रायपुर (विश्व परिवार)। कल नगरीय निकाय चुनाव के लिए भाजपा द्वारा जारी घोषणा पत्र पर कांग्रेस से ऐसी ही प्रतिक्रिया की आशा थी, जैसी आयी है। इससे अधिक उनके पास कहने को और कुछ है भी नहीं। कांग्रेस ने ‘अटल विश्वास पत्र’ में अटलजी के नाम पर सवाल उठाये हैं। यह उनकी खिसियाहट के अलावा और कुछ नहीं है। भाजपा को अपने संस्थापक अध्यक्ष, भारत रत्न अटलजी पर गर्व है। अटलजी छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता भी हैं। उनके शताब्दी वर्ष पर स्वाभाविक ही घोषणा पत्र उन्हें समर्पित किया गया है। कांग्रेस के पास आज अगर ऐसे किसी चेहरे का अकाल है, तो वह क्या नाम रखेगी भला? तरीके से कांग्रेस को भी कल जारी होने वाले अपने घोषणा पत्र का नाम अपने संस्थापक ‘एलन ऑक्टवियो ह्यूम’ को समर्पित करते हुए जारी करना चाहिये। उसे शर्म क्यों आती है अपने संस्थापक का नाम लेते हुए? क्यों वह अपने स्थापना दिवस पर भी अपने पहले अध्यक्ष को भूल जाती है?
ह्यूमजी का जिक्र करने से कांग्रेस का असली इतिहास लोगों को पता चल जायेगा, इससे डरती है कांग्रेस। अगर यह डर है तो सोनियाजी या राहुलजी के नाम पर ही ले आये मैनिफेस्टो। उन्हें तो बहुत लोकप्रिय मानती है कांग्रेस! किसने रोका हुआ है उन्हें? मैं अक्सर एक बात कहता हूं कि अपने असली इतिहास वाले दो ‘ओक्टावियो’ का योगदान हमेशा छिपाती है कांग्रेस। एक थे उसके संस्थापक ओक्टावियो ह्यूम, और दूसरे थे ऑक्टावियो क्वात्रोकी। दोनों को उनके योगदान के अनुसार याद करने चाहिए कांग्रेस को। यह सही है कि ‘काठ की हांडी’ बार-बार नहीं चढ़ती। पर कांग्रेस की हांडी को अब पहचाना जा चुका है। जनता ने इनकी हांडी तो तोड़ कर फेक दिया है। इनके 2018 के कथित जन घोषणा पत्र का हश्र तो हम सब देख ही चुके हैं। लेकिन लोग शायद भूल गए हैं कि कांग्रेस ने 2019 में निकाय चुनाव में भी एक घोषणा पत्र जारी किया था। जैसे 2018 का कथित जन घोषणा पत्र भारतीय राजनीति के इतिहास में ठगी का सबसे बड़ा दस्तावेज साबित हुआ था, उसी तरह निकायों का इनका घोषणा पत्र छल, प्रपंच और फरेब का ‘डपोशंख पत्र’ था। अब अपने नये ढकोसला पत्र जारी करने से पहले कांग्रेस को यह रिपोर्ट कार्ड भी देना चाहिए कि निकाय चुनाव की घोषणाओं पर क्या-क्या किया, जबकि संविधान की हत्या कर, कानून बदल कर कांग्रेस ने सभी निकायों पर कब्जा कर लिया था। अगर कुछ भी नहीं है उनके पास नगरीय निकाय 2019 के चुनाव घोषणा पत्र पर कहने को, तो कल के उनके दस्तावेज का नाम उन्हें ‘क्षमा याचना पत्र’ रखना चाहिये। यह सलाह अनुचित तो नहीं है न प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए?