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ब्रह्माकुमारीज समर कैम्प : डांस कांपीटिशन में बच्चों ने शानदार प्रस्तुति देकर रंग जमाया…

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रायपुर (विश्व परिवार)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित प्रेरणा समर कैम्प में डांस काम्पीटिशन के अन्तर्गत स्कूली बच्चों ने शानदार प्रस्तुति देकर मन मोह लिया।
आज सभा में बच्चे रंग -बिरंगे ड्रेस पहनकर उपस्थित हुए थे। समर कैम्प में उनके लिए डांस काम्पीटिशन रखा गया था। वह लोग अपनी वेशभूषा से लोगों को आकर्षित तो कर ही रहे थे साथ ही सभागृह की शोभा को भी बढ़ा रहे थे। विशेष बात यह रही कि डांस के स्टेप बच्चों ने खुद तैयार किए थे। डांस काम्पीटिशन के निर्णायक के रूप में ब्रह्माकुमारी भावना और नीलम दीदी उपस्थित थीं।
सबसे पहले कु.खुशबू साहू ने आई गिरी नन्दिनी…विश्व विनोदिनी गीत पर शानदार नृत्य प्रस्तुत कर सबको ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। उसके बाद कु.वैष्णवी साहू ने धार्मिक भजन ओ राधे तेरे बिना कृष्णा लागे मोहे आधे आधे…गीत पर नृत्य कर खूब वाहवाही लूटी। कु.परिणीता साहू ने कोई काजल लाओ रे… गीत पर सधे हुए अन्दाज में नृत्य पेश किया। कु.अमृता क्षत्रिय ने है देशभक्ति पर आधारित गीत…तेरी मिट्टी में मिल जावां, गल बनके मैं खिल जावां…पर सुन्दर नृत्य प्रदर्शित कर सबको भाव विभोर कर दिया। नृत्य स्पर्धा में कु.रेशमी साहू, कु.वैशाली मानिकपुरी, कु.विदेही श्रीवास्तव, कु.जिज्ञासा, कु.प्रतिक्षा बंजारे, कु.प्रेरणा पाण्डे आदि ने हिस्सा लिया। इसके अलावा राजवर्धन ठाकुर और देवेश तुर्याकर ने भी भाग लिया।
इसके पहले सत्र में ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने स्क्रीन टाईम मैनेजमेन्ट विषय पर बोलते हुए कहा कि वर्तमान संचार क्रान्ति के युग में हम स्वयं को डिजिटल वल्र्ड से दूर नहीं रख सकते हैं। आजकल स्कूलों में शिक्षा भी स्क्रीन के माध्यम से दी जा रही है। इसलिए अगर हम स्क्रीन से अपने को दूर रखेंगे तो जमाने के साथ चल नहीं सकेंगे। स्क्रीन को यूज करना जरूरी हो गया है। लेकिन आज स्क्रीन टाईम मैनेजमेन्ट सीखने की आवश्यकता है। रातों को नींद नहीं आना, करवटें बदलना, जल्दी नाराज हो जाना, एकाग्रता की कमी ओर सीखने की गति कम हो जाना आदि सभी समस्याएं स्क्रीन में ज्यादा समय देने के कारण पैदा हो रही हैं। ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने बतलाया कि हमारे ब्रेन (मस्तिष्क) के छ: मुख्य कार्य हैं-सीखना, याद रखना, प्रतिक्रिया देना, सूचनाओं का संधारण और गतिशीलता। किन्तु स्क्रीन में ज्यादा समय व्यतीत करने के कारण हमारे मस्तिष्क का स्ट्रक्चर ही बदल जाता है। स्क्रीन में ज्यादा समय देने से मस्तिष्क सिकुड़ता है जिसके कारण उसके सभी छ: कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। फलत: बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं। वह अवसाद का जल्दी शिकार हो रहे हैं। उनका आत्मविश्वास कम हो रहा है। उन्होंने बतलाया कि हमारे कमोड में जितने बैक्टिरिया होते हैं उससे ज्यादा बैक्टिरिया हमारे मोबाईल के स्क्रीन में पाए जाते हैं।
उन्होंने आगे बतलाया कि हमारे ब्रेन में खुशी से समबन्धित चार प्रकार के हारमोन्स निकलते हैं जो कि हमें आनन्द प्रदान करते हैं। यह हैं सेरोटोनिन, डोपामाईन, ऑक्सीटोसी और एण्डार्फिन। इनमें से डोपामाईन हमें एडिक्ट बना देता है। जब हमें स्क्रीन की ज्यादा लत लग जाती है तो डोपामाईन हारमोन्स रिलीज होने लगता है जो कि हमें खुशी की अनुभूति कराता है। जिसके कारण बार-बार स्क्रीन को देखने का मन करता है।
उन्होंने स्क्रीन टाईम मैनेजमेन्ट के लिए बच्चों को खेलकूद या अन्य रूचिकर बातों में अपना समय बिताने की प्रेरणा दी। लगातार स्क्रीन में समय न देकर बीच-बीच में थोड़ा विराम देने कहा। जब बोरियत महसूस हो तो कुछ नया करने का प्रयास करना चाहिए। पुस्तक को अपना दोस्त बना लें। इससे नयी-नयी जानकारियाँ मिल सकेंगी।

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