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गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के शिष्य डॉ. जीवन प्रकाश जैन जी ने अमेरिका के अटलांटा में दसलक्षण पर्व में किए अनेक संबोधन

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कोल्हापूर(विश्व परिवार)। सर्वोच्च जैन साध्वी गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के शिष्य डॉ जीवन प्रकाश जैन जंबुद्विप हस्तीनापूर ने इस बार अमेरिका के जॉर्जिया स्टेट में अटलांटा स्थित भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर में जैन धर्म की मेहतित भावना करते हुए दशलक्षण पर्व सानंद सम्पन्न किया।
प्रतिदिन अटलांटा में रहने वाले भक्तों ने दूर दूर से आकर दशलक्षण पर्व का आनंद उत्साह से मनाया | प्रात: काल डॉ जीवन प्रकाश जैन जी के निर्देशन में दशलक्षण धर्म का विधान प्रतिदिन संपन्न किया गया | साथ ही सोलह कारण की पूजा, पंचमेरू की पूजा आदि नियमित पूजाए भी प्रतिदिन सानंद संपन्न हुई। विशेष रूप से दशलक्षण के मध्य शनिवार एवं रविवार को दो मंडल विधानोंका आयोजन किया गया। शनिवार को मनोकामना सिद्धी महावीर मंडल विधान के साथ संपन्न किया गया | एवं रविवार को ऋषि मंडल विधान उत्साह के साथ सभी भक्तों ने मांडले पर अर्घ्य चढ़ाते हुए संपन्न।किया। इसी प्रकार दशलक्षण पर्व में प्रतिदिन सायंकाल भगवान की मंगल आरती संपन्न हुई | एवं रात्रि दशधर्म के उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग,आकिंचन्य और ब्रह्मचर्य इन दशधर्मों पर लेक्चर सीरीज संपन्न हुई। इसके साथ ही भगवान वृषभ देव के दश अवतारों पर भी डॉक्टर जीवन प्रकाश जी ने भक्तों को 10 दिन तक प्रतिदिन एक ही प्रकार की गाथा सुनाकर कथा सुनाकर सभी भक्तों को भगवान वृषभ देव के पूर्व भवोका अनुस्मरण कराया। साथ ही भगवान वृषभ देव के पूर्व भवो के इन संस्मरणो से अपने जीवन में भी अनेक प्रेरणाये लेने की बात बताई |
ज्ञात होवे कि जैन धर्म परिणामों पर आधारित है। जीस व्यक्ति के मन में जो परिणाम होते हैं,अर्थात जो भाव होते हैं उसी के आधार पर उसे कर्म सिद्धांत के अनुरूप फल प्राप्त होता है | इसलिए जैन दर्शन में आत्मा के दस गुण बताए गए हैं | जिसमें उत्तम क्षमा हमारी आत्मा का एक गुण है। क्रोध नहीं करना और उत्तम क्षमा को धारण करना और अपने जीवन को सफल करना | उत्तम मार्दव हमारे जीवन में मान नहीं करने की प्रेरणा देता है | उत्तम आर्जव हमारे जीवन में मायाचारी से बचने की और मायाचरी नहीं करने की, छल कपट का भाव नहीं रखने की प्रेरणा प्रदान करता है।
इसी के साथ उत्तम सत्य अपने जीवन में सत्य वचन बोलने के लिए और उसके साथ हित, मित्र, प्रिय वचन बोलने की प्रेरणा प्रदान करता है। उत्तम शौच धर्म आत्मा की पवित्रता के लिए लोभ से दूर रहने की बात करता है| उत्तम संयम धर्म अपने पांच इंद्रीयों को संयमित करने की बात कह कर इस जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को, प्रत्येक मनुष्य को एक अच्छा जीवन जीने की, संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करता है।
उत्तम तप धर्म प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में तपस्या यानी की उपवास, एकासन आदि करके अपने इंद्रियो के नीरोध करने की प्रेरणा प्रदान करता है। उत्तम त्याग धर्म दान पर आधारित है, जो अपने जीवन में चार प्रकार के दानों को देना इस बात को बताता है | और उत्तम आकिंचन्य धर्म जो हमारे इस संसार में जितना भी कुछ है वो इस संसार में सब कुछ नश्वर है | इसलिए किंचित भी संसार में मेरा नहीं। ऐसा भाव उत्तम आकिचन्य धर्म से प्राप्त होता है | और अंत में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म जिसमें ब्रह्म अर्थात आत्मा और चर्या करने वाले जो भक्त हैं उसे वो अपने जीवन में समस्या, सुख, शांति और सिद्धि को प्राप्त करते हैं,गुणों को प्राप्त करते हैं |
इस प्रकार प्रतिदिन अनेक व्याख्याओं के साथ में अटलांटा के दिगंबर जैन समाज के भक्तों को डॉ जीवन प्रकाश जैन जी ने संबोधन देकर के जैन धर्म के मर्म को समझाया और अत्यंत ही सानंद संपन्नता के साथ, सफलता के साथ दशलक्षण पर्व अटलांटा शहर में डॉक्टर जीवन प्रकाश जैन साहब के निर्देशन में सानंद संपन्न हुआ। अंत में। अंत में आश्विन शुक्ला एकम को भगवान ऋषभ देव का मस्तका अभिषेक करके सभी लोगों ने क्षमावाणी पर्व मनाया और रात्रि में सांस्कृतिक प्रोग्राम के माध्यम से सभी लोगों ने खूब आनंद लिया। इस अवसर पर जिन लोगों ने दशलक्षण पर्व में उपवास, एकासन आदि व्रत किये उन तपस्वीयोंका सन्मान करके उनकी अनुमोदना कि गयी और कार्यक्रम सानंद संपन्न हुआ।

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