टीकमगढ़ (विश्व परिवार)। प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन एवं अखिल भा. दिगंबर जैन शास्त्री परिषद के तत्वाधान में श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र नैनागिरीजी में प्राकृत विद्या शिक्षण शिविरों आचार्य श्री समयसागर जी वसुनंदी जी आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी और प्राकृत आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज के आशीर्वाद और प्रेरणा से सामूहिक समापन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। बुंदेलखंड के अनेक अंचलों में प्राकृत विद्या शिक्षण शिविरों का आयोजन सागर शहर की वर्धमान कॉलोनी, बालक कांप्लेक्स, बालक हिल व्यू, रामपुरा वार्ड, नेहा नगर,अंकुर कॉलोनी तिलकगंज, शाहगढ़, अमरमऊ, हीरापुर, मददेवरा, टीकमगढ़ आदि अनेक स्थानों पर प्राकृत शिविरों का आयोजन किया गयाl कुल 20 स्थानों पर शिविर केंद्र बनाए गए जिसमें लगभग 75 स्थानीय मंदिरों से जुड़े महानुभावों ने शिविरों में भाग लिया। कार्यक्रम के अतिथि के रूप में श्री देवेंद्र लुहारी, श्री संतोष जैन बैटरी, श्री जयकुमार जैन राजश्री पात्रहाउस, श्री राजकुमार जैन पड़ेले, श्री सुनील जैन शाहगढ़, श्री शिवप्रसाद जैन, श्री अशोक जैन शाहगढ़, श्री अशोक जैन नेहानगर, श्री विजय जैन शिक्षक शाहगढ़, डॉ आशीष जैन शास्त्री बम्होरी, आशू जैन शास्त्री बम्होरी आदि अतिथि उपस्थिति हुए। अध्यक्षता डॉ ऋषभचंद जैन फौजदार द्वारा की गई। राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर आशीष जैन आचार्य ने बताया कि प्राकृत शिक्षक शिविरों में लोगों ने बढ़-चढ़ करके भाग लिया प्राकृत भाषा के मूल सूत्रों को जाना। क्षेत्रीय संयोजक डॉ निर्मल जैन टीकमगढ़, विजय जैन शास्त्री शाहगढ़, अनिल जैन शास्त्री सागर ने कुशल शिविरों का संयोजन किया।
यह शिविर प्राकृत भाषा के संवर्धन के लिए और प्राकृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उपक्रम का मूर्त रूप है।
प्राकृत भाषा जो कि भारत देश प्राचीनतम भाषा है। उसे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में शास्त्री भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। उस प्राकृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए और प्राकृत में निहित भारतीय ज्ञान परंपरा के तत्वों को निकालने के लिए प्राकृत विद्या शिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
इन शिवरो में देश भर से अध्यापन कराने के लिए लगभग 50 विद्वान पहुंचे हैं जो जगह-जगह पर पहुंचकर प्राकृत विद्या को सिखा रहे हैं प्राकृत विद्या के प्रति जन समूह में काफी उत्साह है लोगों की रुचि बड़ी है और धीरे-धीरे प्राकृत की लोकप्रिय भी बढ़ रही है। इन शिविरों के फाउंडेशन के प्रकाशन मंत्री डॉ शैलेश जैन जैन बांसवाड़ा ने कहा की प्राकृत भाषा जन-जन की भाषा है इसे हम जन-जन तक पहुंचाने के कार्य में लगे हुए हैं।