नीमच (विश्व परिवार)। आचार्य शिरोमणि श्री वर्धमान सागर जी नीमच मध्यप्रदेश में 36 साधुओं सहित विराजित है आचार्य श्रीवर्धमान सागर जी ,मुनि श्री प्रभव सागर जी,मुनि श्री प्रबुद्ध सागर ,आर्यिका श्री निर्मोहमति एवं क्षुल्लक श्री विशाल सागरने समस्त संघ और भक्तों की उपस्तिथि में केश लोचन किए ।केश लोचन के बारे में मुनि श्री हितेंद्र सागर जी ने बताया कि प्रत्येक दिगंबर साधु को 2 माह से 4 माह की अवधि के भीतर के केशलोचन करना अनिवार्य है केशलोच दिगंबर साधु का मूल गुण है । केश लोचन के माध्यम से शरीर से राग और मोह दूर होता है केश लोचन की प्रक्रिया में मुनि श्री हितेंद्र सागर जी ने बताया कि केश्लोचन करते समय केवल राख का उपयोग किया जाता है मुनि श्री ने बताया कि जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है बालों का लोचन अगर नहीं किए जाएं तो उसमें छोटे-छोटे जीवो की उत्पत्ति होने की संभावना होती है जैन साधु अहिंसा धर्म के महाव्रती होते हैं। बाल हाथों से इसलिए उखाड़े जाते हैं कि बालों को कटिंग करने के लिए सेविंग कराने के लिए अन्य द्रव्य की आवश्यकता होती है जैन साधु अपरिग्रही होते हैं। इसलिए जैन साधु अपने हाथ से केशलोचन करते हैं बाल सौंदर्य का प्रतीक हैं इससे राग और आकर्षण होता है। केश लोच से शरीर से ममत्व दूर होता है केश लोचन के समय तप,संयम, धैर्य के साथ धर्म की प्रभावना होती है जिस दिन जैन साधु केशलोच करते हैं उस दिन उपवास करते हैं ।केश लोचन देखकर अनुमोदना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है कर्मों की निर्जरा होती है। इस अवसर पर संघ के साधुओं ने धार्मिक स्रोत का उच्चारण किया।अनेक महिलाओ ने वैराग्य पूर्ण भजन गा कर केशलोचन की तपस्या की अनुमोदना की।