- कारीगरों को सशक्त और विरासत को बढ़ावा देता राष्ट्रीय ग्रामीण भारत महोत्सव
बस्तर (विश्व परिवार)। छत्तीसगढ़ के बस्तर के हरे-भरे परिदृश्य में, बस्तर श्री सिल्क, सशक्तिकरण, नवाचार और विरासत की कहानी बुन रहा है । वर्ष 2021 में सुश्री के. मोनिका द्वारा स्थापित और नाबार्ड द्वारा समर्थित, यह कारीगर समूह केवल 10 सदस्यों के साथ शुरू हुआ था और अब, 50 कुशल कारीगरों और महिलाओं का एक संपन्न समुदाय के रूप में विकसित हो गया है ।
बेल मेटल में मीठे पानी के मोती के आभूषणों के लिए प्रसिद्ध, एक ऐसा शिल्प जो भारत में कहीं और नहीं पाया जाता है, वे लोकी- लौकी (तुमा) आधारित, मशरूम और रागी चाय (चाहा), मोमबत्तियाँ, सजावटी सामान, आभूषण और हथकरघा भी बनाते हैं – प्रत्येक उत्पाद बस्तर की समृद्ध परंपराओं का सार है ।
₹6,000 से ₹25,000 तक की मासिक आय के साथ, ये कारीगर न केवल अपनी विरासत को संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता के लिए राह भी बना रहे हैं । प्रधानमंत्री द्वारा मान्यता प्राप्त उनकी पहल, माई पैड माई राइट, समुदाय संचालित नवाचार के लिए उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है ।
छत्तीसगढ़ के जंगलों से लेकर भारत भर के बाजारों तक, बस्तर श्री सिल्क, एक ऐसी यात्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां, प्रकृति, परंपरा और आधुनिकता एक स्थायी भविष्य निर्माण के लिए निर्बाध रूप से मेल खाते हैं ।
यह सहकारी संस्था 4 से 9 जनवरी, 2025 तक नाबार्ड और वित्तीय सेवा विभाग (वित्त मंत्रालय) द्वारा नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय ग्रामीण भारत महोत्सव में भाग ले रही है ।
महोत्सव का उद्देश्य विभिन्न चर्चाओं, कार्यशालाओं और मास्टरक्लास के माध्यम से ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाना और ग्रामीण समुदायों के भीतर नवाचार को बढ़ावा देना है ।
इसके उद्देश्यों में वित्तीय समावेशन को ध्यान में रखकर और टिकाऊ कृषि प्रथाओं का समर्थन करके, पूर्वोत्तर भारत पर विशेष ध्यान देने के साथ ही ग्रामीण आबादी के बीच आर्थिक स्थिरता और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देना शामिल है ।
महोत्सव का एक महत्वपूर्ण फोकस उद्यमिता के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना और जीवंत प्रदर्शनों और प्रदर्शनियों के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करना है ।