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बिजली की बढ़ती मांग और उपभोक्ताओं का दायित्व

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(विश्व परिवार)। गर्मी की तपीश के साथ ही बिजली की खपत का मीटर तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस बीच विद्युत खपत का आँकड़ा रिकार्ड स्तर पर जा पहुँचा है। प्रदेश ने बीते 22 अप्रैल को विदयुत की अधिकतम मांग के रिकार्ड को तोड़ते हुए 7006 मेगावॉट दर्ज किया है। यह बीते वर्षों में हो रही वृद्धि दर से भी ज्यादा है। मई 2024 में अधिकतम मांग 6368 मेगावॉट थी जो इस साल 22 अप्रैल की तुलना में 638 मेवॉ कम थी। यानी बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष 10 प्रतिशत मांग बढ़ गई है । इस समय जब प्रदेश में विद्युत की मांग में अचानक इजाफा हुआ है यह जानना दिलचस्प है कि देश में बिजली की औसत मांग लगभग 8 प्रतिशत बढ़ी है। अनुमान है कि इस वर्ष देश की अधिकतम मांग 270 गीगावॉट ( 2 लाख 70 हजार मेगावॉट) होगी।
बढ़ती मांग की पूर्ति करने तैयार छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ ने बीते दो दशक से अपने आप को पॉवर हब और जीरो पॉवर कट राज्य के रूप में स्थापित किया है। यह सम्मान के साथ ही जिम्मेदारी का भान कराता है। राज्य की विद्युत कंपनी ने प्रदेश में बढ़ती विद्युत की मांग का पहले ही आँकलन कर लिया था। ऐसे में निर्बाध विद्युत आपूर्ति बहाल रखने में विद्युत कंपनी को समस्या नहीं हुई। यह अलग बात है कि प्रदेश की विदयुत उत्पादन कंपनी की कुल उत्पादन क्षमता 2980 मेगावॉट है,(ताप एवं पन बिजली शामिल) तथा केंद्रीय संस्थानों से मिलने वाले केन्द्रांश के तौर पर वर्तमान में 3380 मेवॉ बिजली उपलब्ध हो रही है। साथ ही राज्यों को बैंकिंग के जरिए उपलब्ध कराई गई बिजली से हमें बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त अधिकतम मांग समय ( सामान्य रूप से शाम 6 बजे से रात्रि 12 बजे तक ) पर उत्पादकों से बाजार दर पर खरीदी की जाती है। इसके लिए डे अहेड मार्केट की तर्ज पर हाई प्राइज डे अहेड दर पर बिजली खरीदकर आम उपभोक्ताओं को निर्बाध और बिना अधिक शुल्क के बिजली उपलब्ध कराई जा रही है।
बढ़ती मांग और भविष्य की तैयारी
राज्य पॉवर विद्युत उत्पादन कंपनी समेत केन्द्रीय उत्पादन इकाइयाँ और निजी क्षेत्र की इकाइयाँ भी बढ़ती मांग को देखते हुए अपनी उत्पादन इकाइयों को पूरी क्षमता पर चला रही हैं। अधिकतम मांग का यह क्रम आगे लगातार बढ़ेगा ही। राज्य सरकार इस बात को लेकर सजग भी है। अनुमान के मुताबिक अगले दस वर्षों में हमारी अधिकतम मांग 15 हजार मेगावॉट होगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार , केन्द्रीय एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ अगले 10 वर्षों में विदयुत उत्पादन क्षमता को 31 हजार मेगावॉट से 61 हजार मेवॉ करने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। इस हेतु तीन लाख करोड़ रूपए के निवेश के लिए समझौता मसौदे पर हस्ताक्षर भी किए जा चुके हैं। इस नए लक्ष्य में नवीकरणीय ऊर्जा की भागीदारी सबसे प्रमुख होगी। राज्य सरकार ने वर्तमान 15 प्रतिशत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 45 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य निर्धारित भी किया है।
ढाई दशक में पाँच गुणा बढ़ी अधिकतम मांग
