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चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांति सागर विपरीत परिस्थितियों में भी दिगम्बरत्व एवं आगम पर ढृढ विश्वास के साथ डटे रहे – मुनि प्रणम्य सागर महाराज

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बीसवीं सदी के प्रथम दिगम्बर जैन आचार्य शांति सागर महाराज का समाधि दिवस मनाया
मीरा मार्ग के आदिनाथ भवन पर शुक्रवार को प्रातः 8.15 बजे होगी धर्म सभा

जयपुर(विश्व परिवार)। संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्यासागर महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य अर्हम योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में बुधवार को मीरा मार्ग के आदिनाथ भवन पर बीसवीं सदी के प्रथम दिगम्बर जैन आचार्य शांति सागर महाराज का दीक्षा दिवस मनाया गया। इस मौके पर मुनि श्री ने कहा कि चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांति सागर महाराज बीसवीं सदी के प्रथम दिगम्बर जैन आचार्य थे जिन्होंने दिगम्बर जैन परम्परा को जीवंत रखा।
मुनि श्री ने आचार्य शांति सागर महाराज के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्तुतियों के माध्यम से अर्घ्य चढवाये। मुनि श्री ने कहा कि आचार्य शांति सागर महाराज ने सदा मूलाचार को अपनाया। जब वह क्षुल्लक दीक्षा में थे तब पहले से निश्चित स्थान पर पुजारियों द्वारा आहार करवाया जाता था, उस समय पडगाहन करना कोई नहीं जानता था। उस परम्परा को तोड़ते हुए मूलाचार में लिखित पडगाहन के द्वारा आहार पर जाने की परम्परा को प्रारम्भ किया। उसके लिए उन्हें उपवास भी करने पडे। जब उनकी मुनि दीक्षा हुई तब विपरीत परिस्थितिया होते हुए भी दिगम्बरत्व पर एवं आगम पल दृढ़ विश्वास के साथ डटे रहे। उन्होंने जिन मंदिरों में अन्य के प्रवेश के कानून का विरोध करते हुए नियम लिया था कि जब तक यह कानून वापस नहीं होगा तब तक मै अन्न ग्रहण नहीं करुंगा। तीन साल से ज्यादा समय बाद जब निर्णय जैन समाज के पक्ष में आया, तब उन्होंने अन्न ग्रहण किया। अपने 45 साल के साधु जीवन में उन्होंने 9338 उपवास किये। मुनि श्री ने कहा कि हम सबको सुमेर दिवाकर द्वारा लिखित चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का स्वाध्याय करना चाहिए।
इससे पूर्व आचार्य शांति सागर महाराज, आचार्य विद्यासागर महामुनिराज की संगीतमय पूजा की गई। आचार्य समय सागर महाराज एवं मुनि प्रणम्य सागर महाराज का अर्घ्य चढाया गया।
समाजश्रेष्ठी अमर चन्द – अलका, अक्षय – नेहा छाबड़ा एवं परिवारजनों द्वारा संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महामुनिराज एवं आचार्य समय सागर महाराज के चित्र का जयकारों के बीच अनावरण किया गया। भगवान आदिनाथ के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन किया गया एवं मुनि प्रणम्य सागर महाराज के पाद पक्षालन एवं शास्र भेट करने का पुण्यार्जन प्राप्त किया।
समिति के उपाध्यक्ष तेज करण चौधरी, कार्यकारिणी सदस्य अरुण पाटोदी, विजय झांझरी ने अतिथियो को स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया।
समिति के कोषाध्यक्ष लोकेन्द्र जैन राजभवन वाले एवं कार्यकारिणी सदस्य अरुण पाटोदी ने बताया कि मीरामार्ग के श्री आदिनाथ भवन पर मुनि प्रणम्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में शुक्रवार , 06 सितम्बर को प्रातः 8.15 बजे श्री पार्श्वनाथ कथा का संगीतमय आयोजन किया जाएगा।इस मौके पर आचार्य विद्यासागर महामुनिराज की पूजा एवं मुनि श्री प्रणम्य सागर महाराज के मंगल प्रवचन होगें। मुनि श्री की आहारचर्या प्रातः 9:40 बजे होगी। दोपहर में 3.00 बजे शास्र चर्चा होगी। गुरुभक्ति एवं आरती सांय 6:30 बजे एवं वैयावृत्ति रात्रि 8:30 बजे होगी।
चातुर्मास समिति से जुड़े हुए विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि मुनि श्री के सानिध्य में मानसरोवर के सामुदायिक केन्द्र सेक्टर 9 पर 8 सितम्बर से 17 सितम्बर तक दशलक्षण महापर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। उस दौरान 10 दिवसीय आत्म साधना शिविर लगेगा जिसमें पूरे देश से 1500 से अधिक श्रावक – श्राविकाऐ शामिल होगी।

 

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