Home हैदराबाद पद मिले और वैसी योग्यता न रहे, तो धृतराष्ट्र बनते हैं..

पद मिले और वैसी योग्यता न रहे, तो धृतराष्ट्र बनते हैं..

34
0

हैदराबाद(विश्व परिवार)। और योग्यता हो और पद न मिले, तो कर्ण बनते हैं..!
सव्वथ्य सुन्दरो अप्पा
सभी जीवों के अन्दर भगवान बनने की योग्यता है, क्षमता है,, पर दर दर की ठोकरे खा रहा है – भगवान बनने की योग्यता रखने वाला इन्सान।
तुम बीज हो – वृक्ष बन सकते हो।
बूंद हो – सागर बन सकते हो।
मिट्टी हो – गागर बन सकते हो।
भारत की हर जमीन के नीचे मीठे पानी के श्रोत बह रहे हैं,, बस खोदने की देरी है। हाँ यह सच है कि कहीं 10 फिट पर, तो कहीं 25 फिट पर, तो कहीं 50-100 फिट पर, तो कहीं 500-1000 फिट पर पानी भरा है,, बस धैर्य पूर्वक खोदने की आवश्यकता है। भगवान खोजने से नहीं, बल्कि भीतर खोदने से मिलता है। इसलिए भीतर खोदो – 24 घन्टे में थोड़ा समय निकालो, भीतर खोदने के लिए।
शुरू शुरू में थोड़ी परेशानी हो – तो होने देना,, उदासी लगे – तो लगने देना,, उबासी आये – तो आने देना। लेकिन एक घड़ी 24 घन्टे में चुपचाप बैठ जाना। ना कुछ करो, ना कुछ गुनो, ना कुछ बोलो, ना कुछ सुनो, ना कुछ कहना, ना कुछ मांगना, ना मन्त्र पढ़ना, ना कोई जाप करना, ना कोई प्रार्थना, ना चिन्तन, ना चिन्ता, ना कोई विचार। यह सब निरपेक्ष भाव से देखते रहना, जानते रहना, बिना किसी लगाव के सिर्फ देखते, जानते रहना। जैसे – तेल की बूंद अथाह पानी में तैरती है,, पर सबसे निर्लिप्त है। ना अच्छा, ना बुरा विचार,, यदि विचार आये तो गुजरते रहने देना। आये तो आये, ना आए तो ना आए। ना उत्सुकता आने की, ना जाने का गम। तब आप देखना — धीरे धीरे एक दिन वह घड़ी आएगी, कि विचार विदा हो गये और एकाकीपन, यानि भीतर का सन्नाटा रह गया। भीतर जब एकाकीपन का सन्नाटा आता है, तो बिजली का धक्का जैसा महसूस होता है और रोम-रोम पुलकित हो जाता है। क्योंकि तुम्हारा सम्बन्ध भीड़ भाड़ से अलग होने लगा है,, झटका तो भारी लगेगा। भीतर खोदने का इससे अच्छा ज़रिया, और क्या हो सकता है…!!!।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here