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तियानमेन चौक से बस्तर तक – माओवाद की लाल छाया पर उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने लाइव के माध्यम से दी जानकारी

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रायपुर, 4 जून,2015- आज 4 जून को उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने मंत्रालय स्थित महानदी भवन से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लाइव जुड़कर चीन के तियानमेन चौक नरसंहार (1989) की बरसी के अवसर पर माओवादी विचारधारा और छत्तीसगढ़ के बस्तर में उसकी विनाशकारी उपस्थिति पर गहन चर्चा की। उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत के प्रख्यात कवि बाबा नागार्जुन की एक मार्मिक कविता से की जिसमें माओवादी हिंसा की विकृति और उसकी अमानवीय प्रवृत्ति को उजागर किया गया। उन्होंने कहा कि बाबा नागार्जुन जैसे कवि भी अंततः माओवाद की रक्तरंजित विचारधारा से असहमति जताते हैं।

1989: जब युवाओं की आवाज़ को टैंकों से कुचला गया-उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने विस्तार से बताया कि कैसे 1989 में चीन की सरकार ने बीजिंग के तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की मांग कर रहे हजारों युवाओं को टैंकों और बंदूकों से कुचल दिया। “3 जून को स्वतंत्रता की देवी ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ जैसी मूर्ति को तोड़ा गया और 4 जून को चीन के ही युवाओं को मार गिराया गया। यही माओवाद है — बंदूक की नली से सत्ता की स्थापना।

बस्तर में माओवादी आतंक की तुलना

उपमुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि तियानमेन में जो हुआ, वह बस्तर में वर्षों से माओवाद के नाम पर चल रहा है। उन्होंने बताया कि माओवादियों ने अब तक 200 से अधिक स्कूलों को बम से उड़ा दिया है, पुल-पुलियों को नष्ट किया है, मोबाइल टावर, आंगनबाड़ी, अस्पताल तक को तहस-नहस किया है। बस्तर के अंदरूनी इलाकों में आज भी 30 साल का युवक टीवी नहीं देख पाया है, क्योंकि वहां विकास की कोई व्यवस्था माओवादियों ने होने ही नहीं दी। उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने बताया कि चीन में ना तो प्रेस को स्वतंत्रता है, ना चुनाव होते हैं, ना ग्रामसभा की कोई पूछ होती है। इसी तरह माओवादी भी लोकतंत्र के हर मूल सिद्धांत को रौंदते हुए बस्तर में बंदूक की ताकत से अपनी सत्ता चलाना चाहते हैं।

अमित शाह जी के नेतृत्व में 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करने का संकल्प

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार के गृह मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में यह संकल्प लिया गया है कि मार्च 2026 तक सशस्त्र नक्सलवाद को समाप्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ सैन्य नहीं, सामाजिक और वैचारिक लड़ाई भी है। हर गांव, हर व्यक्ति तक सुविधा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान का अधिकार पहुंचाना इसका मुख्य उद्देश्य है।

जंगल की रक्षा के नाम पर हिंसा को सही ठहराना अनुचित

कुछ वर्गों द्वारा यह तर्क दिए जाने कि माओवादी हैं इसलिए जंगल बचे हैं, पर श्री शर्मा ने स्पष्ट शब्दों में कहा 1970 से पहले भी बस्तर में जंगल थे, तब माओवादी नहीं थे। अमेज़न, साइबेरिया, उत्तराखंड, असम जैसे क्षेत्रों में भी घने जंगल हैं, क्या वहां माओवादी हैं?”

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने युवाओं को जवाब देते हुए कफ की मैं आज यहां केवल इतना कहना चाहता हूं कि युवाओं को आगे आना चाहिए। समाज में कुछ भ्रम फैलाए जा रहे हैं, जिन्हें हमें सामूहिक रूप से समाप्त करना होगा। सबसे बड़ा भ्रम यह है कि नक्सलियों के कारण जंगल बचे हैं – यह पूरी तरह से भ्रामक और असत्य है। मैंने इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से जवाब दिया है।

एक और भ्रम यह भी फैलाया जा रहा है कि यदि नक्सली हटते हैं, तो बस्तर को कोई और ‘दे’ दिया जाएगा। यह भी एक गंभीर और सोचा-समझा भ्रम है। हमें इसे समाज के बीच से निकालना होगा।

*नक्सलमुक्त पंचायतों को मिलेगा विशेष प्रोत्साहन, इलवत पंचायत अंतर्गत मिलेगा 1 करोड़ की राशि : उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने युवाओं द्वारा पूछे प्रश्न के जवाब में बताया कि राज्य सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय ग्रामीण सहभागिता को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक अभिनव पहल की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत जो ग्राम पंचायतें स्वयं यह प्रस्ताव पारित करती हैं कि उनका गांव नक्सल संगठन और माओवादी विचारधारा से मुक्त हो गया है, उन्हें सरकार द्वारा तुरंत 1 करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों की स्वीकृति दी जाती है।

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि सुकमा जिले का बडेसेट्टी गांव इस योजना के तहत पहला पंचायत बना है, जिसने यह साहसी निर्णय लिया और मुख्यधारा से जुड़ने की पहल की। इसके बाद केरलापेंदा गांव ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है।

श्री शर्मा ने कहा कि यह एक एलवद मॉडल बन रहा है, जहां ग्राम पंचायत के लोग स्वयं जागरूक होकर नक्सलवाद से मुक्ति की घोषणा करते हैं और इसके पश्चात उन्हें प्रशासन द्वारा विशेष सहायता प्रदान की जाती है। सरकार ऐसे गांवों को विकास की मुख्यधारा में सम्मिलित करने के लिए हर संभव सहयोग दे रही है।

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