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विश्व महिला दिवस पर अभिव्यक्ति

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(विश्व परिवार)। आज हम विश्व महिला दिवस मना रहे है इसे मनाना निश्चित रूप से सार्थक है नारी शक्ति वो शक्ति है जो जीवन का उद्धार करती है जीवनदायिनी है यदि देखा जाए तो भारत एक ऐसा राष्ट्र है जहा नारी को देवी के रूप मे पूजा जाता है।नारी स्वाभिमान है।नारी गौरव है।
यदि हम देखे आज की नारी अबला नहीं है आज हर कार्य को कर रही यदि परिवार पर जिम्मेदारी उठाने का समय आता है ऑटो रिक्शा ट्रेन तक चलाने लगी है और साहस के साथ चलते हुए अन्तरिक्ष को भेदकर वायुयान तक उड़ाने लगी है। आज देखे तो हमारे भारत देश की प्रथम नागरिक भी महिला है राष्ट्रपति है नारी बलिदान का रूप है देश की आज़ादी मे बलिदान करने वाली रानी लक्ष्मी बाई जिनके लिए कहा जाता है खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
नारी अर्पण और समर्पण का प्रमाण है ममता की बात की जाए तो नारी ममता की खान है वोह यामिनी दामिनी और इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का मान है एक नारी है जो माता बनकर सृष्टि सजाती है यदि नारी नहीं तो यह संसार सुना सुना ही होगा कहा जाता है जग सुना सुना लागे रे अगर घर मे न हो तो घर वीरान सा लगता है निश्चित रूप से संसार घर परिवार की नारी शान है।
क्या खूब कहा है
तेरे प्यार की छाया में ही पाया सबने रूप,
जो भी दिखता है इस सृष्टि में सब है तेरा स्वरूप,
हे! नारी तुम रखती हो निज कितने ही रूप,
जननी, सुता, भगिनी, भार्या, माँ अम्बे का स्वरूप
नारी तुम प्यार की मूरत,रिश्ते-नातों का आधार।
रक्षा इनकी करो सदा ही,पर सहना मत अत्याचार।।
जो लोग दबाना चाहें तुमको,रहो विरोधी हो तैयार।
फूलों बदले फूल चढ़ाना,शूलों को शूलों का हार।।
जो भी देखे तुच्छ नयन से,रणचंडी का लो अवतार।।
चारों ओर दरिंदे बैठे,लाचारी पर करने वार।
बिजली बनके तुम टूट पड़ो,खंडित करो धरा का भार।।

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