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संकल्प से सिद्धि: मोदी युग ने गढ़ी नए भारत की सशक्त, सुरक्षित और विकसित तस्वीर:पीयूष गोयल

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(विश्व परिवार)। वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली, तब भारत एक अहम मोड़ पर खड़ा था। एक ऐसा देश, जहां आकांक्षाएं तो थीं लेकिन उनके पूरे होने की दिशा स्पष्ट नहीं थी। लेकिन बीते 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जिस दिशा और गति से विकास की यात्रा तय की है, वह आज ‘न्यू इंडिया’ के रूप में दुनिया के सामने खड़ा है। आज भारत आत्मविश्वास से भरा, आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर और वैश्विक मंच पर अपनी स्पष्ट आवाज रखने वाला राष्ट्र है।
इस बदलाव की शुरुआत गरीबों के जीवन स्तर को सुधारने से हुई। आजादी के छह दशकों बाद भी भारतवासी घर, शौचालय, जल और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहे। इस दिशा में पहल करते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों गरीब परिवारों को पक्के घर और शौचालय बनाकर दिए गए। उज्ज्वला योजना के माध्यम से निशुल्क गैस कनेक्शन देकर करोड़ों महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाई जबकि आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजनाओं ने गरीबों को ₹5 लाख तक की बीमा सुरक्षा देकर उन्हें आर्थिक आपदा से बचाया। हर घर जल अभियान के माध्यम से करोड़ों ग्रामीण परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराया गया। ये योजनाएं सिर्फ कागजों की नीतियां नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत में तब्दील होकर आम जनजीवन को बदल चुकी हैं। जन धन योजना के माध्यम से आजादी के बाद पहली बार करोड़ों भारतीयों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया, जिससे देश में आर्थिक समावेशन को मजबूती मिली है। बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी भारत ने ऐतिहासिक प्रगति की है। जिन गांवों में कभी बिजली और पक्की सड़कें एक सपना हुआ करती थीं, वहाँ अब सोलर लाइटें जलती हैं। दूर-दराज गांवों की राष्ट्रीय राजमार्गों से कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा चुकी है। शहरों में स्मार्ट सिटी मिशन और मेट्रो परियोजनाओं ने जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया है।
भारत की यह विकास यात्रा डिजिटल रूप से भी क्रांतिकारी रही है। डिजिटल इंडिया अभियान ने देश को तकनीकी रूप से सक्षम बनाया और यूपीआई ने आज भारत को दुनिया में सबसे अधिक डिजिटल लेन-देन करने वाला देश बना दिया है। आधार, मोबाइल और जनधन की ‘त्रिमूर्ति’ ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर को सहज बनाते हुए भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका को लगभग समाप्त कर दिया। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पात्र व्यक्ति तक पहुँच रहा है। महिला सशक्तिकरण नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में रहा। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान से लेकर मातृत्व अवकाश में वृद्धि और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाओं ने महिलाओं और बेटियों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त किया है। एनडीए और भारतीय सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन जैसी पहलों ने यह साबित किया कि सरकार के लिए महिला सशक्तिकरण केवल स्लोगन नहीं, बल्कि नीति और नीयत दोनों का हिस्सा बन चुका है।
कृषि प्रधान देश होने के बावजूद देश का कृषि क्षेत्र लंबे समय तक उपेक्षित रहा, सरकारों के तमाम कागजी दावों के उलट स्थिति ये थी कि किसान खेती छोड़कर नौकरी के लिए पलायन करने को मजबूर थे। बीते एक दशक में कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन आए। आज पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से देश के हर छोटे किसान को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता दी जा रही है। फसल बीमा योजना, ई-नाम पोर्टल, माइक्रो सिंचाई योजनाएं, और ड्रोन टेक्नोलॉजी के प्रयोग ने कृषि को सिर्फ उपज की दृष्टि से नहीं, बल्कि आय के स्रोत के रूप में मजबूत किया गया है। इसी तरह शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी कई ऐतिहासिक पहल की गईं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में गुणात्मक परिवर्तन आए। मातृभाषा में पढ़ाई को बढ़ावा, कौशल आधारित शिक्षा और डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे दीक्षा, स्वयम, और पीएम ई-विद्या ने शिक्षा को अधिक सुलभ और समावेशी बनाया है। स्किल इंडिया के अंतर्गत लाखों युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे युवा अब नौकरी मांगने वाले नहीं, देने वाले बन रहे हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान जो साहसिक और तेज़ निर्णय लिए, वे पूरी दुनिया में सराहे गए। स्वदेशी वैक्सीन निर्माण और कोविन पोर्टल का सफल संचालन यह दर्शाता है कि भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं, तकनीक और विज्ञान का निर्माता भी है। साथ ही फिट इंडिया, योग दिवस और आयुष मंत्रालय की सक्रियता ने भारतीय जीवनशैली को फिर से प्रासंगिक बनाया है। प्रधानमंत्री मोदी की ‘लोकल को ग्लोबल’ बनाने की दूरदर्शी सोच ने मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से घरेलू उद्योगों और नवाचारों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उतारने की शक्ति दी है। भारत आज तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है, और पीएलआई स्कीम जैसे प्रोत्साहनों मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव और रक्षा विनिर्माण में भी भारत आत्मनिर्भर बनता जा रहा है।
दशकों तक बुनियादी ढांचा निर्माण के क्षेत्र में उस प्रगति से कार्य नहीं हुए जिसकी देश को जरूरत थी। बीते एक दशक में भारत माला, सागर माला, और उड़ान जैसी योजनाओं ने देश के दूरस्त इलाकों को सड़क, रेल, जल और वायु मार्गों से जोड़ने में नई ऊंचाई दी है। वंदे भारत ट्रेनें, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट और रेलवे के विद्युतीकरण से न केवल यात्रा की गति बढ़ी है, बल्कि यात्रा को पर्यावरण के अनुकूल भी बनाया गया है। रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी भारत ने अभूतपूर्व आत्मनिर्भरता दिखाई है। दशकों से लंबित वन रैंक, वन पेंशन लागू हुआ, ब्रह्मोस, आकाश जैसे रक्षा उपकरणों से सेनाओं की न सिर्फ़ ताकत बढ़ी बल्कि भारत दुनिया में हथियार निर्यात भी कर रहा है। विक्रांत का निर्माण, अग्नि मिसाइलों की श्रृंखला और सीमा पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण भारत की सुरक्षा प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
एक ओर जहां आर्थिक और तकनीकी विकास हुआ, वहीं सांस्कृतिक और धार्मिक पुनर्जागरण ने भी समाज में नई चेतना पैदा की है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ धाम, महाकाल लोक और केदारनाथ पुनर्निर्माण जैसे प्रकल्पों ने सांस्कृतिक आस्था को सम्मान और भव्यता दोनों दिए है। योग दिवस को वैश्विक मान्यता दिलाकर भारत ने पूरी दुनिया को भारतीय दर्शन से जोड़ने का भी कार्य किया है। स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन ने समाज में जागरूकता की नई क्रांति लाई। भारत अब नेट जीरो 2070 के लक्ष्य की ओर कार्यरत है, और सौर ऊर्जा व इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी भारत ने पहली बार ‘फॉलोवर’ से ‘लीडर’ की भूमिका निभाई है। G20 की अध्यक्षता, वैक्सीन मैत्री, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, वॉइस ऑफ़ ग्लोबल साउथ जैसे प्रयासों ने भारत को विकासशील देशों का नेतृत्वकर्ता बना दिया है। भारत अब संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता की दिशा में गंभीर दावेदारी कर रहा है। नरेन्द्र मोदी सरकार की सबसे बड़ी विशेषता उसकी राजनीतिक इच्छाशक्ति रही है, चाहे वह धारा 370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय हो, तीन तलाक जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करना हो, या एक देश-एक कर जैसी जटिल लेकिन आवश्यक व्यवस्था को लागू करना हो। पारदर्शी शासन और टेक्नोलॉजी का उपयोग कर देश में ‘अंत्योदय’ को व्यवहारिक रूप दिया गया है।
आज जब बीते 11 वर्षों की ओर पीछे देखें, तो यह स्पष्ट दिखता है कि यह केवल योजनाओं की सूची नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय पुनर्जागरण की जीवंत तस्वीर है। यह कालखंड केवल आर्थिक या भौतिक उपलब्धियों का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक जागरूकता का युग रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का संकल्प लिया था वह अब सिर्फ एक नारा नहीं, भारत की पहचान बन चुका है। यह सिद्धि केवल सरकार की नहीं, हर उस नागरिक की है जिसने इस संकल्प में आस्था रखी और यही 21वीं सदी के भारत का असली परिचय है।

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