रायपुर (विश्व परिवार)। हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर लगाए गए आरोपों पर निर्वाचन आयोग ने तथ्यों के आधार पर पुनः स्पष्ट किया है कि यह सभी आरोप निराधार हैं। आयोग का यह स्पष्टीकरण न केवल पारदर्शी चुनाव प्रणाली की पुष्टि करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देश में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को विश्वसनीयता के साथ संपन्न किया गया।
1. महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान, 6,40,87,588 मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केंद्रों पर पहुंचकर मतदान किया। औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख वोट डाले गए। इन औसत रुझानों के आधार पर, अंतिम दो घंटों में लगभग 116 लाख मतदाता मतदान कर सकते थे। अतः दो घंटों में 65 लाख वोटों का डाला जाना औसत प्रति घंटा मतदान के रुझानों से काफी कम है।
2. प्रत्येक मतदान केंद्र पर, मतदान उन अभिकर्ताओं की उपस्थिति में हुआ जिन्हें उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त किया गया था। कांग्रेस पार्टी (INC) के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत अभिकर्ताओं ने अगले दिन स्क्रूटनी के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर (RO) और निर्वाचन पर्यवेक्षकों के समक्ष किसी असामान्य मतदान की कोई ठोस शिकायत नहीं की।
3. भारत में, महाराष्ट्र सहित, निर्वाचक नामावलियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं। कानून के अनुसार, चुनावों से पहले और/या हर वर्ष एक बार, विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया जाता है और अंतिम मतदाता सूची की प्रति सभी राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों, जिनमें कांग्रेस (INC) भी शामिल है, को प्रदान की जाती है।
4. महाराष्ट्र निर्वाचन के दौरान मतदाता सूची के अंतिम रूप दिए जाने के बाद, कुल 9,77,90,752 मतदाताओं में से केवल 89 अपीलें प्रथम अपीलीय प्राधिकरण (DM) के समक्ष और केवल 1 अपील द्वितीय अपीलीय प्राधिकरण (CEO) के समक्ष दायर की गई। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की ओर से कोई शिकायत महाराष्ट्र विधानसभा निर्वाचन 2024 के पूर्व नहीं की गई।
5. मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान 1,00,427 मतदान केंद्रों पर, 97,325 बूथ स्तर के अधिकारी और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1,03,727 बूथ स्तर के अभिकर्ता मौजूद थे, जिनमें कांग्रेस के 27,099 अभिकर्ता शामिल थे। अतः महाराष्ट्र की मतदाता सूची पर लगाए गए यह निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं।
6. निर्वाचन आयोग ने यह सभी तथ्य 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस को भेजे गए अपने उत्तर में पहले ही स्पष्ट कर दिए थे, जो आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन तथ्यों की अनदेखी कर बार-बार वही मुद्दे उठाए जा रहे हैं।
भारत में सभी चुनाव कानून के अनुसार होते हैं। जिस पैमाने और सटीकता से भारत में चुनाव कराए जाते हैं, उसकी पूरे विश्व में सराहना की जाती है। पूरा देश जानता है कि मतदाता सूची की तैयारी से लेकर मतदान और मतगणना तक निर्वाचन की प्रत्येक प्रक्रिया -सरकारी कर्मचारियों द्वारा, और वह भी मतदान केन्द्र से लेकर विधानसभा स्तर तक राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त अधिकृत प्रतिनिधियों की उपस्थिति में होती है। किसी भी व्यक्ति द्वारा फैलायी जा रही गलत सूचना न केवल कानून का अपमान है, बल्कि इससे उनके अपने राजनीतिक दल के हजारों प्रतिनिधियों का भी अपमान होता है और लाखों निर्वाचन कर्मियों का मनोबल भी गिरता है जो निर्वाचन के दौरान अथक और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं।चुनाव परिणाम प्रतिकूल आने पर, निर्वाचन आयोग को समझौतावादी कहकर बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है।