रायपुर (विश्व परिवार)। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर देशभक्ति के उत्साह और बौद्धिक जोश से गूंज उठा, क्योंकि संस्थान ने भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की 134वीं जयंती मनाई। 14 अप्रैल 2025 को आयोजित इस कार्यक्रम, में दूरदर्शी नेता की विरासत और उनके मूल्यों को याद किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रायपुर के डिवीजनल कमिश्नर व आईएएस अफसर महादेव कावरे रहे । कार्यक्रम की अध्यक्षता एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ. एन. वी. रमना राव ने की । उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में रजिस्ट्रार प्रो. एन.डी. लोंढे , डीन (अकादमिक) प्रो. श्रीश वर्मा, डीन (छात्र कल्याण) प्रो. मनोज चोपकर, डीन (प्लानिंग एंड डेवलपमेंट) प्रो. जी.डी. रामटेक्कर, प्रोफेसर , डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन, डॉ मिथलेश अतुलकर शामिल रहे | इस दौरान विभिन्न फैकल्टी और छात्र भी शामिल रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय गीत, “वंदे मातरम” की भावपूर्ण प्रस्तुति के साथ हुई, जिसके बाद गणमान्य व्यक्तियों ने मोमबत्तियाँ जलाकर और उनकी तस्वीर पर माला चढ़ाकर बाबासाहेब का सम्मान किया।
कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण सभी उपस्थित लोगों द्वारा संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन था, जो संविधान में निहित सिद्धांतों की पुन: पुष्टि का प्रतीक है, जो डॉ. अंबेडकर के हृदय को प्रिय दस्तावेज़ है। इस दौरान अम्बेडकर साहब के जीवन और योगदान पर प्रकाश डालने वाली एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जो उनकी उल्लेखनीय यात्रा के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. मिथलेश अतुलकर ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी कलम उनकी तलवार थी और उनके शब्दों ने संविधान का रूप लिया। वे कभी तूफानों से नहीं डरे और सदैव नारी सम्मान एवं गरिमा के पक्षधर रहे। उन्होंने “विद्या ददाति विनयम” के मंत्र के माध्यम से शिक्षा की महत्ता को रेखांकित किया और बताया कि बाबा साहेब की मूर्ति केवल श्रद्धा का प्रतीक नहीं, बल्कि संघर्ष, शिक्षा, अध्यात्म और राष्ट्रनिर्माण की प्रेरणा है।
संस्थान के रजिस्ट्रार डॉ. नरेंद्र डी. लोंढे ने अपने वक्तव्य में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को नमन करते हुए कहा कि वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने शिक्षा को सबसे प्रभावशाली हथियार माना। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान केवल इमारतें नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन के केंद्र होते हैं। बाबा साहेब के विचारों को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल एक जरिया नहीं, बल्कि अज्ञानता से ज्ञान की ओर जाने का मार्ग है, जो व्यक्ति को सशक्त बनाता है और समाज को दिशा देता है।
एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ. एन. वी. रमना राव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को समाज सुधारक, न्यायविद, अर्थशास्त्री, मानवाधिकारों के रक्षक और महान शिक्षाविद बताया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने शिक्षा के बल पर हर कठिनाई को पार किया और उनके जीवन से छात्रों को सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की , नमक सत्याग्रह में भाग लिया, आरबीआई की स्थापना में योगदान दिया, 500 पृष्ठों का संविधान लिखा, महिलाओं के अधिकार और 8 घंटे की कार्य प्रणाली लागू कराई। वे 3000 पुस्तकों के पाठक थे, बौद्ध धर्म अपनाया, ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ जैसी पुस्तक लिखी और अमर्त्य सेन जैसे विचारकों के प्रेरणास्रोत बने। उन्होंने छात्रों से शिक्षित होकर निष्पक्ष बनने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रायपुर के डिवीजनल कमिश्नर व आईएएस अफसर श्री महादेव कावरे रहे, जिन्होंने बताया कि वे बस्तर के बीजापुर जैसे दूरस्थ क्षेत्र से हैं, जहाँ सीमित संसाधनों के बीच शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई, फिर आईआईटी दिल्ली से एम.टेक किया और प्रशासनिक सेवा में जाने का लक्ष्य तय किया। उन्होंने बताया कि बाबा साहेब द्वारा दिया गया आरक्षण और छात्रवृत्ति व्यवस्था जैसे कदम वंचित वर्गों के लिए वरदान हैं। उन्होंने शिक्षा को बुद्धि विकास का साधन बताते हुए कहा – “शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा वो दहाड़ेगा।” उन्होंने कहा कि संविधान सिर्फ वकीलों के लिए नहीं, बल्कि आमजन के जीवन का आधार है। बाबा साहेब ने मताधिकार, संपत्ति का अधिकार, मातृत्व अवकाश जैसे अधिकार दिए। उन्होंने युवाओं से बाबा साहेब की मूर्तियों में नहीं, पुस्तकों में उन्हें खोजने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में निदेशक डॉ. एन. वी. रमना राव द्वारा मुख्य अतिथि श्री महादेव कावरे को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात डॉ. सूरज कुमार मुक्ति द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों, आयोजकों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार प्रकट किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसके बाद सभी गणमान्य अतिथियों और प्रतिभागियों के साथ समूह फोटो लिया गया।
डॉ. सूरज कुमार मुक्ति, डॉ. बैद्यनाथ बाग, डॉ. डी.सी. झरिया, डॉ. संजय कुमार, डॉ. निशा नेताम, डॉ. सी. जटोथ, डॉ. श्रुति नागदेवे , सुकेशनी तिरके ,श्री टेमन ठाकुर, श्री ए.के. डोंगरे, श्री समुद गोयल के नेतृत्व में कार्यक्रम आयोजन किया गया जिससे एक यादगार और प्रभावशाली आयोजन सुनिश्चित हुआ।