Home धर्म प्राकृत विद्या शिक्षण शिविरों का हुआ समापन समारोह

प्राकृत विद्या शिक्षण शिविरों का हुआ समापन समारोह

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टीकमगढ़ (विश्व परिवार)। टीकमगढ़ 11मई से 18 मई तक संचालित शिविरों का विधिवत समापन समारोह आयोजित हुआ ।
प्राकृत भाषा की लोकप्रियता को समझते हुए पुनः श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर अहिंसा स्थली टीकमगढ़ में शिविर 19 मई से आयोजित हैं ।
भारत भाषाओं का समृद्ध देश है । जहां भाषाओं की विविधता शब्दों के मधुर अर्थ और ध्वनियों को देने वाली है । जिस प्रकार से प्रत्येक कार्य का मुख्य होता है वैसे ही प्रत्येक ध्वनि का मुख होता है । प्रत्येक जीवन का मुख होता है । प्रत्येक मार्ग का प्रवेश द्वार होता है वैसे ही भाषाओं का कोई ना कोई मुख्य द्वार जरूर होना चाहिए । मुख्य द्वार वही है जो सहज हो जो स्वयमेव निसृत हो । जिसके लिए सीखना ना पड़े । स्वयं में भी सीख कर बोलना समझना प्रारंभ कर दे । इन्हीं ध्वनियों की सहज रूप से बोलियां निकली है । इन्हीं बोलियां में प्राकृत नाम की एक क्षेत्रीय बोली है, जो अपने विस्तृत रूप में है । प्राकृत में बोली से आगे बढ़कर भाषा का रूप लिया है । प्राकृत ने बड़ी सहजता रखी । विभिन्न प्रांतो और क्षेत्रों की ध्वनियों को सम्मिलित करते हुए शौरसेनी अर्ध मागधी मागधी पैशाची आदि में विस्तार किया । इन सभी में साहित्य की खूब रचना हुई । यही कारण है कि प्राकृत भाषा भारत की नसों में बह रही है ।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए भारतवर्ष के विभिन्न अंचलों में प्राकृत भाषा के शिविरों का आयोजन किया जा रहा है । प्राकृत भाषा के उत्थान संवर्धन और संरक्षण के लिए इन शिविरों की उपयोगिता शिवरार्थियों ने अपने अनुभव में बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत की और भाषा को सीखने में अपनी रुचि को भी सभी के सामने व्यक्त किया । ऐसे शिवरों का आयोजन निरंतर होते रहना चाहिए इस बात की भी उन्होंने पुष्टि की । राष्ट्रीय संयोजक डॉ आशीष आचार्य शाहगढ़ ने शिविरों की रुपरेखा के साथ डॉ सोनल जी शास्त्री अरुण जी ममता जी शैलेश जी आदि के साथ शिविरों में महत्वपूर्ण भूमिका ब्रह्मचारी संजय सुखदा राजेश भुट्टों दिनेश अल्ली संतोष अहिंसा मोना जैन किरण जैन अंचल जैन डॉक्टर नरेंद्र जैन डां दीपिका जैन धर्मेंद्र जैन सुरेश कुमार जैन प्राचार्य संजय सुविद्या विकास जैन राजकुमार जैन डॉ राजेन्द्र जी, अभिलाषा जी, धीरेन्द्र जी, शिखर जी, अखिलेश जी डॉ दिलीप जी,अशोक जी आदि सभी की रही ।
क्षेत्रीय संयोजक डां निर्मल शास्त्री ने सभी का हृदय से आभार व्यक्त किया और इस संकल्प के साथ कि प्राकृत भाषा विकास में ऐसे शिविरों का आयोजन वर्ष में दो बार होगा ।

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