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इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का विस्तार : अब 159 रेलवे स्टेशनों में पूरा हुआ काम

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रायपुर(विश्व परिवार)। सुरक्षित रेल परिचालन को सुनिश्चित करने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली के विस्तार में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में अब तक कुल 159 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 22 स्टेशनों को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग करने का लक्ष्य है, जिसमे 06 स्टेशनों को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग किया जा चूका है। शेष स्टेशनों पर भी भविष्य में यह आधुनिक प्रणाली स्थापित की जाएगी।
वर्तमान समय में इस परियोजना को प्रधान मुख्य सिग्नल और दूरसंचार इंजीनियर के नेतृत्व में तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है, जिसमें दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में नई तकनीकों को अपनाकर रेल संचालन को अधिक सुरक्षित, कुशल और विश्वसनीय बना रहा है । यह नई तकनीक रेलवे संचालन में सुरक्षा और दक्षता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करती है, जिससे यात्री और माल परिवहन को एक नई दिशा और आयाम प्राप्त हुआ है।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग
सिग्नलिंग तकनीक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली सिग्नलिंग तकनीक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन है, जो विभिन्न रेल मार्गों पर गाडिय़ों के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करती है। यह प्रणाली पुरानी यांत्रिक और रिले आधारित इंटरलॉकिंग प्रणालियों की जगह लेती है । इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को नई तकनीकों जैसे कि स्वचालित सिग्नलिंग और कवच (स्वदेशी ट्रेन टकराव रोधी प्रणाली) के साथ आसानी से एकीकृत किया जा सकता है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के आधार पर लागू किया जा रहा है, जिससे रेल परिचालन क्षमता और संरक्षा दोनों में सुधार हो रहा है। यह भविष्य की प्रौद्योगिकियों के साथ रेल प्रणाली को और अधिक उन्नत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की यह है खासियत
उच्च संरक्षा: इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली में डिजिटल तकनीक का उपयोग होता है, जिससे मानवीय त्रुटियों की संभावना कम हो जाती है। वहीं पैनल और रिले इंटरलॉकिंग में मैन्युअल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ सकती है। इसमें मैन्युअल हस्तक्षेप नहीं होने के कारण ग़लती होने की संभावना बेहद कम हो जाती है।
कम स्थान की आवश्यकता: पैनल/रिले इंटरलॉकिंग प्रणाली में बड़े पैनलों, अधिक रिले रैक और तारों की आवश्यकता होती है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली में सॉफ़्टवेयर और न्यूनतम हार्डवेयर की जरूरत होती है, जिससे यह कम स्थान लेता है।
रियल-टाइम मॉनिटरिंग: इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली वास्तविक समय में सिग्नल, ट्रैक, और ट्रेन मूवमेंट की निगरानी करने की सुविधा देती है, जिससे किसी भी समस्या का तुरंत समाधान किया जा सकता है।
कम रखरखाव लागत: पुराने सिस्टम की तुलना में इस प्रणाली के रखरखाव में कम समय और लागत लगती है। पैनल और रिले इंटरलॉकिंग में कई बार तकनीकी खराबियों के चलते उच्च रखरखाव की आवश्यकता होती है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली स्वचालित होती है और इसे कम रखरखाव की जरूरत होती है।
दीर्घकालिक लागत बचत: पैनल/रिले इंटरलॉकिंग के मुकाबले, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की शुरुआती लागत अधिक हो सकती है, लेकिन दीर्घकाल में यह अधिक लागत प्रभावी होती है, क्योंकि इसके रखरखाव में कम लागत होती है।
विस्तार में आसानी: इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में भविष्य के उन्नयन और विस्तार के लिए अधिक लचीलापन होता है साथ ही नई तकनीकों जैसे कि स्वचालित सिग्नलिंग और कवच (स्वदेशी ट्रेन टकराव रोधी प्रणाली) के साथ आसानी से एकीकृत किया जा सकता है, जबकि पारंपरिक प्रणालियों में यह काफी जटिल और महंगा होता है।

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