छत्तीसगढ़ में दो सरकारी एजेंसियों ने विगत दिनों दो हजार मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन संबंधी समझौता किया है। स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी और एनटीपीसी की सहायक एजेंसी राष्ट्रीय हरित ऊर्जा उत्पादन लिमिटेड प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पदान दायित्वों के तहत यह कार्य करने जा रही हैं। असल में यह अगले तीन – चार दशकों में ऊर्जा जरूरतों को पर्यावरण अनुकूल रहते हुए पूरा करने की दिशा में छ्त्तीसगढ़ सरकार की पहल है। आज जबकि भारत सरकार ने विकसित भारत का सपना संजोया है उसमें ईंधन के लिए विदेशों पर निर्भरता कम करने के साथ ही पेट्रोलियम उत्पादों के आयात को क्रमबद्ध कम करते जाने का है। ऐसे में विद्युत ऊर्जा पहली आवश्यकता है।
राष्ट्रीय ऊर्जा योजना से बदलेगी सूरत
20 वें विद्युत ऊर्जा सर्वे में आंकलन है कि अगले तीन दशकों की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए 21 सौ गीगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता विकसित करने की जरूरत होगी। भारत सरकार लक्ष्य 2047 के क्रम में अगले एक दशक में ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक बदलाव करने जा रही है। उत्पादन, पारेषण और वितरण के साथ ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में सारे बदलाव परिलक्षित होने लगेंगे। सरल शब्दों में इसे ऐसे समझे कि आज कि विद्युत अधोसंरचना अगले दो दशकों में तीन गुणा से अधिक होगी जिससे देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसे समयबद्ध पूरा करने के लिए राष्ट्रीय ऊर्जा योजना लागू की गई है।
टिकाऊ विद्युत स्त्रोत, हरित ऊर्जा पर जोर
राष्ट्रीय ऊर्जा योजना उत्पादन और पारेषण प्रणाली को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम है। आज भारत की अधिकतम विद्युत मांग जहाँ ढाई लाख मेगावॉट है वहीं अगले एक दशक के अंदर यह साढ़े चार लाख मेगावॉट हो जाएगी जो 2047 में लगभग आठ लाख मेगावॉट (800 गीगावॉट) होने का अनुमान है। ऊर्जा की बढ़ती मांग की पूर्ति परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से संभव नहीं है , ऐसे में अगले दस वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 600 गीगावॉट करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। गैर- जीवाश्म ईंधन के तौर पर सौर ऊर्जा,पन बिजली, पवन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों पर जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त बैटरी ऊर्जा स्टोरेज, स्वदेश में विकसित सतही हाइड्रो काइनेटिक टरबाइन प्रौद्योगिकी को भी मान्यता दी गई है। इसके साथ ही इन ऊर्जा स्रोतों में भी नए प्रयोग किए जा रहे हैं जो अंततः विद्युत मांग की पूर्ति पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना कर सके।
पम्प स्टोरेज आधारित पनबिजली
सरकार इस बात से सजग है कि आने वाले एक दशक के अंदर हमारी अधिकतम मांग 15 हजार मेगावॉट तक होने का अनुमान है। इन स्थितियों में नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों का विकास ही अधिक कारगर है। इसके लिए छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी, अक्षय ऊर्जा अभिकरण समेत केन्द्र शासन और निजी क्षेत्र आगे आ रहे हैं। राज्य ने अगले एक दशक के अंदर कुल उत्पादन क्षमता का 45 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। सौर ऊर्जा के साथ पंप स्टोरेज पन बिजली नई संभावना लेकर आया है। पूरे प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा से कुल 14,151 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाना है । प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना समेत अन्य रूफ टॉप योजना से 2415 मे.वॉ के साथ ही सबसे अधिक 7300 मेगावॉट पंप स्टोरेज परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन किया जाना है। अनुमान के मुताबिक देश में पंप स्टोरेज तकनीक के जरिए 134 गीगावॉट विद्युत उत्पादन की क्षमता है, इसमें से पहले चरण में 2030 तक 39 गीगावॉट उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में केन्द्र और राज्य सरकारें इसे जमीनी तौर पर कारगर बनाने में बड़ा प्रोत्साहन भी दे रहीं हैं।
ऊर्जा दबाव थामने मजबूत पारेषण प्रणाली
पारेषण प्रणाली की मजबूती के बगैर विद्युत मांग की आपूर्ति का दबाव नहीं थामा जा सकता है। इसे भलिभांति समझते हुए राष्ट्रीय ऊर्जा योजना ( पारेषण) में व्यापक योजना पर काम शुरू किया गया है। देश की पारेषण लाइनों को आने वाले दस वर्षों में 600 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के पारेषण के लिए तैयार रहना होगा। अगले एक दशक में 01 लाख 90 हजार सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाईन के साथ 01 हजार 270 जीव्हीए परिवर्तनीय क्षमता नियोजना स्थापित करने की दिशा में काम शुरू भी कर दिया गया है। इससे ग्रीड परिवर्तनीय अक्षय ऊर्जा को एकीकृत करते हुए उन्नत भंडारण प्रक्रियाओं की आवश्यकता को पूरा किया जा सके।
राष्ट्रीय ऊर्जा योजना में 2032 तक पूरे देश में पारेषण लाइन का विस्तार कर उसे 6.48 लाख सर्किट किलोमीटर किया जाना है । प्रदेश में आज 14 हजार किलोमीटर के करीब अतिऊच्चदाब लाईने हैं जिसकी क्षमता 25 हजार 617 एमव्हीए है। छ्त्तीसगढ़ में 1700 मेगावॉट अंतर राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम नेटवर्क के विकास की स्वीकृति केन्द्र से प्राप्त हुई है जिससे हमारे ताप विद्युत की निकासी को सुगम बनाया जाएगा। 400 केव्ही के 09, 220 केव्ही के 26 तथा 132 केव्ही के 48 नए उपकेन्द्र अगले दस वर्षों में बनाया जाना है। इससे केन्द्रीय ग्रिड से विद्युत हस्तांतरण की क्षमता 3536 एमव्हीए से बढ़कर 6 हजार एमव्हीए हो जाएगी।
विकसित होगा सुरक्षित ऊर्जा तंत्र
विद्युत के उत्पादन , पारेषण तथा वितरण के साथ ऊर्जा सुरक्षा पर भी बहुत अधिक जोर दिया जा रहा है। देश में विद्युत क्षेत्र में साइबर सुरक्षा के लिए कंज्यूमर सिक्यूरिटी इन्सीडेंट रिस्पांस टीम ( सीएसआईआरटी) का गठन किया जा रहा है। यह आधुनिक साइबर सुरक्षा उपकरण और प्रमुख संसाधनों से सुसज्जित है। छत्तीसगढ़ पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने सायबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीयकृत सुरक्षा संचालन केन्द्र (सी –एसओसी ) की स्थापना भी कर दी है। यह केन्द्र, प्रदेश ही नहीं देश के पॉवर सेक्टर का पहला ऐसा सायबर सुरक्षा केन्द्र है।
बिजली एक वस्तु नहीं बल्कि विकास , प्रगति और एक स्थायी भविष्य के लिए उत्प्रेरक है। आज ऊर्जा के ऐसे विकल्प पर पूरा विश्व कार्य कर रहा है जिसमें वहनीयता ( सस्टेनेबलिटी),विश्वसनीयता के साथ पर्याप्तता और स्थिरता हो। भविष्य के लिए ऊर्जा और ऊर्जा में अपने भविष्य को देखते हुए छत्तीसगढ़ हर उपायों और नवाचारों को अपनाने में अग्रणी है।