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तमिलनाडु में दिगंबर जैन मंदिरों की भव्यता एवं प्राचीनता पर रायपुर निवासी पवन जैन रारा की सचित्र विस्तृत रिपोर्ट

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रायपुर (विश्व परिवार)। मै पवन रारा कोषाध्यक्ष श्री सन्पतीनगर खांडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर रायपुर 26.12.2024 से 03.01.2025 तक तमिलनाडू के जैन मंदिरों की वंदना करने का सौभाग्य मिला है। राजस्थान के सीकर नगर से जय जिनेन्द्र ग्रुप 250 यात्रियों को लेकर यात्रा पर निकला था जिसमें मैं नागपुर से शामिल हुआ। अरिहंत गिरी का मंदिर बहुत विशाल और भव्य है, सब सुविधाएं है। पहाड़ भी है जिस पर पार्श्वनाथ जी के चरण है और एक पहाड़ की तलहटी में भगवान नेमीनाथ जी का बहुत प्राचीन मंदिर है जो कि ग्रेनाईट पत्थरों से बना हुआ है। करंडई जिन कोची मंदिर बहुत प्राचीन देखा। पुनुर्मलई क्षेत्र पर नीचे तीन मंदिर है। नदिश्वा द्वीप, सहस्त्रकुट जिनालय है। तपोवन भी है जहां सात मंदिर है। ठहरने की अच्छी व्यवस्था है। पहाड़ भी है कहा जाता है कि इसी पहाड़ पर तपस्या करके आचार्य कुंवकुद स्वामी ने आकाश गामिनी निद्या सिद्ध करके विदेह क्षेत्र जाकर सीमंचर स्वामी को देशना लेकर आये थे। यहां पर श्री विजय शाह के मागदर्शन में तानृपत्रों के ग्रंथों का बहुत बड़ा संग्रह है। मेलचितामूर का मंदिर अति प्राचीन एवं बहुत निशाल है। यहां चंद्रप्रभू भगवान की बहुत अतिशयकारी प्रतिमा है। तरूर मुंबई में भी पहाड़ पर जिस पार्श्वनाथ भगवान की पत्थर पर उकेरी गई अति आकर्षक प्रतिमा है जिसका अभिषेक एवं शांतिधारा देखने का सौभाग्य मिला। इसके अलाचा मनारगुड़ी दीपनगुड़ी, कुंभकोणम के मंदिरों के दर्शन एवं पूजन किये फिर वहां कुम्भेश्वर, मंदिर, सीतानवासल पंच पहाड़ी कोलूवलाई आदि तीथों के दर्शन किया। मदुरै में मिनाक्षी मोदर में विशाल मंदिर वहां एक हजार पिलर महामंडपम् है। पांडीनेरी में भी दो बड़े व आकर्षक मंदिर तथा एक चैत्यालय है। दक्षिण के सभी मंदिरों में तीन चीजे खास देखी 1. हर मंदिर के द्वार पर दीप स्थान, 2 एक धातु का ततंग ध्वजा दण्ड, 3 विशाल पत्थर का उतंग मान स्तंभ।
हर मंदिर में मूलनायक भगवान के शासन देवी का अलग से मंदिर है। मदुरे शहर के 20 किलोमीटर के दायरे में चारो तरफ 11 पहाड़ है। जहां जैन मंदिरों के अवशेष, मूर्तियां न विशाल प्रतिमाएं आज भी विराजमान है। जिसकी देखरेख की अति आवस्यकता है।
इन मंदिरों में आवागमन व आय बढ़ाने के लिए कुछ आवश्यक कार्य जरूरी है। जैसे कुछ कमरे हो जहां यात्री विश्राम कर सके। मंदिर का पहुंच मार्ग सही हो, गलियों में संकेत लगे हो, अभिषेक एवं पूजन के लिए उचित सुविधा उपलब्ध हो।

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