Home राजस्थान भगवान की वाणी ध्वनि है जो ओमकार मयी है! स्वस्ति भूषण माताजी

भगवान की वाणी ध्वनि है जो ओमकार मयी है! स्वस्ति भूषण माताजी

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केशोरायपाटन(विश्व परिवार) | परम पूजनीय भारत गौरव गणिनी आर्यिका 105 स्वस्ति भूषण माताजी सानिध्य में अतिशय क्षेत्र पर कल्पद्रुम महामंडल विधान चल रहा है जो बहुत ही भक्ति भाव के साथ हो रहा है।

पूज्य गुरू मां ने मंगलवार की बेला में धर्म सभा को संबोधित करते हुए ओम और ओमकार के विषय में अंतर को समझाया पूज्य माताजी ने बताया कि
ओम और ओमकार दोनों में अंतर है! ओम व्यंजन है ओमकार स्वर है! भगवान की वाणी को दिव्य ध्वनि कहते हैं! ध्वनि का अर्थ आवाज और दिव्य का अर्थ अलौकिक! जिसके समान कोई आवाज ना हो हित मित प्रिय हो! जैसे घंटा बजाने से ध्वनि निकलती है शब्द नहीं हुआ स्वर हुआ! ऐसे ही भगवान की वाणी ध्वनि है जो ओमकार मयी है! इस ध्वनि में 11 अंग 14 पूर्व का ज्ञान समाहित है!

माताजी ने उदाहरण के माध्यम से समझाया कि जैसे संसद में स्पीकर हिंदी में बोलते हैं और हेडफोन के माध्यम से सभी सांसदों को अपनी अपनी क्षेत्ररीय भाषा में समझ में आ जाता है वैसे ही भगवान की ध्वनि खिरती तो ओमकारमयी है लेकिन समवशरण में बैठे प्रत्येक जीव को अपनी अपनी भाषा में समझ आ जाता है! समवशरण – जहाँ पर सभी को समान रूप से शरण मिलती है उसका नाम है समवशरण! वहाँ कोई छोटा नहीं वहाँ कोई बड़ा नहीं!

गाय आये शेर तो उनके लिए स्थान है देव आएं तो उनके लिए स्थान है मनुष्यों के लिए स्थान है! गणित में करण का भव से तरण का और भगवान के समवशरण का बड़ा ही महत्त्व है! भगवान का जो समवशरण है वह पुण्य भूमि पर लगता है! जब तीर्थंकर भगवान का गर्भ कल्याणक होता है तो 6 माह पूर्व से 9 माह बाद तक रत्नो की वर्षा होती है! ऐसे पुण्यशाली भगवान जो अपना सर्वस्व सांसारिक वैभव त्याग कर निज और पर का कल्याण करते हुए मोक्ष को प्राप्त करते हैं! कल्पद्रुम महामंडल विधान का ये भव्य आयोजन चल रहा है निश्चित रूप से आप सभी बड़े पुण्यशाली हैं जो भगवान के समवशरण में बैठकर उनकी पूजन अर्चना करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है!

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