Home ललितपुर जैन धर्म में कर्मो की प्रधानता भावों में निर्मलता जरूरी- मुनि महासागर

जैन धर्म में कर्मो की प्रधानता भावों में निर्मलता जरूरी- मुनि महासागर

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  • पार्श्वनाथ जैन अटामंदिर में सिद्धों की आराधना,भक्तिपूर्वक हुए 128 अर्घ समर्पित

ललितपुर(विश्व परिवार) | संसार में पाप कोई एक करता है और उस पाप का फल हजारों लाखों लोग भोगते हैं। जैन धर्म को भावना प्रधान धर्म बताते हुए उन्होंने बताया कि धर्मात्मा वही है जो क्रिया के साथ साथ अपने भावों पर भी ध्यान दे। कहीं आप इन्द्रिय विषयों की प्राप्ति के लिए तो यह कार्य नहीं कर रहे हैं।धर्मात्मा तो वह है जो अन्तरंग श्रद्धा के साथ धार्मिक क्रियाओं में लगा हो। मुनि श्री महासागर महाराज ने कहा सिद्धों की आराधना जीवन में पुण्यकारी होती है। व्यक्ति धर्मस्थान में रहकर भी अन्तःकरण से पाप में लिप्त रहता है।क्रिया तो धार्मिक होती है पर मन उस क्रिया में नहीं लगता यानि व्यक्ति के मोक्षमार्ग को बाधित करती है। ऐसा व्यक्ति संसार के सारे लौकिक कार्य तो बड़े उत्साह से करता है पर जैसे ही धर्म कार्य का नम्बर आता है तो उसे प्रमाद घेर लेता है। नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अटामंदिर में आयोजित सिद्धचक्र महामंडल विधान में इन दिनों अपूर्व धर्मप्रभावना हो रही है। आज प्रातःकाल विधान के प्रारम्भ में प्रभु अभिषेक के उपरान्त शान्तिधारा मुनि श्री 108 अविचल सागर महाराज के मुखारविन्द से हुई जिसमें अजय जैन गंगचारी,प्रेमचंद्र विरधा, संतोष जैन एडवोकेट ने पुण्यार्जन किया। आज विधान में सिद्धों की आराधना कर 128 अर्घ प्रभु के सम्मुख विधान के प्रमुख पात्र सौधर्म इन्द्र नीलम,राकेश कामरा, कुवेर शालनी-राजेश जैन कैलगुंवा, महायज्ञनायक कलीबाई- शिखरचंद्र जैन झरावटा, श्रीपाल मैनासुन्दरी सुधा,राजेन्द्र जैन मिठ्या, सुमन-विमल कुमार जैन पीहर, समीक्षा,रजनीश जैन गदयाना, अंजना-रवीन्द्र बुखारिया, अर्चना-संतोष जैन एडवोकेट ने समर्पित किए। जैन समाज चंदेरी के मंत्री अविनाश सिंघई, अमित स्टील, राकेश जैन, मुकुल चौधरी, आशीष सर्राफ सहित महिला मण्डल ने सिद्धचक्र विधान में भक्तिपूर्वक द्रव्य अर्पित की। इस मौके पर जैन पंचायत अध्यक्ष डा० अक्षय टडैया, शीलचंद्र अनौरा, ज्ञानचंद इमलिया, विनोद कामरा, भगवानदास कैलगुवा,अखिलेश गदयाना, धन्यकुमार जैन एड, महेन्द्र मयूर, अनूप जैन कैरू, श्रेयांस जैन गदयाना, आनंद जैन भागनगर, डा० संजीव कडंकी मौजूद रहे। विधान की व्यवस्थाओं को संयोजित करने में विधान प्रभारी सतीश जैन नजा, प्रबंधक मनोज जैन बबीना का विशेष सहयोग मिल रहा है।

दया धर्म ही जीवन का मूल- मुनि अविचल सागर

नगर के अभिनंदनोदय तीर्थ में मुनि श्री अविचल सागर महाराज ने धर्मसभा में दया धर्म को जीवन का मूल बताया और कहा इसके माध्यम से जीवन में शान्ति मिलती है।जैन धर्म के मर्म को बताते हुए मुनि श्री ने संस्कारों को अपने जीवन में उतारने के लिए श्रावकों को प्रेरित किया। धर्मसभा का शुभारम्भ श्रेष्ठीजनों ने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के चित्र के सन्मुख दीप प्रज्जवलन कर किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से मंदिर प्रबंधक अशोक जैन दैलवारा, प्रतीक इमलिया, सनत जैन खजुरिया,राजेन्द्र जैन थनवारा, मीडिया प्रभारी अक्षय अलया,नरेन्द्र जैन चूना,आनंद जैन अमित गारमेंट, संजय जौली, संजय जैन ककडारी, राजीव चौधरी,नरेन्द्र जैन राजश्री, सुरेन्द्र जैन उल्ली आदि मौजूद रहे। महामंत्री आकाश जैन ने धर्मसभा का संचालन करते हुए बताया मुनि श्री अभिनंदनोदय तीर्थ में विराजमान हैं।जहां प्रातःकाल नित्य प्रभु अभिषेक शान्तिधारा एवं मांगलिक प्रवचन मुनि श्री के सानिध्य में होगे।

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