Home धर्म चातुर्मास कलश स्थापना

चातुर्मास कलश स्थापना

52
0

(विश्व परिवार) | सनातन धर्म एवं दिगम्बर दर्शानुसार समस्त साधु ,संत ,मुनि एवं आर्यिका मां चार माह एक स्थान पर स्थिर होकर आत्म आराधनारत रहते है, वे जिस भी स्थान का चयन करते है वहां पर उनकी धर्म आराधना व साधना के निर्दोषता पूर्वक,निर्बाध संचालन के लिए भक्त/ श्रावकगण संकल्पित रहते है, इसे ही चातुर्मास स्थापना कहा जाता है। श्रमणोपाध्याय रत्न 108 मुनि श्री विरंजनसागर जी महाराज ,108 मुनि विशोम्य सागर,मुनि श्री विनिशोध सागर एवं दो आर्यिका माता जी द्वारा गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर,जिन शासन की स्थापना दिवस पर नन्हे मन्दिर ट्रस्ट,बरिया मन्दिर ट्रस्ट कमेटी द्वारा श्री 108 विरंजनसागर चातुर्मास कमेटी अंतर्गत चातुर्मास स्थापना महोत्सव सानन्द सम्पन्न किया गया।

कलश स्थापना
जैन दर्शनानुसार संकल्पित होने पर कलश स्थापना करने की परंपरा है जो कि चार माह मन्दिर जी में स्थापित रहते है,ततपश्चात वे श्रावक परिवार द्वारा अपने निवास के पवित्र स्थान पर सदैव के लिए स्थापित कर दिए जाते है।
इस पुनीत अवसर पर स्थापित कलश
सर्वाधसिद्धि प्रथम कलश
श्री रतनचंद कांता जैन,अरविंद अमित जैन चाँवल वाला परिवार,
द्वतीय अरिहंत कलश
श्री कमल उषा रानी अरविन्द, शैलेन्द्र बलखण्डी परिवार,
तृतीय सिध्द कलश
श्री सुनील डॉ.निधि अविरल जैन तारबाबू परिवार,
आचार्य कलश
श्री सुनील शशांक गढावाल परिवार,
उपाध्याय कलश
सुनील सिंघई अध्यक्ष बरियाबाला ट्रस्ट,
सर्व साधु कलश
श्री आनंद अनुराग उजियामूरी परिवार,
आचार्य विद्यासागर कलश
श्री सुमेरचंद रत्नमाला, रिन्कू, टिंकू जैन
विशुद्ध सागर कलश
श्रीमती शीलरानी राजकुमार,सनत विकाश जैन बंटी महाराजा परिवार, आचार्य समयसागर कलश
युवराज समीर गढावाल परिवार,
आचार्य विमल सागर कलश शैलेन्द्र कुमार विजय नगर द्वारा
इसके पूर्व मंडप उद्घाटन श्रीमती सरोज नायक हमलोग मेंस एवं प्रथम पाद प्रक्षालन श्री शीलचंद्र मनोज कुमार द्वारा किया गया। इस पुण्यशाली अवसर के साक्षी बने ,दिगम्बर जैन पंचायत सभा,जैन नवयुवक सभा,सहित ड्योडिया मन्दिर,चौधरी मन्दिर, तारन तरण मन्दिर जी एवं स्थानीय सकल जैन समाज के सँयुक्त तत्त्वाधान में आज हनुमानताल रोड़ स्थित नमर्दा नर्सरी के समक्ष परिसर में भव्य कलश स्थापना एवं गुरुपूजन महोत्सव विशाल आयोजन सुबह 8.30 बजे से सम्पन्न किया, इस अवसर पर दीप प्रज्जवलन एवं श्री फल अर्पण,विधायक अभिलाष पांडे, माहेश्वरी समाज से नवनीत माहेश्वरी, रैकवार समाज से कविता रैकवार, सराफ समाज से रज्जू सराफ,पंसारी समाज से चिंटू पंसारी,जैन पंचायत सभा के अध्यक्ष कैलाश चन्द्र, प्रधान मंत्री अनिल गुड्डा,नवयुवक सभा के मुरली बासल,समाजसेवी सत्यम जैन, समरसता समिति से संदीप जैन गुड्डा,
सोशल ग्रुप”नगर” से मनोज जैन, राविज जैन,सुरेन्द्र जैन, ईएमएस से
सनत जैन भोपाल,CA राजेश जैन,सुरेन्द्र पहलवान सहित नगर स्थित मंदिरों श्री पिसनहारी तीर्थ, गरुकुल, प्रशासकीय प्रशिसंस्थान,शक्ति नगर जैन मंदिर,बाजनामठ जैन मंदिर, संजीवनी नगर जैन मंदिर,गढ़ा जैन मंदिर, पुरवा जैन मंदिर,आमनपुर जैन मंदिर, शास्त्रीनगर जैन मंदिर, अधारताल जैन मंदिर,कंचन बिहार जैन मंदिर के प्रतिनिधि की उपस्थिति में दिल्ली,शाहगढ़, सागर,बंडा,रहली हटा,इंदौर से पधारे सैकड़ों भक्तों द्वारा मुनि श्री का पाद प्रक्षालन एवं श्री फल अर्पण किया, ततपश्चात आगत अतिथियों का चातुर्मास कमेटी द्वारा श्री फल,तिलक व स्मृति चिन्ह देकर अथिति सम्मान किया गया ।
इस अवसर पर अपनी मंगल देशना में
उपाध्याय 108 श्री विरंजन सागर जी महाराज द्वारा समस्त उपस्थित श्रावको को आशीर्वाद देते हुए आव्हान किया कि आगामी चार माह आप सब धर्म की इस बहती गंगा में अपने बुरे कर्मो का शमन कर उनसे मुक्त हो सकते हैं।
इस अवसर पर नन्हे मन्दिर की नवकार महिला मंडल एवं बालिका मंडल की बहू- वेटियों की सुपरसिद्ध जैन धार्मिक कथाओं पर आधारित सती मैना सुंदरी, एवं राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ महावीर जी सहित अनेको कथानक पर आधारित मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने उपस्थित जनसमूह का मनमोह लिया एवं प्रशंसा प्राप्त की ज्ञात हो कि इसी नवकार मंडल द्वारा मुनि संघ के आगमन पर विशेष बेंड दल बना कर प्रस्तुतियां दी थीं।
इस सफल कार्यक्रम के सानन्द सम्पन्न होने पर चतुर्मास अध्यक्षा श्रीमती निधि सुनील तार बाबू एवं संजय चौधरी द्वारा समस्त उपस्थितों का आभार प्रकट किया।

भक्तामर की क्लास शुरू
नन्हे मन्दिर जी में 23 जुलाई सुबह 8.30 बजे से 9.30 बजे तक कालजयी जैन धर्म स्तोत्र भक्तामर की क्लास मुनि 108 श्री विरंजन सागर जी द्वारा संपादित की जावेगी ज्ञात हो कि साधारण श्रावक गणों के लिए
भक्तामर सूत्र का शुद्ध पठन पाठन व बाचन मुश्किल होता है गुरु के निर्देशन में इसका अभ्यास करना सौभाग्य की बात है। उलेखनीय है कि भक्तामर के ऊपर अनेक डॉक्टरेट हो चुकी हैं व निरन्तर जारी है कहा जाता है शुद्ध उच्चारण से अनेक असाध्य रोग व शोक से यह मंगल सूत्र रक्षा करने में समर्थ है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here