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रक्षा मंत्री ने एसआईडीएम के 7वें वार्षिक सत्र में कहा कि सरकार रक्षा उद्योग को निर्यातोन्मुखी बनाने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध

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नई दिल्ली(विश्व परिवार)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत के रक्षा उद्योग को सशक्त बनाने और देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया है। रक्षामंत्री ने 04 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के सातवें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि रूस और यूक्रेन में जो संघर्ष चल रहा है वह इस बात को याद दिलाता है कि रक्षा और औद्योगिक आधार का मजबूत रहना जरूरी है, जिसे समय के साथ मजबूत तथा विस्तारित किया जा सकता है।
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार अपने लगातार तीसरे कार्यकाल में एक मजबूत, अभिनव और आत्मनिर्भर रक्षा तंत्र विकसित करने के लिए अपने मौजूदा प्रयासों को नए सिरे से मजबूती प्रदान करेगी। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के प्रयासों का उल्लेख किया, जिसमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों का निर्माण, सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) जारी करना, आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण, डीआरडीओ द्वारा निजी उद्योगों को सहायता प्रदान करना और रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 को शुरू करना शामिल है।
रक्षा मंत्री ने 5,500 से अधिक मदों के लिए बनाई गई स्वदेशीकरण सूची पर कहा कि इसका मकसद सशस्त्र बलों को स्वदेशी प्लेटफार्मों/उपकरणों से लैस करना है। उन्होंने सूचियों को गतिशील बताते हुए उद्योग जगत से इन वस्तुओं के लिए निर्धारित समय में पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करने और सूची को संक्षिप्त करते रहने का आह्वान किया। उन्होंने उद्योग जगत से उन उत्पादों का आकलन और पहचान करने का भी आग्रह किया जिन्हें दुनिया भर में रक्षा के क्षेत्र में हो रहे तेजी से बदलावों के मद्देनजर स्वदेशीकरण सूची में जोड़ा जा सकता है।
राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार के प्रयासों से कारोबार करने में आसानी के लिए देश में अनुकूल माहौल तैयार हुआ है और भारत के रक्षा उद्योग को निर्यातोन्मुखी बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर ले जाने में निजी क्षेत्र के प्रमुख योगदान की सराहना की। उन्होंने उद्योग जगत से निर्यात और आयात आंकड़ों को ध्यान में रखने और लक्ष्योन्मुखी दृष्टिकोण के साथ दोनों के बीच के अनुपात को कम करने का प्रयास करने का आह्वान भी किया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह काफी खुशी की बात है कि वित्त वर्ष 2023-24 में वार्षिक रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गया। जहां सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों (डीपीएसयू) की हिस्सेदारी एक लाख करोड़ रुपये थी, वहीं निजी कंपनियों ने लगभग 27,000 करोड़ रुपये का योगदान दिया। उन्होंने कहा कि निजी उद्योगों की हिस्सेदारी बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है और अगला लक्ष्य कुल रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को कम से कम 50 प्रतिशत तक लाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में सरकार की तरफ से पूरा समर्थन दिया जाएगा।
विदेशी कंपनियों और मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) को भारत में निवेश करने या निजी उद्योग के साथ संयुक्त उद्यम खोलने के लिए प्रोत्साहित करने पर सरकार के लक्ष्य पर श्री राजनाथ सिंह ने एसआईडीएम से फर्मों के साथ सहयोग के लिए योजना तैयार करने का आह्वान किया। उनका विचार था कि भारतीय उद्योग जगत में विशिष्ट तकनीकों या प्रक्रियाओं को लाने की क्षमता है।
राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) और स्टार्ट-अप की क्षमता की पहचान करते हुए व्यापार करने में उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों को स्वीकार किया। उन्होंने एसआईडीएम से मूल मुद्दों को हल करने और सरकार के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हमारी नीतियां जमीनी स्तर पर व्यापार करने में आसानी में तब्दील हों। एसआईडीएम स्टार्ट-अप और एसएमई के सामने आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों की पहचान करने में मदद कर सकता है ताकि हम उनका समाधान कर सकें।”
राजनाथ सिंह ने उद्योग जगत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), साइबर डिफेंस और स्वायत्त प्रणालियों जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में अधिक निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “भारत के रक्षा उद्योग को वैश्विक रुझानों के साथ तालमेल रखना चाहिए और उच्च तकनीक पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एआई और स्वायत्त प्रणालियों जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है, जिनकी भविष्य में लड़े जाने वाले युद्धों में निर्णायक भूमिका होगी और सरकार इस क्षेत्र में हर प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।”
रक्षा मंत्री ने सत्र के दौरान एसआईडीएम चैंपियन पुरस्कार भी प्रदान किए, जो रक्षा विनिर्माण में उत्कृष्ट उपलब्धियों का परिचायक है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार भारतीय निर्माताओं के समर्पण और उत्कृष्टता का प्रतिबिंब है, जो इस क्षेत्र में सर्वोत्तम विधियों के लिए एक बेंचमार्क के रूप में काम करेंगे।
इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, एसआईडीएम अध्यक्ष राजिंदर सिंह भाटिया और उद्योग जगत के दिग्गज कारोबारी मौजूद थे। इस सत्र का विषय ‘भारतीय रक्षा उद्योग को सशक्त बनाना: निर्यात और स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देना’ था। यह वैश्विक रक्षा निर्यातक और नवाचार केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका पर चर्चा करने के लिए हितधारकों को मंच प्रदान करता है।

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