- दस दिवसीय जैन रामायण कथा का दूसरा दिन – उमडे श्रद्धालु – उप महापौर पुनीत कर्णावट ने लिया आशीर्वाद -सायंकाल हुई महाआरती एवं भक्ति संध्या में झूमे श्रद्धालु-
- प्रतिदिन प्रातः 8.15 बजे से 10.15 बजे तक हो रहा आयोजन – 27 मई को होगा भव्य समापन
जयपुर (विश्व परिवार)। राजस्थान जैन युवा महासभा, जैन कनेक्ट, दुर्गापुरा जैन मंदिर ट्रस्ट एवं महिला मंडल दुर्गापुरा के संयुक्त तत्वावधान में दिगम्बर जैन मुनि जयकीर्ति के मुखारबिंद से गुलाबी नगरी जयपुर की पुण्य धरा पर पहली बार दुर्गापुरा के श्री दिगम्बर जैन मंदिर चन्द्र प्रभजी में दस दिवसीय जैन रामायण कथा का आयोजन चल रहा है। कथा में दूसरे दिन मुनि जयकीर्ति महाराज ने युवराज राम के राज्याभिषेक की चर्चा सहित राम के वनवास पर प्रकाश डाला। इस मौके पर बडी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
दुर्गापुरा दिगम्बर जैन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रकाश चांदवाड एवं मंत्री राजेन्द्र काला ने बताया कि रविवार, 18 मई से मंगलवार, 27 मई, 2025 तक प्राचीन जैन ग्रन्थ ‘पद्मपुराण’ पर आधारित जैन रामायण कथा के भव्य संगीतमय आयोजन मे दूसरे दिन सोमवार को भगवान चन्द्र प्रभू के चित्र का अनावरण समाज श्रेष्ठी एवं आदिनाथ टीवी चैनल के निदेशक पवन गोधा, सुशील गोधा दिल्ली एवं मनीष वैद खण्डेला मंदिर दिल्ली द्वारा किया गया। दीप प्रज्वलन पूर्व आयकर आयुक्त एवं प्रसिद्ध समाजसेवी जी सी जैन – विशल्या जैन, संजय – अल्का जैन एवं अन्य सभी अतिथियों ने किया।
ब्रह्मचारिणी पल्लवी दीदी द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया।
मुनि श्री जयकीर्ति महाराज के पाद पक्षालन पं. सुरेश मिश्रा, उप महापौर पुनीत कर्णावट, दुर्गापुरा जैन मंदिर ट्रस्ट कमेटी, राजा श्रेणिक परिवार ज्ञान चन्द झांझरी – पंकज – प्रीति झांझरी बापूनगर वालो ने किया।
इस मौके पर आयोजन समिति की ओर से प्रदीप जैन, विनोद जैन कोटखावदा,चेतन जैन निमोडिया, एडवोकेट अंकुर पाटनी, अनुज जैन, अतीव जैन, प्रकाश चांदवाड, राजेन्द्र काला, नरेश बाकलीवाल, सुनील संघी, विमल गंगवाल, दीपिका जैन कोटखावदा, चंदा सेठी, रितु चांदवाड, वर्षा अजमेरा, रेखा पाटनी, सीमा सेठी, मोना चांदवाड, प्रेम देवी बाकलीवाल, सुशीला काला आदि ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया।
इस मौके पर ज्ञान चन्द झांझरी, प्रदीप जैन, विनोद जैन कोटखावदा, जी सी जैन,ग्रेटर नगर निगम उप महापौर पुनीत कर्णावट ,सर्व ब्राह्मण महासभा के पं. सुरेश मिश्रा, मनोज सोगानी, चेतन जैन निमोडिया आदि ने श्रीफल भेट कर मुनि श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।
तत्पश्चात कथा के मुख्य श्रोता राजा श्रेणिक के रुप में समाज श्रेष्ठी ज्ञान चन्द झांझरी – कमला झांझरी, पंकज – प्रीति झांझरी बापूनगर वालो
का गाजों बाजों के साथ सभागार में जयकारों के बीच आगमन हुआ।
राजा श्रेणिक परिवार एवं विमल कुमार – सुशीला देवी पोद्दार नैनवा वाले परिवार द्वारा मुनि श्री को जिनवाणी भेट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। तत्पश्चात राजा श्रेणिक बने पंकज – प्रीति झांझरी ने मुनि श्री से प्रश्न किया कि
