पर शिक्षा दी जा जाएगी।

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