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तृतीय पट्टाधीश आचार्य श्री धर्म सागर जी का 112 वा वर्ष वर्धन वर्ष मनाया 14 जनवरी को जैनत्व के संस्कार होंगे

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पारसोला (विश्व परिवार)। पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सहित पारसोला में विराजित है। आचार्य श्री के दीक्षा गुरु आचार्य तृतीय पट्टाचार्य आचार्य श्री धर्म सागर जी के 112 वे वर्ष वर्धन जन्म अवतरण वर्ष पर जयंतीलाल कोठारी दिगंबर जैन समाज पारसोला एवं ऋषभ पचौरी वर्षायोग समिति ने बताया कि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के सानिध्य में मंडल विधान कर आचार्य संघ के भक्तों ,श्रावक श्राविकाओं द्वारा आचार्य श्री की भक्तिमय पूजन की गई ।आचार्य श्री ने वर्धमान सागर दीक्षा गुरु आचार्य श्री धर्म सागर जी का गुणानुवाद कर बताया कि गुरु के हम पर बहुत कृपा है,गुरु आचार्य श्री धर्म सागर जी ने मुनि दीक्षा हमें दी।आपका जन्म गंभीरा राजस्थान में सन 1914 में हुआ ।किशोर अवस्था में ही आपके और चचेरी बहन के माता-पिता का निधन होने से आपकी बड़ी बहन दाखा बाई ने आपका लालन पोषण किया।आप जीवन यापन करने के लिए इंदौर मध्य प्रदेश में आए यहां पर कपड़ा मिल में पहले नौकरी की कपड़े निर्माण में होने वाली हिंसा को देखकर अपने वह नौकरी छोड़ दी । गृहस्थ अवस्था में भी आप निस्पृह रहे कपड़े की गठरी लेकर आप विक्रय करते थे ₹1 का मुनाफा होने पर आप बिक्री बंद कर वापस घर आ जाते थे। आपने आचार्य श्री वीर सागर जी से मुनि दीक्षा सन 1952 में ली।24 फरवरी सन 1969 में जिस दिन आपको आचार्य पद की प्राप्ति हुई उसी दिन 11 भव्य प्राणियों को दीक्षा दी जिसमें हमारी भी 19 वर्ष की उम्र में मुनि दीक्षा हुई हम पर दीक्षा गुरुदेव का काफी उपकार है। ब्रह्मचारी गजु भैया एवं राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि आचार्य श्री धर्मसागर जी का जन्म भगवान धर्मनाथ जी के ज्ञान कल्याणक दिवस हुआ तथा आपकी समाधि भी भगवान मुनि सुब्रतनाथ के ज्ञान कल्याणक दिवस पर हुई। सभी गुरुओं के आशीर्वाद से हम आचार्य श्री शांति सागर जी की परंपरा को चला रहे हैं। आचार्य श्री ने महत्वपूर्ण सूत्र में बताया कि जन्म को सार्थक कर, मरण को दीक्षा रुपी लक्ष्मी से से वरण करने का कार्य सौभाग्यशाली जीव कर जीवन को सार्थक करते हैं। मुनि श्री हितेंद्र सागर जी एवम शिष्या आर्यिका श्री शुभ मति माताजी ने आचार्य श्री धर्म सागर जी का गुणानुवाद किया। इसके पूर्व आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज की पूजन संगीतमय आचार्य संघ ने संपन्न कराई।
जैन शिशु एवं बाल संस्कार अनूठा एवं अद्भुत दिव्य आशीष कार्यक्रम
पंचम पट्टाचार्य 108 श्री वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ सान्निध्य एवं कर कमलों से दिनाँक 14/01/2025, मंगलवार को दोपहर 12.15 बजे से सन्मति भवन में जैन शिशु एवं बाल संस्कार का अनूठा एवं अद्भुत कार्यक्रम संपन्न होगा |जिसमें जैन शिशु एवं बाल संस्कार विधि उम्र :- 46 दिन से 8 वर्ष तक नामकरण संस्कार 2 बहिर्यान संस्कार 3 निषद्या संस्कार 4 व्युष्टि क्रिया संस्कार वर्षवर्धन संस्कार 5 लिपिसंख्यान क्रिया संस्कार किए जावेंगे जयंतीलाल कोठारी अध्यक्ष दशा हूंमड दिगंबर जैन समाज एवं ऋषभ पचोरी अध्यक्ष वर्षायोग समिति पारसोला ने सभी धर्मानुरागीयो से कार्यक्रम में सुनिश्चित रूप से सम्मिलित होकर पुण्य का संचय करने का निवेदन किया है।

 

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