रायपुर (विश्व परिवार)। छत्तीसगढ़ पुलिस के नए मुखिया 1992 बैच के आईपीएस अरुण देव गौतम ने बुधवार को डीजीपी पद की जिम्मेदारी संभाल ली है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि थानों में पोस्टिंग के लिए किसी तरह की सिफारिश नहीं चलेगी। काम के आधार पर एसपी उनकी पोस्टिंग करेंगे।
अगर किसी थाने में एफआईआर करने के लिए पैसा लिया और इसकी शिकायत मिलेगी, तो इसमें सबसे पहली जिम्मेदारी थानेदार की तय की जाएगी। उनके ऊपर सीधे कार्रवाई होगी। उसके बाद जांच की जाएगी। पुलिसिंग में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे। डीजीपी देव ने यह बातें दैनिक भास्कर के प्रमोद साहू विशेष बातचीत में कहीं। उन्होंने पुलिस की कार्यशैली समेत तमाम मद्दों से जुड़े सवालों के जवाब दिए। यहां बातचीत के प्रमुख अंश…
आपकी क्या प्राथमिकताएं रहेंगी?
डीजीपी: हर पुलिस वाले की प्राथमिकताएं तय हैं। परित्राणाय साधुनाम ही पुलिसिंग का मूल मंत्र है। इसी के अनुसार काम होगा।
राज्य के अधिकांश थानों को लेकर शिकायतें आती रहती हैं?
थाने में आने वाली हर शिकायत को गंभीरता से लिया जाएगा। पैसे लेकर एफआईआर की कहीं से भी शिकायतें आती हैं तो थानेदार की पहली जिम्मेदारी तय की जाएगी। उसके ऊपर कार्रवाई होगी। उसके बाद जांच होगी। परित्राणाय साधुनाम की तर्ज पर ही काम होगा। पुलिसिंग में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं है।
थानों में पोस्टिंग के लिए हर कोई सिफारिश लगा रहा है, क्या कहेंगे?
जिले के एसपी काम के आधार पर पोस्टिंग करते हैं। आगे भी काम और अनुभव के आधार पर ही पोस्टिंग की जाएगी।
विपक्ष कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहा है, कैसे काम करेंगे?
कानून-व्यवस्था बुनियादी स्थिति है। इसे बने रहना चाहिए। इसलिए बेसिक पुलिसिंग पर जोर दिया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी सिर्फ पुलिस की नहीं है। हर नागरिक की यह जिम्मेदारी है।
पुलिस कर्मियों की साप्ताहिक छुट्टी को कैसे अमल में लाएंगे?
इस पर पहले भी काम किया गया है। प्रयास करेंगे कि कर्मचारियों की साप्ताहिक छुट्टी शुरू हो सके।
साइबर क्राइम से कैसे निपटेंगे?
साइबर क्राइम का समाधान सिर्फ जागरुकता है। पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को लगातार साइबर की ट्रेनिंग कराई जा रही है। साइबर कैडर में जल्द भर्तियां की जाएंगी।
2026 तक नक्सलमुक्त प्रदेश का लक्ष्य है, रणनीति रहेगी?
नक्सलवाद से मुक्त छत्तीसगढ़ की रणनीति पहले से तय है। उसी को आगे बढ़ाया जाएगा। केंद्र और राज्य सरकार इस दिशा में काम कर रही है। नक्सलवाद की जमीन सिमट रही है। लोग नक्सलियों को अच्छी तरह से समझ चुके है।