नई दिल्ली (विश्व परिवार)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से दो टूक शब्दों में कहा था कि ढाका आतंकवाद को सामान्य न बनने दे। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यह खुलासा किया। दोनों नेताओँ की मुलाकात इस सप्ताह की शुरुआत में मस्कट में हुई थी।
बैठक के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार के साथ बातचीत द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर केंद्रित थी। वहीं बांग्लादेशी पक्ष ने कहा हुसैन ने सार्क स्थायी समिति की बैठक आयोजित करने के महत्व पर प्रकाश डाला और भारत सरकार से इस मामले पर विचार करने का आग्रह किया। बता दें विदेश मंत्री ने 16 फरवरी को मस्कट में हिंद महासागर सम्मेलन के दौरान बांग्लादेश सहित पड़ोसी देशों के अपने समकक्षों के साथ कई बैठकें की थीं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “इस बारे में कि क्या सार्क पर चर्चा हुई या नहीं…हां, यह मामला बांग्लादेश की ओर से उठाया गया था, जब विदेश मंत्री ने मस्कट में ढाका के विदेश सलाहकार से मुलाकात की थी। यह स्वीकार किया गया कि दक्षिण एशिया में हर कोई जानता है कि कौन सा देश और कौन सी गतिविधियां सार्क को बाधित करने के लिए जिम्मेदार हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह आतंकवाद को सामान्य न बनाए।”
मस्कट बैठक को लेकर बांग्लादेशी मीडिया के दावा किया कि चर्चा के दौरान प्रोफेसर यूनुस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित मुलाकात पर भी बात हुई। बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक बातचीत के दौरान अप्रैल में बैंकॉक में आयोजित होने वाले बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक बैठक आयोजित करने का विषय भी उठा।
बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल’ (बिम्सटेक) का छठा शिखर सम्मेलन इस साल के अंत में 2-4 अप्रैल को थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित होने वाला है। बता दें बांग्लादेश शिखर सम्मेलन में बिम्सटेक के अगले अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेगा।
मस्कट से पहले विदेश मंत्री जयशंकर और हुसैन की पिछली मुलाकात सितंबर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान हुई थी। यह मुलाकात अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद भारत और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के बीच पहली उच्च स्तरीय बातचीत थी