पुणे (विश्व परिवार)। शाकाहार के प्रचार प्रसार में अग्रणी डॉक्टर कल्याण गंगवाल को पुणे में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में सारस्वताचार्य श्री देवनदी गुरुदेव के सानिध्य में अहिंसा करुणा रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने यह पुरस्कार अपनी धर्मपत्नी चंद्रकला गंगवाल के साथ स्वीकार किया।
महाराष्ट्र के डॉक्टर कल्याण गंगवाल का नाम जीव दया परोपकार शाकाहार के क्षेत्र में कार्य करने के प्रति कोई नया नहीं है। 81 वर्ष की उम्र में भी सदैव कार्यरत है वह अपने आप में अनुपम हैं। सर्वजीवमंगल प्रतिष्ठान के माध्यम से उन्होंने महाराष्ट्र में 200 स्थानों पर होने वाली देवी देवाताओ के सामने होने वाली बलि प्रथा को रोक दिया हैं।। हाल ही में मकर संक्रांति पर इनके द्वारा चाइनीस मांझे से घायल पशुओं को जीव दान दिया।इनकी जितनी उम्र है उससे कई गुना अधिक इन्हें पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। आज तक करीबन 125 राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके है। नेपाल बॉर्डर पर जाकर भी इन्होंने पशु बलि प्रथा रोकने की लोगों से अपील की एवम हजारों प्राणियों को अभयदान दिया। इनके कार्यों की प्रशंसा आचार्य श्री ने स्वयं अपने मुख सी की।
अपने लिए तो सब जीते हैं लेकिन प्राणी मात्र के प्रति करुणा और उनके लिए कार्य करना सहज नहीं होता सभी धर्मों का मूल दया है यह डॉक्टर गंगवाल ने चरितार्थ कर जीवन में उतारा। इस कार्य के लिए उन्होंने अपना तन मन धन सभी समर्पित कर दिया यहां तक कि उनके द्वारा अपनी आमदनी का 50 फीसदी धन इसी कार्य में लगाया जाता हैं l पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव को सफल बनाने में श्री मनीष बड़जात्या, श्री विनय चूड़ीवाल, स्वपनिल पाटनी, शीतल लुहाड़िया, देवेंद्र बाकलीवाल आदि का विशेष सहयोग रहा।