कोल्हापूर(विश्व परिवार)। भारत सहित पुरे विश्व में अपने प्रवचन के माध्यम से जैन दिगंबराचार्य विशुद्धसागर जी महाराज एवं मुनि श्री आदित्यसागर महाराज जी इन दोनों का एक ऐसा नाम हुआ हैं, जिनकी लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। अखबारों मे हो या फिर सोशल मीडिया का प्लेटफार्म, हर जगह आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज एवं मुनि श्री आदित्यसागर महाराज जी का जिक्र होता हुआ मिल जाएगा। उनके प्रवचन में जहां सैकड़ों-हजारों श्रावक – श्राविकाओं की भीड़ होती है। तो वहीं सोशल मीडिया पर उन्हें फॉलो करने वाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुंची है। उसका यह कारण है की उनमें वह सभी योग्यता है, जो एक मोटिवेशनल प्रवचनकार को आम लोगों के बीच में लोकप्रिय बनाती है। दिगंबराचार्य विशुद्धसागर जी महाराज एवं श्रुतसंवेगी आदित्य सागर जी महाराज (गुरू – शिष्य) जो 24×7,365 दिन पुरे विश्व में ज्ञान की गंगा प्रवाहीत कर रहे है।
चर्या शिरोमणी आचार्य भगवन विशुद्धसागर महाराज जी के अनमोल रत्न श्रुतसंवेगी श्रमण श्री आदित्यसागर जी महाराज जी के प्रवचन सोशल मीडिया पे देखकर – सुनकर मैं बहोत ही प्रभावीत होता था। और उस व्हिडीओ को व्हाट्सअँप स्टेटस और इंस्टाग्राम स्टोरी पर लागाता था।
मूझे आदित्यसागर महाराज जी कौन से संघ में है, उनका चातुर्मास और उनका विहार कहा हो रहा है यह कुछ भी पता नही था। चर्या शिरोमणी आचार्य विशुद्ध सागर महाराज जी ससंघ का नांदणी (महाराष्ट्र ) में चातुर्मास प्रारंभ हुआ तब में हररोज आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी के प्रवचन लिखकर के वर्तमानपत्र और जैन मॅगझीन में प्रसिद्ध करना प्रारंभ किया।
आचार्य श्री के ग्रंथ पढना शुरु किया तब मूझे ज्ञात हुआ की आचार्य भगवन विशुद्धसागर महाराज जी के अनमोल रत्न है श्रुतसंवेगी श्रमण श्री आदित्यसागर जी महाराज। जीन आचार्य भगवन विशुद्ध सागर महाराज जी की चर्या और विशाल संघ देखकर में प्रभावीत हुआ था और जीन आदित्य सागर जी मुनीराज के वचनों को सुनकर के मूझे मोटीवेशन मिलता है, वो दोनों गुरू – शिष्य है यह जानकर मूझे बहुत प्रसन्नता हुई।
आप दोनों गुरू – शिष्य जीवन की सच्चाई / फॅक्ट बताते हो। इस वजह से युवा वर्ग बहोत ही इन्स्पायर होते हैं। मैं आचार्य विशुद्ध सागर महाराज जी को वर्तमान के महावीर स्वामी और आदित्य सागर महाराज जी आपको वर्तमान के गौतम गणधर स्वामी मानता हुं।
मेरा हमेशा यही प्रयास रहेगा की जब तक मूझे साध्य होगा तब तक मैं आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी और आदित्यसागर महाराज जी के प्रवचन लिखकर के लाखो श्रावक – श्राविकाओं तक पहूँचाकर जीन धर्म की प्रभावना करुं। गुरुवर आपका आशीर्वाद हमेशा हम सभी को मिलता रहे। आपके चरणो में कोटी कोटी नमन।
श्रुतसंवेगी आदित्य सागर महाराज जी नें अपने प्रवचन में कहा की सज्जन लोगों के शब्द, भाव, स्वभाव और काम सज्जनता से भरे होते हैं। दुर्जन लोगों के शब्द, भाव, स्वभाव और काम दुर्जनता से भरे होते हैं। सही बात है – अच्छे लोगों को बुरे काम और बुरे लोगों को अच्छे काम कभी पसंद नहीं आते।
किसी भी व्यक्ती को उसके कद, उसकी उम्र, या उसकी वर्तमान स्थिती से कभी मत आंकना, कई बार बडे व्यक्तित्व को पहचाननें में चुकना आपके जीवन की सबसे बडी गलती हो सकती है। सही बात है – बडे व्यक्तित्व को पहचानना बहुत कठिन काम है।
आध्यात्मयोगी,चर्या शिरोमणि श्री विशुद्धसागर जी महाराज का विहार श्रवणबेलगोला से जैनरगुत्ती (कर्नाटक ) की ओर चल रहा है। आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज के प्रज्ञावंत शिष्य श्रुतसंवेगी श्रमणरत्न मुनि श्री आदित्यसागर जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार धर्म नगरी कोटा से अशोक नगर (म. प्र) की ओर चल रहा है।