Home धर्म अनुकम्पा सम्यक दृष्टि का एक लक्षण है-मुनि श्री योगसागर

अनुकम्पा सम्यक दृष्टि का एक लक्षण है-मुनि श्री योगसागर

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सागर (विश्व परिवार)। यदि कोई व्यक्ति या जीव दुखी है कोई उसके दुख हरने का भाव बनाता या अनुकम्पा रखता है वही अनुकम्पा है। जीवो के प्रति करुणा भाव रखना यही अनुकंपा है।अनुकम्पा सम्यक दृष्टि का एक लक्षण है यह बात निर्यापक मुनिश्री योगसागर महाराज ने वर्धमान कालोनी में धर्म सभा में कही।
उन्होंने कहा कि व्यापार के द्वारा आप हमेशा पाप कमा रहे या झूठ बोलकर अनिति पूर्ण व्यवहार करके पाप कमा रहे हैं।एक दिन मंदिर में नहीं आते तो कोई बात नहीं लेकिन अपनी दुकान नीति और न्याय से चलाते हैं यह मंदिर जाने से कम नहीं है। शेर शेर को खाता नहीं है लेकिन आज मनुष्य मनुष्य को खा रहा है। यह अनीति व्यवहार है। कर्म आएँगे और जाएंगे पाप और पुण्य से बचना है तो आपको अपने आपको संभालना होगा। भक्ति से हमें शक्ति मिलती है यह ध्यान रखना। मुनिश्री ने कहा कि धर्मसभा के पाण्डाल में बैठोगे तो पुण्य से बच नहीं सकते हो। आपका मान सम्मान पुण्य की वजह से होता है।
मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया मुनिश्री के मंगल प्रवचन सुबह 8:30 बजे से वर्धमान कॉलोनी के जैन मंदिर में प्रतिदिन हो रहे हैं। आहारचर्या भी वर्धमान कॉलोनी में संपन्न हो रही है।

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