Home धर्म गुरु कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सरल से सरल मार्ग बताते...

गुरु कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सरल से सरल मार्ग बताते हैं प्रिय बचन ही उत्कृष्ट बचन बनते हैं :- मुनि श्री समता सागर जी महाराज

48
0

रायपुर (विश्व परिवार)। मां कभी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं करती, दूध में पानी वह स्नेह भाव से मिलाती है जिससे बच्चे को दूध पच सके उसी प्रकार जीवन में किस व्यक्ति से क्या कार्य लिया जाऐ यह गुरु ही समझ सकता है,वह किसी की उपेक्षा नहीं करता,वल्कि किस व्यक्ति से कौनसा कार्य कराना है इस बात को वह अच्छी तरह समझते है,यथायोग्य कार्य देकर समाज को जोड़ने का कार्य करते है।
आतम बने परमात्मा,हो शांती सारे देश में, है देशना,सर्वोदयी महावीर के संदेश में” मुनि श्री ने कहा कि भगवान के शासन को “सर्वोदय शासन” और जिन शासन क्यों कहा? भगवान महावीर ने अपने को जीता है इसलिये उनको जितेन्द्रिय कहा जाता है, सर्वोदय शासन का मतलब है जिसमें सबके कल्याण की बात आई हो ऐसा शासन सर्वोदय शासन माना गया है,आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने “सर्वोदय” शब्द की ब्याख्या दो हजार वर्ष पहले कर दी थी, महात्मागांधी ने “सर्वोदय” का नारा दिया तथा आगे बड़ाते हुये सत्य “अहिंसा” के इस प्रयोग को अपनाते हुये अपने देश को तो आजाद कराया ही कराया बल्कि सारी दुनिया के सामने चमत्कृरित कर दिया ऐसा “सर्वोदय” का सिद्धांत तीर्थंकर भगवन्तों का सिद्धांत है जिसमें सभी जीवों के कल्याण की बात कही गई है,समवसरण में तीर्थंकरों की जब देशना होती है तो यंहा पर भले ही हम चतुर्मुखी भगवान को विराजमान किये है,लेकिन साक्षात समवसरण में तो भगवान का मुख तो एक ही रहता है लेकिन आप जिस दिशा से देखना चाहते हो उस दिशा से भगवान और उनकी देशना खिरती है।

मुनि श्री ने कहा गुरु के बचन को उपकरण कहा गया है जो मानवीय उतत्थान के साथ कार्य करती है पिच्छिका जीवदया के क्षेत्र में संयम का उपकरण है कमंडल शुद्धि का उपकरण है उसी प्रकार नयन का उपनयन अर्थात चश्मा भी उपकरण है।आचार्यों ने तो इस शरीर को भी उपकरण ही माना है क्योंकि मनुष्य पर्याय से ही मुनि बनकर मोक्ष पद को पाया जा सकता है,इसलिये इस शरीर का उपभोग नहीं करना है उपयोग करना है, मुनि श्री ने कहा कि जो पुण्यशाली जीव होते है वह समवसरण के बाहरी रागरंग से प्रभावित नहीं होते यदि आपका मन उस रागरंग में चला गया तो आत्मतत्व से बंचित हो जाओगे और यदि इस शरीर का उपयोग किया तो यही शरीर आपको मुक्ती का मार्ग प्रशस्त करेगा मुनि श्री ने कहा कि कड़वी तुम्वी का उपयोग भी है और उपभोग भी है यदि उसे सुखा दिया तो वह तुम्हारे काम आऐगी और यदि उपभोग कर लिया तो वह जहर का काम भी करती है। मुनि श्री ने कहा कि यह सारी चर्चा आपके ज्ञान वर्धन के लिये यंहा पर की जा रही है जिससे समाज और परिवार में समरसता का बातावरण बना रहे, मुनि श्री ने कहा कि परिवार को बनाना और परिवार से निभाना बहूत कठिन कार्य होता है हम अपने परिवार को तो समृद्ध बना सकते है,लेकिन सारी समाज को समृद्ध बनाने के लिये बड़ी उदारता का परिचय दैना पड़ता है, अपना पराया छोड़कर व्यवहार को निभाना पड़ता है। मुनि श्री ने कहा कि जैसे शरीर के किसी अंग में तकलीफ होती है तो वह शरीर की ही तकलीफ़ मानी जाती है, उसी प्रकार समाज में कोई छोटा बड़ा नहीं होंना चाहिये, यदि किसी को कोई दुःख दर्द है तो उसका सहारा बनकर आगे आना चाहिये।

मुनि श्री ने कहा किसी भी संरचना में बहूत परिश्रम तथा समय लगता है बनाने में बहूत समय लगता है,बनी बनाई विल्डिंग को गिराने में बिचार नहीं करना पड़ता मुनि श्री ने कहा कि जन्म कुंडली सब बनवाते है मरण कुंडली कोई नहीं बनबाता इसलिये जिस कार्य के लिये आप सभी रायपुर वासियों ने आचार्य गुरुदेव से आशीर्वाद लिया है उस और खूब सलाह के साथ कार्य को आगे बड़ाऐं कार्यकर्ताओं को ताश के पत्तों का महल नहीं बनाना है गगन चुम्वी मंदिर बनाना है सभी बातें सभी को नहीं बताई नहीं जाती योजना को अमल करने में थोड़ा बिलंब हो सकता है हम सभी ने नई तथा पुरानी कमेटी के सभी पदाधिकारियों से चर्चा की सभी को मिल जुल कर कार्य को आगे बड़ाना है आप लोगों ने हमें जो योजना बताई है मुनिसंघ का आपको बहूत बहूत आशीर्वाद है।

इस अवसर पर मुनि श्री पवित्रसागर महाराज ने कहा कि भगवान के ज्ञान में जो नाम आ जाता है वह अविनाशी है,भगवान की वाणी की उपासना वही कर सकता है जो विषय भोग से दूर होता है, पंचेन्द्रिय विषय में जो लिप्त रहते है वह भगवान के समवसरण के भीतर जा ही नहीं सकता वह तो बाहर ही बाहर नाट्यमंडप में ही घूमता रहता है। राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं स्थानीय प्रचार प्रमुख अतुल जैन गोधा ने बताया मंगल देशना के उपरांत मुनिसंघ की आहार चर्या संपन्न हुई निर्यापक मुनि श्री समता सागर महाराज को पड़गाहन कर आहार देने का सौभाग्य इन्द्र कुमार अनिल कुमार जैन भाटापारा वाले परिवार को मिला तथा मुनि श्री पवित्र सागर महाराज को आहार देने का सौभाग्य प्रीतम कुमार महेन्द्र कुमार जैन परिवार को प्राप्त हुआ।

सांयकाल 4 बजे मुनिसंघ का मंगल विहार श्री पदमप्रभु दि. जैन मंदिर लाभांडी के लिये हुआ 20 मार्च गुरुवार को आचार्य समय सागर महाराज का दीक्षा महोत्सव प्रातःकालीन धर्मसभा लाभांडी के दि. जैन मंदिर परिसर में रखी गई है।उपरोक्त संद्रभ में मंदिर कमेटी की ओर विनोद बड़जात्या ने रायपुर की समस्त जैन समाज को आमंत्रित किया तथा श्री समवसरण विधान का समापन हुआ विधानाचार्य धीरज भैया ने हवन के साथ समापन का कार्य कराया दि. जैन बड़ा मंदिर मालवीय रोड़ के मेंनेजिंग टृस्टी नरेन्द्र जैन गुरुकृपा को मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी के साथ उनका सम्मान किया गया अध्यक्ष यशवंत जैन,उपाध्यक्ष लोकेश जैन सचिव सुजीत जैन कोषाध्यक्ष दिलीप जैन सहित समस्त पदाधिकारियों ने विधान में आऐ सभी सहयोगियों का अंगवस्त्र एवं तिलक श्रीफल से स्वागत किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here