हे मुनिवर श्री राम का वनवास क्यों और कैसे हुआ? मुनि श्री द्वारा समाधान के रुप में रविषेणाचार्य द्वारा रचित प्राचीन जैन ग्रन्थ ‘पद्मपुराण’ में उल्लेखानुसार जैन रामायण कथा का संगीत के साथ वाचन प्रारम्भ किया।
राम कथा ने लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया…. लोगों में जबरदस्त उत्साह का वातावरण देखने को मिला और फिर शुरू हुई वह मंगल ध्वनि…
गुरुदेव के मुखारविंद से चल रही राम कथा के दूसरे दिन राम कथा की प्रस्तुति थी। कई सारे दृश्य भाव विभोर कर देने वाले थे। वास्तव में प्रभु श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम यूं ही नहीं कहते हैं, पिता की आज्ञा को सर्वोपरि मानते हुए जंगलों की ओर प्रस्थान कर जाते हैं । कैकैई का राजा दशरथ से अपना वर मांगना और राजा दशरथ का वैराग्य होना….. राम का वनवास की ओर निकलना साथ में सीता और लक्ष्मण भी जिद करकें साथ चल पड़े.. होनी को भला कौन टाल सकता है… राह में कैसे कैसे परिदृश्य से गुजरना पड़ा तीनो को….राम के बिना बिलकुल भी दूर नहीं रहने वाले भरत को बहुत दुःख हुआ राम के जाने का…. उनको भी संसार से वैराग्य होता और धुति आचार्य भरत को सम्बोधन करते हैकि संसार के सारे जीव धर्म को पाकर ही मुक्त हो सकते हैं जितने भी सिद्ध मुक्त हुए हैं उन सभी ने भी धर्म की शरण ली… धर्म का आश्रय लिया….. और मुक्त हो
गए। गुरु देव नेे दान का महत्व भी समझाया। रात्रि भोजन त्याग के महत्व को भी समझाया पूजन के अष्ट द्रव्य का फल बहुत ही अच्छी तरह से समझाया…. मंदिर में जाने के भाव होना और उसे मूर्त रूप देकर के भगवान के साक्षात दर्शन करने का फल एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं तो अनेक अनेक उपवासो का फल हमें प्राप्त होता जाता है… जिनेंद्र भगवान की शरण ही अचिंत्य फलों को देने वाली है….
प्रभु राम बियावान घनघोर जंगलों से होते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे राह में आने वाले हर पथिक को मोक्ष मार्ग का उपदेश भी देते चल रहे थे कहां तो राज्याभिषेक अभिषेक होने वाला था महलो के सुख भोगने थे और कहां वनवास…. सती सीता भी राम का एक अर्धांगिनी की तरह साथ दे रही थी और भाई लक्ष्मण भी कदम से कदम साथ में चल रहे थे……
गुरुदेव एक-एक दृश्य से ऐसा रूबरू करा रहे थे जैसे प्रभु श्री राम हमारे सामने हो और सारी घटनाएं हमारे सामने ही घटित हो रही हो इतनी शानदार प्रस्तुति….बीच-बीच में बहुत ही मधुर संगीत….. ह्रदय छू लेने वाले प्रसंग रहे…….. अदभुत…. अनुपम….. ”
मुनि श्री ने गद्य एवं पद्य के माध्यम से मांगी तुंगी तीर्थ से मोक्ष गये जैन धर्म के आठवें बलभद्र श्री रामचन्द्र के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला।
प्रातः 11.30 बजे कथा का समापन हुआ ।तत्पश्चात आयोजन का मंच संचालन कर रहे राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा, मनीष सोगानी ने सायंकालीन एवं सोमवार को होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी।
