रायपुर (विश्व परिवार)। देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमेन अमर पारवानी, प्रदेश एक्सक्यूटिव चेयरमेन जितेन्द्र दोशी, प्रदेश अध्यक्ष परमानंद जैन, प्रदेश महामंत्री सुरिंदर सिंह एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमेन श्री अमर पारवानी जी के नेतृत्व में कैट का प्रतिनिधी मंडल वित्तमंत्री ओ.पी. चौधरी से मुलाकात कर ऐसे मामलों में अपील दायर करने में माफी प्रदान करने का अनुरोध, जहां अपील समय पर दायर नहीं की जा सकी और आयुक्त अपील द्वारा समय बीत जाने के कारण खारिज कर दी गई हेतु ज्ञापन सौपा।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमेन अमर पारवानी ने बताया कि कैट का प्रतिनिधी मंडल माननीय वित्तमंत्री श्री ओ.पी. चौधरी जी से मुलाकात कर ऐसे मामलों में अपील दायर करने में माफी प्रदान करने का अनुरोध, जहां अपील समय पर दायर नहीं की जा सकी और आयुक्त अपील द्वारा समय बीत जाने के कारण खारिज कर दी गई हेतु ज्ञापन सौपा। उन्होनें बताया कि ज्ञापन के माध्यम से वित्तमंत्री ओ.पी. चौधरी को अवगत कराया गया कि पिछले दो वर्षों में करदाताओं को वर्ष 2017-18 से 2021-22 की अवधि के लिए लगातार जीएसटी पोर्टल पर नोटिस भेजे गए हैं, लेकिन उन्हें करदाताओं के पंजीकृत ई-मेल पर या करदाता के पंजीकृत पते पर भौतिक रूप से नहीं भेजा गया। इसके कारण, कई नोटिस अप्राप्त रह गए और अधिकारियों द्वारा एकपक्षीय रूप से ऐसे आदेश पारित किए गए, जिनमें विवादित मांगें थीं और उन्हें करदाताओं के पंजीकृत ई-मेल पर या करदाता के पंजीकृत पते पर भौतिक रूप से भेजे बिना ही जीएसटी पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया। करदाताओं को ऐसे आदेशों के बारे में तब तक पता नहीं था, जब तक उन्हें कर की वसूली के लिए कॉल और ईमेल प्राप्त नहीं हुए।
वित्तमंत्री ओ.पी. चौधरी ने इस विषय पर कैट टीम को सकारात्मक आस्वासन देते हुए कहा कि इस मुद्दे को जीएसटी कांउसिल के समक्ष रखा जायेगा। और व्यापारियों के हितां का ध्यान रखा जायेगा।
श्री पारवानी आगे बताया कि जब करदाताओं को ऐसे आदेशों के बारे में पता चला, तो उन्होंने माफी आवेदनों के साथ देरी से अपील दायर की। हालांकि, अपीलीय प्राधिकारी द्वारा इन्हें खारिज किया जा रहा है, क्योंकि उसके पास अपील दायर करने की नियत तिथि से 30 दिनों से अधिक की देरी को माफ करने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में, करदाता के पास कोई अन्य उपाय नहीं बचता है, चाहे उसका मामला कितना भी मजबूत क्यों न हो, क्योंकि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 107 और 108 ऐसे मुद्दों पर चुप हैं। इसलिए, अनुरोध है कि करदाताओं को अधिनियम की धारा 148 के प्रावधानों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए ऐसे आदेशों के खिलाफ अपील दायर करने में छूट प्रदान की जाए। इसके अलावा, यह भी अनुरोध किया जाता है कि आयुक्त अपील द्वारा 30 दिनों से अधिक समय तक अपील स्वीकार न करने के आदेशों को अधिनियम में उपयुक्त संशोधन करके या इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी करके अपील योग्य आदेश माना जाए और सभी अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं कि अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा अपील के निपटान तक विवादित मांग की वसूली के लिए कोई बलपूर्वक कार्रवाई न की जाए। इसके अलावा, आपके संज्ञान में यह लाया जाता है कि धारा 108, जो पुनरीक्षण प्राधिकरण की शक्तियों के बारे में बात करती है, पुनरीक्षण प्राधिकरण को यह अधिकार नहीं देती कि वह अपने अधीनस्थ प्राधिकरण द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग करे, चाहे वह स्वयं अपनी इच्छा से हो या करदाता द्वारा पुनरीक्षण के लिए आवेदन करने पर, इस अधिनियम के तहत किसी कार्यवाही का रिकॉर्ड मंगवाए जिसमें ऐसा कोई आदेश पारित किया गया हो और वह ऐसी जांच कर सकता है या ऐसी जांच करवा सकता है और इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन, वह ऐसा आदेश पारित कर सकता है, जो करदाता के लिए प्रतिकूल न हो, जैसा कि वह उचित समझे। इसलिए, यह अनुरोध किया जाता है कि पुनरीक्षण प्राधिकरण की शक्तियों का विस्तार किया जाए ताकि करदाता के पास ऐसे प्राधिकरण से संपर्क करने का उपाय हो।
वित्तमंत्री ओ.पी. चौधरी से मुलाकात में कैट एवं यवा कैट के पदाधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित रहे :- अमर पारवानी, परमानन्द जैन, अवनीत सिंह, प्रीतपाल बग्गा, शंकर बजाज, महेन्द्र बागरोडिया, राजेन्द्र खटवानी, भूपेन्द्रर सिंह, गोल्डी जैन, शैलेन्द्र सिंह, बी.एस. परिहार, अनमोल जैन एवं जयेश पटेल।