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कांग्रेस की तथाकथित संविधान यात्रा पर भाजपा का बड़ा हमला, सौ चूहे खा बिल्ली हज को चली:केदार कश्यप

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  • राहुल गांधी ने खुद आरक्षण खत्म करने की बात कही थी उस पर कांग्रेस की चुप्पी क्यों है:केदार कश्यप

रायपुर (विश्व परिवार)। छत्तीसगढ़ के वन और सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट की मौजूदगी में सोमवार को हुई कांग्रेस की संविधान बचाओ रैली को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस संविधान के नाम पर “सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” की कहावत को चरितार्थ कर रही है। श्री कश्यप ने कहा कि कांग्रेस संविधान के नाम पर झूठा नैरेटिव सेट करके देश को बरगलाने की लाख कोशिश कर ले, लेकिन कांग्रेस के नितांत संविधान व लोकतंत्र विरोधी राजनीतिक चरित्र से वाकिफ देशवासी अब कांग्रेस के इस झाँसे में कतई नहीं आने वाले हैं।
प्रदेश के वन व सहकारिता मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि आज संविधान बचाने के नाम पर कांग्रेस मिथ्या प्रलाप कर रही है, जबकि कांग्रेस के शासनकाल में ही संविधान का सबसे ज्यादा मखौल उड़ाया गया। इससे अधिक शर्मनाक कृत्य और क्या हो सकता है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में देश पर आपातकाल थोपकर न केवल मूल नागरिक अधिकारों व प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया था, अपितु विपक्षविहीन संसद में संविधान संशोधन करके संविधान की मूल प्रस्तावना तक को बदलने का पाप किया था। कांग्रेस ने न केवल पूरे देश को जेल बनाकर रख दिया था अपितु संसदीय लोकतंत्र और समूची संवैधानिक व्यवस्था को नष्ट-भ्रष्ट किया था। श्री कश्यप ने कहा कि कांग्रेस की संविधान बचाओ रैली कोरी सियासी ढकोसलेबाजी है। संविधान की रचना से लेकर अब तक कदम-कदम पर संविधान की आत्मा को लहूलुहान करती आ रही कांग्रेस एक बार फिर मिथ्या प्रलाप करके अपने टूलकिट एजेंडे पर काम कर रही है। भारत में आरक्षण के नाम पर झूठ फैलाने वाली कांग्रेस अमेरिका में अपने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के उस बयान पर खामोश क्यों है, जिसमें राहुल गांधी ने आरक्षण का खुलकर विरोध किया था। अब कांग्रेस किस मुंह से सँविधान की रक्षा की बात कर रही है? साम्प्रदायिक तुष्टीकरण जिस कांग्रेस की रग-रग में व्याप्त है, वह कांग्रेस लगातार संविधान की भावनाओं का खुला अपमान करके संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा के नाम पर सिवाय पाखंड के कुछ नहीं कर रही है।
प्रदेश के वन व सहकारिता मंत्री कश्यप ने कांग्रेस की वैचारिक दरिद्रता पर तंज कसते हुए कहा कि वामपंथ और विदेशी ताकतों से उधार में लिए गए विचारों से कांग्रेस जो नित-नये झूठे नैरेटिव चला रही है, उसमें वह अंततः मुंह की ही खाएगी। दरअसल संविधान और संवैधानिक व्यवस्थाओं का लगातार मखौल उड़ाने वाली कांग्रेस को संविधान बचाओ रैली के नाम पर पाखंड करने के बजाय आत्म मंथन करना चाहिए और संविधान, संवैधानिक व्यवस्थाओं व संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट-भ्रष्ट करने के लिए प्रायश्चित करना चाहिए। सत्ता-पिपासा के चलते कांग्रेस ने संविधान की आत्मा पर लगातार प्रहार किया है और अब कांग्रेस के लोग संविधान की किताब लहराते देशभर में संविधान को लेकर झूठ फैला रहे हैं। यह पाखंड कांग्रेस की वैचारिक दरिद्रता और दोहरे राजनीतिक चरित्र का परिचायक है। श्री कश्यप ने कहा कि अपने शासनकाल में कदम-कदम पर संविधान का चीरहरण करने वाली कांग्रेस विदेशी ताकतों और वामपंथियों के हाथों कठपुतली बनकर राजनीतिक हितों और साम्प्रदायिक तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस ने संविधान में मनमाने संशोधन किए। इसी प्रकार कांग्रेस ने संविधान की धारा 356 का मनमाना दुरुपयोग कर गैर कांग्रेसी राज्य सरकारों को बर्खास्त करने का शर्मनाक सिलसिला चलाया जो सन 1992 में कथित बाबरी ढाँचा ढहने के बाद भाजपा की मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की चार राज्य सरकारों की बर्खास्तगी तक बदस्तूर चला।
प्रदेश के वन व सहकारिता मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि कांग्रेस को केवल सत्ता से ही मतलब है। संविधान, संवैधानिक व्यवस्थाओं और संवैधानिक संस्थाओं का मखौल उड़ाना तो कांग्रेस के डीएनए में है, चाहे वह सत्ता में रहे या सत्ता से बाहर। संविधान बचाओ रैली कर रही कांग्रेस पहले इस सवाल का जवाब दे कि जब 2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने सत्ता सम्हाली तो उसके तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में सीबीआई के प्रवेश पाबंदी क्यों लगाई थी? संविधान के संघीय ढाँचे की व्यवस्था को इस प्रकार चुनौती देकर कांग्रेस ने क्या अपने संविधान-विरोधी चरित्र का शर्मनाक प्रदर्शन नहीं किया था? श्री कश्यप ने कहा कि आज सत्ता से बाहर होकर संविधान के नाम पर झूठ फैला रही कांग्रेस तमाम संवैधानिक संस्थाओं को सरेआम अपमानित कर रही है। केंद्रीय जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) समेत जाँच एजेंसियों पर सवाल उठा रही है। ईवीएम पर सवाल उठा रही है। कांग्रेस के इसी दोहरे चरित्र ने कांग्रेस को न केवल राजनीतिक तौर पर, अपितु वैचारिक स्तर पर भी कंगाल बना दिया है, अप्रासंगिक बना दिया है। अगर कांग्रेस ने आत्म मंथन नहीं किया और इसी तरह के पाखंड करती रही तो एक दिन वह खुद को इतिहास के कूड़ेदान में देखने के लिए तैयार रहे।

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