आभार विनोद जैन कोटखावदा, राजेन्द्र काला एवं अनुज जैन ने व्यक्त किया।
राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप जैन एवं महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि सायंकाल 7.00 बजे राजा श्रेणिक परिवार ज्ञान चन्द – कमला झांझरी, पंकज – प्रीति झांझरी एवं उपस्थित सैकडो श्रद्धालुओं द्वारा जिनेन्द्र देव की आरती के बाद मुनि श्री की भव्य आरती की गई।
गुरु भक्ति के आयोजन के बाद आध्यात्मिक एवं संदेशात्मक भजनों की प्रस्तुति दी गई।
जैन कनेक्ट के अध्यक्ष एडवोकेट अंकुर पाटनी एवं महामंत्री अतीव जैन ने बताया कि इस दस दिवसीय आयोजन के मुख्य संयोजक अनुज जैन, संयोजक मनीष सोगानी,संदीप पाटनी, कमलेश जैन, दीपिका गोधा को बनाया गया है।
राजस्थान जैन युवा महासभा के जिला अध्यक्ष संजय पाण्डया एवं जिला मंत्री सुभाष बज के अनुसार जयपुर से पूर्व पद्मपुराण पर आधारित जैन रामायण कथा संगीतमय का आयोजन मुम्बई, नागपुर, पटना सहित अन्य कई शहरों में किया जा चुका है। कथा के संगीतमय आयोजन के लिए कर्नाटक से संगीतकारों की टीम बुलाई गई है ।
पद्मपुराण में है जैन रामायण का पूरा उल्लेख
देश की पहली महिला विधानाचार्य पल्लवी दीदी ने बताया कि पद्मपुराण चार अनुयोग में एक अनुयोग है
प्रथमानुयोग में भगवान महावीर स्वामी के परम्परा के मूल आचार्य है इनके द्वारा रचित ग्रंथ ही पद्मपुराण है
भगवान महावीर के समवशरण में राजगृही के राजा श्रेणिक ने मुख्य श्रोता के रूप में ६०००० प्रश्न पूछे उन्हीं प्रश्नों के उत्तर में अनेक समाधानों के साथ में ८ वे बलभद्र श्री राम के चरित्र के रूप उद्घाटित हुवा
राम का ही एक नाम पद्म था परंतु लोक प्रचलित उनका नाम राम के रूप में प्रसिद्ध हैं जैसे सूरज सारे संसार के लिये मान्य है, पूरे संसार को प्रकाशित करता है सभी की आवश्यकता सूर्य का प्रकाश है उसी प्रकार महापुरुष राम सर्व मान्य और सर्व पूज्य है
पद्मपुराण के रचेता श्री रविषेणाचार्य स्वामी की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली द्वारा प्रकाशित पद्मपुराण भाग १,२,३ की सभी प्रस्तावनाओं का पूरी श्रद्धा एवं मनोयोग के साथ एकाग्रता पूर्वक चिंतन ,मनन ,स्वाध्याय करे
मुनि जयकीर्ति ने शाश्वत सिद्ध क्षेत्र श्री सम्मेद शिखर जी की लगातार की 261 वन्दना
मुनि जयकीर्ति महाराज ने बहुत तपस्या की है।उनकी त्याग, तपस्या एवं साधना के क्षेत्र में अलग पहचान है।
श्री तीर्थराज सम्मेद शिखरजी के पर्वत पर गुरुदेव ने लगातार 1 साल 16 दिन तक अर्थात 381 दिन तक प्रवास कर पर्वत की 261 वन्दना की है। इन 381 दिन लगातार गुरुदेव पर्वत पर रहे। उन्होंने पर्वत पर एक एक टोकडे की 108 बार परिक्रमा तथा पर्वत पर 26 बार आठ दिवसीय सिद्ध चक्र महामण्डल पूजा विधान किया गया है। शाश्वत सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखर पर्वत की 108 बार परिक्रमा की है। बद्रीनाथ धाम पर स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि श्री जयकीर्ति के सानिध्य में पहली बार किसी दिगम्बर जैन संत द्वारा आठ दिवसीय सिद्ध चक्र महामण्डल विधान का आयोजन किया गया है।