छत्तीसगढ़ में कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र के विस्तार के लिए यदि निवेशक यहाँ आए तो उसमें बिजली की उपलब्धता एक बड़ा कारण रही है। वर्ष 2001 में विद्युत की अधिकतम मांग 1450 मेगावॉट थी जो लगातार बढ़ती ही जा रही है। वर्ष 2007-08 में यह 2405 मेवॉ थी, यह क्रम बढ़ता रहा और अगले दस वर्षो बाद अप्रैल 2018 में 3800 मेवॉ पहुंच गई जो वर्ष 2019 में 4500, वर्ष 2021 में 4760 मेवॉ तक जा पहुँची यह बढ़कर वर्ष 2022 में 5472 मेवॉ को छू गया। बीते वर्ष ही प्रदेश में विद्युत की अधिकतम मांग 6368 मेवॉ थी और आज यह 7006 मेवॉ तक जा पहुंची है। यानि राज्य निर्माण के बाद प्रदेश में जिस गति से विकास हुआ है और साथ ही आमजन के जीवन स्तर में सुधार आया है इसका असर विद्युत की मांग से समझा जा सकता है।
राष्ट्रीय औसत से अधिक है प्रति व्यक्ति खपत
छत्तीसगढ़ की विद्युत खपत यह दर्शाता है कि किस तेजी से बिजली रोशनी और पंखे से आगे जीवन के हर क्षेत्र में शामिल है। प्रदेश की प्रतिव्यक्ति खपत में लगातार वृद्धि हुई है। आज प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष खपत का राष्ट्रीय औसत 1331 यूनिट ( अक्टूबर 2024 तक) है वहीं राज्य में यह लगभग 2250 यूनिट है। गोवा, पंजाब, गुजरात और उड़ीसा के बाद छत्तीसगढ़ देश का पाँचवा सबसे अधिक प्रति व्यक्ति विद्युत खपत वाला राज्य है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति विद्युत खपत का आँकड़ा बड़ी तेजी से बढ़ा है और बीते 25 वर्षों में ही साढ़े सात गुणा की वृद्धि दर्ज हुई है। राज्य गठन के दौरान राज्य में प्रति व्यक्ति विद्युत खपत 354 यूनिट थी जो आज 2250 यूनिट तक पहुँच चुकी है। यह हमारे लिए कितना गौरव का अहसास कराने वाला है कि स्वतंत्रता के दौर में देश की प्रति व्यक्ति विद्युत खपत सिर्फ 16.5 यूनिट थी जो आज बढ़कर 2250 यूनिट तक पहुंच गई है। यह विकास के आंकलन का प्राथमिक मापदण्ड भी है।
उपभोक्ता भी निभाए जिम्मेदारी
निर्बाध बिजली की आपूर्ति करना जहाँ पॉवर कंपनी का दायित्व है वहीं आम उपभोक्ता की भूमिका भी सजग प्रहरी की होती है। यह सर्विदित तथ्य है कि विदयुत का उत्पादन बहुत ही दुष्कर कार्य होता है। जीवाश्म ईंधन की सीमाओं तथा उत्पादित विद्युत का बड़ी मात्रा में भंडारण की चुनौतियों को जानते हुए उपलब्ध विद्युत का समुचित और बेहतर उपयोग ही इसे सर्व सुलभ बनाए रख सकता है। कुछ छोटे –छोटे उपाए देश की बड़ी जरूरत को पूरा करने में सहायक हो सकते हैं। सामान्यतः देखने में आया है कि अधिकांश उपभोक्ता ए.सी. का टेम्प्रेचर 20 – 22 पर रखते हैं । यह बिजली की अधिक खपत के साथ ही शरीर को रोगग्रस्त भी बना सकती है।
विद्युत क्षेत्र के विषेषज्ञों का मानना है कि ए.सी. को अत्यंत कम तापमान में रखने पर कम्प्रेसर पर भार के साथ ही बिजली की खपत काफी बढ़ जाती है। उनका सुझाव है कि ए.सी. के तापमान को 26 से 28 डिग्री पर रखना बेहतर है। इसके अतिरिक्त आवश्यकता के अनुसार ही पंखों, बल्बो और अन्य बिजली से चलने वाले उपकरणों का उपयोग करें।
बने देश के सजग प्रहरी
विद्युत की खपत एक ओर जहाँ हमारे विकास का आधार और समृद्धि का पैमाना माना जाता है वहीं बढ़ती आबादी की विद्युत मांग की पूर्ति करना एक बड़ी चुनौती भी होती है। एक सजग उपभोक्ता के नाते सिर्फ दो प्रतिशत बिजली बचत का प्रयास करते हैं तो प्रदेश में पीक डिमांड लगभग 140 मेगावॉट कम होगी वहीं देश भर में 5000 मेगावॉट उत्पादन का भार कम होगा। आइए, बिजली बचत के बहुत थोड़े किंतु सार्थक प्रयास से देश और समाज के हित में अपना योगदान देकर देशभक्त और सजग नागरिक की भूमिका निभाने का प्रयास करें।

 

 

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