बिलासपुर (विश्व परिवार)। बिलासा महोत्सव का 35 वां रंगारंग समापन रविवार को लोक साहित्य, लोकगीत, लोकसंगीत और लोक संस्कृति का अनूठा संगम बिलासा नगरी के हजारों दर्शकों की मौजूदगी में हुआ। ज्ञात हो यह आयोजन बिलासा कला मंच के द्वारा प्रतिवर्ष धूमधाम से बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।मंच के संस्थापक डा. सोमनाथ यादव ने मंच के 35 वर्षों के सफर को याद करते हुए कहा कि यह महोत्सव एक छोटे से आयोजन बांस गीत की प्रस्तुति से शुरू हुआ था और अब यह पूरे वर्षभर विविध आयोजनों के माध्यम से जनता से जुड़ा रहता है। हास-परिहास के रूप में मूर्खाधिराज सम्मान, पर्यावरण संरक्षण के लिए अरपा आराधना और अरपा बचाओ अभियान, शरद पूर्णिमा पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और तीज-त्योहारों पर स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे आयोजन इस मंच की खास पहचान हैं। कार्यक्रम का यह दूसरा और अंतिम दिवस था। समापन समारोह के मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इस महोत्सव को छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति का अनूठा दर्शन बताया और कहा कि यहां आना उनके लिए तीर्थदर्शन के समान है। स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने मंच की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए शुभकामनाएं देते हुए इसके संस्थापकों और पूरी टीम को बधाई दी। बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि इस मंच की विशेषता यह है कि यह अनजाने और बड़े कलाकारों को समान रूप से मंच प्रदान करता है, जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी ने भी महोत्सव की सफलता पर शुभकामनाएं दीं।
साहित्य के लिए सुरेश सिंह बैस का सम्मान
साहित्य साधना और लेखन में अपनी विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले नगर के ही साहित्यकार सुरेश सिंह बैस का मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने सम्मान पत्र भेंट करते हुए उनका अभिनंदन किया और कहा कि आप जैसे साहित्यकारों से छत्तीसगढ़ की किर्ति चारों दिशाओं में फैलती है। विधायक सुशांत शुक्ला ने शाल ओढाकर इनका सम्मान किया।
महोत्सव के अंतिम दिन देर रात तक विभिन्न सांस्कृतिक व छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं से भरपूर मनोरंजनात्मक नृत्य गीत प्रस्तुत किए गए, जिनका आनंद दर्शकों ने बखूबी उठाया। महोत्सव में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को बिलासा सम्मान से विभूषित किया गया, जिसमें बिलासा कला सम्मान तरुणा साहू (राजनांदगांव) और दीप्ति ओगरे (चकरभाठा) को, बिलासा साहित्य सम्मान सुरेश सिंह बैस (बिलासपुर) को और बिलासा सेवा सम्मान राम रसोई (बिलासपुर) व विनोद पांडे एवं झारखंड से आए (बिलासपुर) को प्रदान किया गया। इस दौरान महेश श्रीवास, डा. सुनीता मिश्रा, महेंद्र ध्रुव समेत अन्य उपस्थित रहे।
गोदना के कलाकारों ने महा दर्शकों का मन
लोककला की शानदार प्रस्तुतियों में गौतम चौबे और उनकी टीम ने देवार नाट्यशैली में गोदना नाटक का मंचन कर सबका मन मोह लिया, जबकि आरपीएफ इंस्पेक्टर व छत्तीसगढ़ी लोककला में निपुण तरुणा साहू ने शानदार पंडवानी प्रस्तुति से दर्शकों को चकित कर दिया। शिवचरंण साहू की टीम ने मुखौटा पहनकर नटका नृत्य का प्रदर्शन किया, वहीं बिलासपुर के लालजी श्रीवास की टीम मनभौंरा ने बारहमासी गीत व नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। स्वराज कला मंच, बिलासपुर की महिलाओं ने सधे हुए स्वरों में बिहाव गीत प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी।