पारसोला (विश्व परिवार)l आचार्य शिरोमणी श्री वर्धमान सागर जी सन्मति भवन में विराजित हैं जयंतीलाल कोठारी ऋषभ पचौरी वीरेन सेठ ने बताया कि प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी आचार्य पद प्रतिष्ठापना शताब्दी महोत्सव अंतर्गत आध्यात्मिक संस्कार शिविर का आयोजन 28 दिसंबर से 3 जनवरी तक दिगंबर जैन समाज एवं वर्षायोग समिति द्वारा किया गया । आध्यात्मिक शिक्षण शिविर में आचार्य श्री एवं उनके मुनि शिष्यों आर्यिका माताजी द्वारा सभी को धार्मिक शिक्षण प्रदान किया गया ।संजय पापड़ीवाल किशनगढ़ दीपक पाटनी कोलकाता एवं श्रीमती माया अग्रवाल उदयपुर द्वारा सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया । इस अवसर पर आचार्य श्री ने स्थानीय समाज एवम शिविरार्थियों को उपदेश में बताया कि जीने के लिए भोजन जरुरी है , भोजन से ज्यादा जल जरूरी है ,जल से ज्यादा हवा जरूरी है ,और हवा से भी ज्यादा धर्म जरूरी है। धर्म दो प्रकार के होते हैं श्रावक धर्म और साधु धर्म साधु का कार्य समाज को उपदेश देना होता है ,वही श्रावक का कर्तव्य दान और पूजा होना चाहिए यह प्रवचन पारसोला में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने धर्म सभा में प्रकट किया। राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि श्रावक के भी तीन भेद हैं उत्तम श्रावक वह होता है जो पहले आहार दान देता है उसके बाद भोजन करता है, मध्यम श्रावक वह होता है जो आहार देखता है आहार देखने के बाद भोजन करता है जघन्य श्रावक वह होता है जो आहार भी नहीं देता और भोजन आहार होने के बाद करता है वह जघन्य श्रावक है किंतु ऐसे व्यक्ति जो मुनियों के आहार के पहले ही भोजन कर लेते हैं वह अघम श्रावक की श्रेणी में आते हैं इसलिए श्रावक को श्रद्धावान, विवेकवान और क्रियावान होकर कार्य करना चाहिए ।मंदिर में पूजन स्वयं के उत्तम द्रव्यों से भावपूर्वक करना चाहिए। जिस प्रकार आप डॉक्टर पर श्रद्धा करते हैं कि वह हमारा इलाज करेगा हम स्वस्थ हो जाएंगे इस प्रकार आपको भगवान पर भी विश्वास होना चाहिए भगवान के दर्शन अभिषेक पूजन बिना स्वार्थ के करना चाहिए। खेती में जिस प्रकार एक बीज भविष्य में बड़ा वृक्ष बनाकर फल देता है उसी प्रकार श्रावक के जीवन में अच्छे कार्य, नियम ,व्रत देव दर्शन, अभिषेक ,पूजन ,स्वाध्याय तप , संयम आदि भावपूर्वक करने से उसका फल पुण्य भी बहुत अधिक मिलता है । आचार्य श्री के आगमन पश्चात आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा ,आचार्य पद शताब्दी महोत्सव ,चातुर्मास, आचार्य श्री वर्धमान सागर की हीरक जयंती कार्यक्रम आदि में जैन समाज की रिपोर्टिंग के लिए विनोद जैन का स्वागत जैन समाज द्वारा श्रीफल, माला पगड़ी स्मृति चिन्ह द्वारा किया गया l