राजनांदगांव (विश्व परिवार) । राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम “कौशिकी 2024” अपनी भव्यता और विशिष्टता के लिए चर्चा का केंद्र बना । इस कार्यक्रम का आयोजन भरतनाट्यम नृत्य शिरोमणी खुशी जैन और कत्थक सिंगरमणि डॉ. चंदन सिंह द्वारा किया गया । कार्यक्रम में अंतिम सत्र में अतिथि के रूप में डॉ संध्या मदन मोहन (प्राचार्या भिलाई महिला महाविद्यालय), डॉ. मानसी गुलाटी, (अहिंसा जागरुक संघ के राष्ट्रीय संयोजक) श्री पवन जैन प्रेमी, तरुण गढ़पाले, रंजन यादव जी, धीरज बाकलीवाल जी, गुरजीत सिंग जी, ईश्वर मेश्राम जी, सचिन पाल सिंह ठाकुर उपस्थित थे ।
खुशी जैन : नृत्य साधना का 25 वर्ष का सफर
भरतनाट्यम की ख्यात कलाकार खुशी जैन पिछले 25 वर्षों से नृत्य की साधना कर रही हैं और 12 वर्षों से प्रशिक्षण दे रही हैं । उन्होंने केंद्रीय विद्यालय और साइंस कॉलेज में शिक्षिका के रूप में भी कार्य किया है और वर्तमान में दूरदर्शन रायपुर में भी अपनी सेवाएं दे रही हैं ।
डॉ. चंदन सिंह : राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय ख्याति के नर्तक
कत्थक के विद्वान डॉ. चंदन सिंह ने खैरागढ़ से अपनी शिक्षा पूर्ण की है और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रस्तुति दी है । उन्हें “सिंगरमणि सम्मान”से सम्मानित किया गया है । डॉ. सिंह ने अपने नृत्य प्रशिक्षण से अनेक शिष्यों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है ।
कौशिकी के सत्र में कर्नाटक से आयी कलाकार विदुषी निसर्गा दयन्नवर* ने शाम–ए –सभा में नृत्य में नवरस को समझते हुए नृत्य के माध्यम से अर्थ बतलाया और मनमोहक और ज्ञानवर्धक प्रस्तुति दिया साथ ही कुमारी नैनिका कासलीवाल ने भरतनाट्यम के वर्णम को समझते हुए नृत्य में किस प्रकार भावों का उपयोग होता है वह समझाया ।
प्रतिभागियों और निर्णायकों की शानदार भूमिका
इस कार्यक्रम में लगभग 500 बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया । निर्णायक मंडल में अंकिता सोनी, आयुष श्रीवास्तव, वशिष्ठ विश्वकर्मा ममता सुरादा स्वाती मानकर, भारती यादव ने अपनी भूमिका निभाई।
कार्यक्रम में विभिन्न प्रतिभागियों और आयोजकों का सहयोग सराहनीय रहा । प्रमुख सहयोगियों में सुषमा श्री, ललित जैन, पुलक महतो, डॉ. तनिष्क जैन, श्रेयस सिंघई, स्नेहा सोनी, सुमन महतो, के. तृष्णा, कुहू सुल्लेरे, सीमा भाटिया, जी.जयंतिक राव, नंदिनी कुमारी, गरिमा सिंह, नंदिका नायर पी., गुंजन महतो शामिल हैं ।
कौशिकी 2024″ ने न केवल बच्चों को अपनी कला और प्रतिभा दिखाने का अवसर दिया बल्कि दर्शकों को भी भारतीय नृत्य कला, गायन, चित्रकला की समृद्ध परंपरा से रूबरू कराया ।