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जिसके भीतर हृदय होता है चेतना होती है वह दूसरों को कष्ट देकर उन्नति नहीं चाहता विनोद जैन आचार्य

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रामगंजमंडी (विश्व परिवार)। विगत 17 मई से रामगंजमंडी नगर में ज्ञान की गंगा बह रही है। 17 मई से 26 मई तक धार्मिक अध्ययन शिविर चल रहा है। सुबह की बेला में श्री जी का अभिषेक शांतिधारा होती है जिसमें युवाओं का उत्साह देखते बनता है बच्चों को भी धार्मिक अध्ययन करने में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। सुबह की बेला में बच्चों को बालबोध 1 एवम 2 का अध्ययन कराया जा रहा है। शिविर का निर्देशन कर रहे हैं श्री प्रशांत जैन आचार्य आकाश जैन आचार्य ने बताया कि बच्चों को एवं समाज को धर्म से जोड़े रखने एवं धर्म का ज्ञान हो इस हेतु यह शिविर प्रतिवर्ष लगाया जाता है इसके साथ ही संध्या बेला में बच्चों को शिक्षाप्रद खेल प्रतियोगिताएं एवं क्राफ्ट सिखाया जाता है। उन्होंने बताया कि मंगलवार को छोटे बच्चों की रनिंग रिले प्रतियोगिता करवाई गई जिसमें स्तवन भजन की धुनों पर बच्चों ने भक्ति भी की।
मंगलवार की बेला में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की अमूर्त जीवंत कृति मूक माटी महाकाव्य पर अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि माटी दूसरों को पीड़ा देकर यात्रा नहीं करनी चाहती ।
विनोद भैया जी ने कहा कि विषय कषाय में लिपटा हुआ व्यक्ति पर की चिंता नहीं करता और पर की चिंता पर दुखी नहीं होता । जिसके भीतर हृदय होता है चेतना होती है उसे दूसरों को कष्ट देने में पीड़ा होती है वह नहीं चाहता मेरी उन्नति किसी की अवनति के माध्यम से हो ।
व्यवहारिक दृष्टिकोण बताते हुए भैया जी ने कहा कि सज्जन पुरुष अधिकार का प्रयोग पहले बातों से करता है बाद में हाथों से करता है ।

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