Home दिल्ली प्रेरणा जीवन में संग्रहालय नहीं, सफलता बने – भावलिंगी संत

प्रेरणा जीवन में संग्रहालय नहीं, सफलता बने – भावलिंगी संत

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  • खुशियाँ आकाश से नहीं बरसतीं, आत्म विश्वास से प्राप्त होती है- आविमर्शसागर जी

दिल्ली(विश्व परिवार) | श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर कृष्णानगर दिल्ली में ऐतिहासिक चातुर्मास का भव्य आगाज हो चुका है। चातुर्मास के लिये प्रथम बार दिल्ली में पधारे परम पूज्य भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज के विशाल चतुर्विध संघ के सानिध्य में प्रतिदिन धार्मिक आयोजनों की धूम मची हुई है। पूज्य भाचार्य भगवन के मांगलिक प्रवचन सुनने पूरे दिल्ली NCR- से भारी संख्या में श्रध्दालु गण कृष्णानगर जैन मंदिर पहुंच रहे हैं। आचार्य भगवन ने धर्म सभा को संबोधित करते हुये कहा कि हैं। जिंदगी में खुशियाँ आकाश से नहीं वरसती आत्मविश्वास से जितना जितना आत्म विश्वास बढ़ता जाता है उतनी उतनी जीवन में खुशियों की बहार आने लगती है। दुनिया में जितने भी महापुरुष सफलतामों के शिखर पर पहुंचे हैं वे आत्म विश्वारत के बल पर ही पहुंचे हैं। यूँ तो हमारे जीवन प्रेरणा स्त्रोत तीर्थकर आचार्य भगवंत, साधु भगवंत आदि अनेकों महापुरुष होते हैं लेकिन हमारा’ आत्म विश्वास न हो तो उन महापुरुषों की सभी प्रेरणायें मात्र संग्रहालय का काम करेंगी। जब प्रेरणा के साथ कार्य को करने वमा आत्म विश्वास जागता है तो वही आत्मविश्वारत हमारे जीवन में सफलतामों का प्रकाश भर देता है। हमारे अंदर आत्म विश्वास तो है, किन्तु उसे जगाने बाला कोई प्रेरणा पुरुष, कोई सद्गुरु जीवन में अवश्य चाहिये। जीवन में अगर सद्‌गुरु मिल जायें तो समझना चाहिये कि हमें तीनों लोकों का सर्वश्रेष्ठ- उपहार मिल गया है।
आचार्य श्री ने कहा कि जैन कुल में आत्मशुद्धि के साथ साथ जीवमान के कल्फण की भावना रखी जाती है। सभी का जीवन पुण्य और पाप से संचालित होता है। जीवन में सुख-दुख, दिन और रात की तरह परिणमन शील हैं। जैसे रात के बाद दिन और दिन के बाद रात का भाना तय है उसी तरह दुख के बाद द सुख सुख और और सुख बने बाद दुख का आना तय है वो अलग बात है कि जीव अपने पुरुषार्थ से दुख का अंत ही करद। जैनों के घरों में जैन कुल की पहियान, पानी छानने का छन्ना अवश्य होना चाहिये । हमारे अहिंसा के भावी से वो इन्ना भी इतना पावर फुल ही जाता है कि घर से व्यतर आदि बाधायें भी दूर रहती है।

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