रायपुर (विश्व परिवार)। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ” इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन बायोमेडिकल इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईसीबेस्ट) 2025″ का उद्घाटन 10 अप्रैल 2025 को हुआ। यह दो दिवसीय सम्मेलन 10 और 11 अप्रैल को आयोजित किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि, एनआईटी रायपुर के निदेशक, डॉ. एन. वी. रमना राव थे, और, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष डॉ. अरिंदम बिट विशेष अतिथि रहे | इस दौरान कॉन्फ्रेंस चेयरमैन डॉ. बिकेश कुमार सिंह भी मौजूद रहे । मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। डॉ निशांत सिंह , डॉ नीलम शोभा निराला, डॉ सौरभ गुप्ता और डॉ आर मारीश्वरन इस कॉन्फ्रेंस के समन्वयक है |
डॉ. बिट ने अपने संबोधन में सभी गणमान्य अतिथियों, सहभागियों और प्रायोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की महत्ता को सामने लाना है और यह सम्मेलन इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
सम्मेलन के आयोजन और इसके इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बायोमेडिकल विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ. एम. मारीश्वरन ने बताया कि आईसीबेस्ट वर्षों से निरंतर विकसित हो रहा है और आज यह स्वास्थ्य क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस वर्ष सम्मेलन में कुल सात तकनीकी सत्र होंगे और प्रत्येक सत्र से एक श्रेष्ठ शोध पत्र को “सर्वश्रेष्ठ पेपर” के रूप में सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मूल्यांकन की प्रक्रिया बेहद पारदर्शी रखी गई है। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा आईसीबेस्ट का सोवेनियर पत्रिका का विमोचन भी किया गया।
अपने उद्घाटन भाषण में प्रोफेसर एन. वी. रमना राव ने बायोमेडिकल विभाग की सराहना करते हुए सभी फैकल्टी सदस्यों और विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बायोमेडिकल विषय आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि इसमें जटिल जैव चिकित्सा प्रणालियों की गहन समझ विकसित की जाती है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में अब मॉलिक्यूलर डायनामिक्स, सिस्टम बायोलॉजी, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए आयाम जुड़ चुके हैं। साथ ही उन्होंने बायोमेडिकल इमेजिंग की उपयोगिता का उल्लेख किया, जो रेडियोनॉमिक्स, डिज़ीज़ मॉडलिंग में सहायता प्रदान कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने बायोमेडिकल से जुड़ी नयी तकनीकों का वर्णन किया जैसे कि फार्मास्युटिक्स, फार्माकोडायनामिक्स, फार्माकोकाइनेटिक्स। साथ ही उन्होंने हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग और क्लाउड बेस्ड कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रो का भी महत्व को भी उजागर किया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. बिकेश कुमार सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों, निदेशक, डीन, कीनोट वक्ताओं, सेक्रेट्रीज, विद्यार्थियों और प्रायोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इसके बाद आयोजित ऑनलाइन वक्ता सत्र में प्रोफेसर मोहम्मद यासिन सिखंदर, मजमाह युनिवर्सिटी सऊदी अरब की प्रस्तुति का विषय “मॉडर्न पैराडाइम्स इन बायोसिग्नल प्रोसेसिंग एंड एनालिसिस” रहा । उन्होंने “एऑर्टिक स्टेनोसिस” के प्रभाव को “पेरिफेरल पल्स पैरामीटर्स” के माध्यम से समझाने के लिए एक कम्प्यूटेशनल मॉडल प्रस्तुत किया। उनके अनुसार प्रस्तावित मॉडल एक “लम्प्ड पैरामेट्रिक इलेक्ट्रिकल इक्विवेलेंट” है जिसमें हृदय कक्षों को “टाइम-वेरिइंग इलास्टेन्स” के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जो सम्पूर्ण मॉडल का स्रोत है। इस मॉडल में इलास्टेन्स के परिवर्तन को एक निश्चित आवृत्ति पर दर्शाया गया है।
उन्होंने बायोमेडिकल विभाग के प्रयासों की सराहना की और भविष्य में भी इसी प्रकार के आयोजन होते रहने की आशा जताई।