नई दिल्ली (विश्व परिवार)। रक्षा मंत्रालय के डिफेंस प्रॉक्योरमेंट पोर्टल के जरिए ही रक्षा मंत्रालय में रजिस्टर्ड कॉन्ट्रैक्टर्स और बिल्डर्स को कामों की जानकारी मिलती थी। रक्षा मंत्रालय इसी पोर्टल के जरिए डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट के लिए टेंडर जारी करता है। लेकिन इसके ठप होने से कॉन्ट्रैक्टर्स और बिल्डर्स के बीच अफरा-तफरी है। रक्षा मंत्रालय का डिफेंस प्रॉक्योरमेंट पोर्टल करीब एक महीने से ठप पड़ा है और यह कब शुरू होगा इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। इसी पोर्टल के जरिए रक्षा मंत्रालय में रजिस्टर्ड कॉन्ट्रैक्टर्स और बिल्डर्स को कामों की जानकारी मिलती थी। रक्षा मंत्रालय इसी पोर्टल के जरिए डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट के लिए टेंडर जारी करता है। मिलिट्री संस्थाओं के रूटीन मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट से लेकर सशस्त्र सेना के लिए खरीद और मिलिट्री हाउसिंग के मेंटेनेंस से जुड़े कामों के टेंडर के लिए यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है।
टेंशन में कॉन्ट्रैक्टर्स और बिल्डर्स
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी टेंडर इसी पोर्टल में अपलोड होते थे। लेकिन इसके ठप होने से कॉन्ट्रैक्टर्स और बिल्डर्स के बीच अफरा-तफरी है। रक्षा मंत्रालय से इस संबंध में एनबीटी ने जानकारी मांगी लेकिन अभी तक मंत्रालय की तरफ से कोई जवाब नहीं मिल पाया है। रक्षा मंत्रालय के लिए काम करने वाले कॉन्ट्रैक्टर्स का कहना है कि इस पोर्टल के ठप होने से आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही कई अहम प्रोजेक्ट भी लटक गए हैं।
‘यह पूरी तरह से मिसमैनेजमेंट है’
एमईएस (मिलिट्री इंजीनियर्स सर्विसेज) बिल्डर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट गुरुचरण सिंह मागु ने एनबीटी से बात करते हुए कहा कि हम रजिस्टर्ड बॉडी हैं और हमें पोर्टल ठप होने की कोई आधिकारिक जानकारी तक नहीं दी गई। यह पूरी तरह से मिसमैनेजमेंट है। देश के हर कोने कोने में हमारे सदस्य हैं और लगातार इसे लेकर कंफ्यूज हैं कि क्या हो रहा है लेकिन आज तक भी हमें आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है।
‘कुछ वैकल्पिक इंतजाम किया जाना चाहिए’
उन्होंने कहा कि मंत्रालय को जो भी सर्विस चाहिए होती है उसका टेंडर इस पोर्टल में डालते हैं जहां से हमें जानकारी मिलती है। फिर उसमें बिड कर सकते हैं। बिड अपलोड करने के बाद अधिकारी चेक करते हैं और फिर कितनी बिड आई और कितनी एडमिट हुई इसकी डिटेल भी पोर्टल में ही डालते हैं। उसके बाद फाइनेंशियल बिड ओपन होती है जिसमें पता चलता है एल – 1, एल- 2 कौन हैं। यह एक तय वक्त में होना होता है। यह सब पोर्टल के जरिए ही होता है। लेकिन पोर्टल ठप होने से अब कई की डेट चली गई होंगी। उन्होंने कहा कि पहले ये सब मैनुवली होता था। सिस्टम में दिक्कत हो सकती है लेकिन कुछ वैकल्पिक इंतजाम किया जाना चाहिए था।
करीब 25 हजार बिल्डर परेशान
उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक में कितनी चीजों में देरी हुई होंगी इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। हम 25 हजार बिल्डर तो हैं ही जो इससे प्रभावित हुए हैं, साथ ही ये लंबी चेन है। कई हजार लोग काम करते हैं, उन सब पर असर हुआ है। उन्होंने कहा कि हम मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि वे इस मुद्दे को तुरंत हल करें और पोर्टल फिर से बहाल करें और मौजूदा स्थिति से अवगत कराएं ताकि हजारों लोगों के बीच जो अनिश्चितता का माहौल है वो ठीक हो। कुछ वैकल्पिक इंतजाम करें, साथ ही इसके ठप होने के कारणों की जांच करें।