सागर (विश्व परिवार)। आचार्य श्री ने सागर वालों को दान देना सिखाया था। मंदिर बनाने के लिए दान के लिए प्रेरित करना भी गुरुदेव के प्रकल्प को जल्दी पूर्ण कराने का एक बड़ा कारण है।
यह आपके कल्याण के लिए जरूरी है। आप पाप करते हैं। कर्मों की निर्जरा के लिए दान और पूजा प्रथम है यह बात निर्यापक मुनिश्री योग सागर महाराज ने बाहुबली कालोनी जैन मंदिर में धर्म सभा में कही।
उन्होंने कहा कि दान देने से असंख्यात गुना कर्मों की निर्जरा होती है। और दान पूजा से ही आपका कल्याण होने वाला है दान परिग्रह का प्रश्चित्य है क्योंकि धन कमाने में पाप होता है। सागर में सर्वत्रोभद्र जिनालय का निर्माण आचार्य भगवान के आशीर्वाद से हो रहा है। सागर के लिए यह महान कार्य है। आने वाले समय में सागर भाग्योदय तीर्थ पूरे विश्व में चर्चित रहेगा। मुनिश्री निर्भीक सागर महाराज ने कहा कि हर प्राणी में भगवान बनने की क्षमता है। इसके लिए अपने आप को पाप से अलग करना होगा। जो वह कार्य करेगा यह निश्चित रूप से मुक्ति को प्राप्त करेगा।
उन्होंने कहा मर महापुरुषों की। चरित्र चित्रों को जीवन में उतारना चाहिए। मंदिर निर्माण के बाद मंथन में अमृत का। पुन निकलेगा गुरुदेव चाहते तो एक व्यक्ति इस मंदिर को बना सकता था। लेकिन उन्होंने कहा जन जन का धन इसे निर्माण कार्य में लगना चाहिए। समग्र समाज दान करने मे पीछे नहीं है। यह जिनालय जब तैयार होगा तब आपको समझ में आएगा। गुरुदेव की परिकल्पना कितनी लाजवाब थी।