Home धर्म ज्ञान बढ़ने के साथ विनय भी बढ़ना चाहिए मुनिश्री निरोग सागर

ज्ञान बढ़ने के साथ विनय भी बढ़ना चाहिए मुनिश्री निरोग सागर

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सागर (विश्व परिवार)। आजकल पंडितों में ज्ञान झलकने लगा है। ज्ञान भले कम है लेकिन शो ऐसा करते हैं जैसे सब कुछ वही जानते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए। ज्ञान बढ़ने से विनय का गुण और धैर्य भी आना चाहिए। यह बात मुनिश्री निरोग सागर महाराज ने वर्धमान कालोनी में पाठशालाओं के बच्चों के चल रहे शिविर के अवसर पर कही।
मुनि श्री ने कहा कि आज के पंडितों की धन की ओर ज्यादा दृष्टि हो गई। ज्ञान कम हो गया है। एक हाथ से देना एक हाथ से लेना ऐसा होने लगा है ये पंडितों का काम ठीक नहीं है। मुनिश्री ने कहा कि सोशल मीडिया के जमाने में और चकाचौंध की जिंदगी में संस्कार शिविर के अध्ययन से भरे इस प्रकार के संस्कार बच्चों में आते हैं जो जीवन भर काम आते हैं। पाठशाला पढ़ना अत्यंत आवश्यक है। युवावस्था में यदि हम पाठशाला पढ़ते हैं तो उसका लाभ जिंदगी भर प्राप्त होता है। धर्म से जुड़ने के लिए प्रत्येक जैन मंदिर में पाठशाला चलना आवश्यक है समाज को इस बारे में विशेषरूप से सोचना चाहिए।मुनिश्री निरोग सागर महाराज ने कहा कि जिनेद्र भगवान ने जो कहा है वही सत्य है जिनेद्र भगवान अन्यथावादी नहीं हो सकते हैं। संत समागम से हम साधु भले ही न बन पाए लेकिन सत्यवादी संतोषी अवश्य बन जाते है संस्कार शिक्षा शिविर में यही होना चाहिये। हम बड़ी किस्मत वाले हैं कि आचार्य श्री के जन्मकाल में हम सभी का जन्म हुआ उन्हीं के कारण विश्व में चारों ओर जैन धर्म का डंका बज रहा है मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बतायाकि मुनि संघ के मंगल प्रवचन सुबह 8:30 बजे से बर्धमान कॉलोनी में हो रहे हैं और 9:30 बजे से मुनि संघ की आहारचर्या प्रारम्भ होती है। दोपहर 12 बजे के बाद मुनिसंघ उदासीन आश्रम में प्रवासरत रहता है। जहां पर दोपहर 3 बजे से निर्यापक मुनिश्री योग सागर महाराज मुनि महाराज, ऐलक महाराज, छुल्लक महाराज, ब्रह्मचारी और श्रावकों की 1 घंटे की क्लास लेते हैं।

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