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सर्वतोभद्र विधान में तीन लोक के 170 कर्म भूमि में 8 करोड़ से अधिक जिनालयों की पूजन की जाती है – आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

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पारसोला(विश्व परिवार)। धरियावद के पारसोला में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सहित विराजित है। विगत दिनों वर्षायोग का निष्ठापन कार्तिकवदी अमावस्या को हो गया है। इसके पश्चात सभी स्थानों पर दिगंबर साधुओं का मंगल विहार प्रारंभ हो जाता है नगर से साधुओं का बिहार नहीं हो इस भावना को लेकर पारसोला दिगंबर समाज ने 13 नवंबर से 25 नवंबर तक वात्सल्यवारिघि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सानिध्य में सर्वतोभद्र विधान के पूजन का मानस बनाया । पंचमपट्टाघीश श्री वर्धमानसागर जी अनुसार सर्वतोभद्र विधान से सब तरफ कल्याण हो इस भावना से तीन लोक की 170 कर्म भूमि में विराजित 8 करोड़ से अधिक जिनालयों में विराजित समस्त भगवान की पूजन की जाती है। महापुरुषों की उपासना से सभी प्रकार से सभी का कल्याण हो विधान से सभी पूजनकर्ताओं को सभी प्रकार का सुख और संपत्ति प्राप्त होती है। जैन धर्म अनुसार चार प्रकार की पूजन बताई गई है नित्यमह पूजन, सर्वतोभद्र पूजन ,कल्पदुम पूजन और अष्टानिका पूजन।इस संसार में ऊर्घ्य लोक,मध्य लोक और अधो लोक की मान्यता है‌ इनमें 170 कर्मभूमि में 8 करोड़ 56 लाख 97 हजार 481 जिनालयों की पूजन की जाती है। जिसमें 2000 से अधिक अर्घ्य समर्पित किए जाते हैं। जयंतीलाल कोठारी अध्यक्ष जैन समाज तथा ऋषभ कचोरी अध्यक्ष वर्षायोग समिति पंडित कीर्तिय अनुसार विधान हेतु पात्रो का चयन किया जा रहा है इस विधान हेतु 4000 श्रीफल की स्वीकृति श्रीमती तारा सेठी कोलकाता और 1000 किलो चावल सामग्री की स्वीकृति श्रीमती आरती सनत कुमार जैन इंदौर द्वारा दी गई है स्थानीय समाज जन द्वारा भी पूजन में लगने वाली सामग्री केशर, नारियल गोला, बादाम, लोंग ,सुखे मेंवे फल अनेक सामग्री की स्वीकृति दी गई है।

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