- मनायेगें आचार्य आदि सागर (अंकलीकर) महाराज का 110 वां आचार्य पदारोहण दिवस
जयपुर (विश्व परिवार)। जैन बन्धुओं द्वारा शनिवार, 31 मई ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को श्रुत आराधना महापर्व – श्रुत पंचमी समारोह मनाया जाएगा।
इस मौके पर शहर के दिगम्बर जैन मंदिरों में विशेष आयोजन किये जाएंगे।
राजस्थान जैन सभा जयपुर उपाध्यक्ष विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी शुभ तिथि को इस युग के अंतिम तीर्थंकर व वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर स्वामी के मोक्षगमन के उपरांत उनकी दिव्यध्वनि से प्राप्त वाणी का लेखनकार्य श्री षटखंडागम ग्रंथ के रूप में पुष्पदंत व भूतबलि महराज के द्वारा सम्पन्न हुआ था। तीर्थंकर प्रभु की दिव्य ध्वनि से प्राप्त वाणी, जो समस्त जीवों के कल्याण की आधार है, उस वाणी के लेखन कार्य के क्रम में प्रथम ग्रंथ के लेखन की पूर्णता ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी इसी तिथि को हुई थी। तभी से सभी श्रावकों ने इस तिथि को विशेष पर्व को मनाना प्रारम्भ किया
राजस्थान जैन जयपुर के उपाध्यक्ष विनोद जैन कोटखावदा के मुताबिक शनिवार, 31 मई को श्रुत पंचमी पर्व भक्ति भाव से मनाया जावेगा । इस मौके पर शहर के दिगम्बर जैन मंदिरों में जिनवाणी सजाओ प्रतियोगिता, जिनवाणी की पूजा सहित श्रुत स्कन्ध पूजा विधान किया जावेगा ।शहर में राजस्थान जैन साहित्य परिषद् जयपुर के तत्वावधान में शोभायात्रा निकाली जायेगी ।
कई मंदिरों में संगोष्ठियों के आयोजन किये जायेंगे।
श्री जैन के मुताबिक बीलवा के श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर नांग्ल्या में गणिनी आर्यिका नंगमति माताजी के सानिध्य में विशेष आयोजन किया जाएगा।
दुर्गापुरा के श्री दिगम्बर जैन मंदिर चन्द्र प्रभजी में मुनि जयकीर्ति महाराज के सानिध्य में श्रुत पंचमी महोत्सव मनाया जाएगा।
उपाध्याय उर्जयन्त सागर मुनिराज के सानिध्य में ख्वास जी का रास्ता स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सोनियान में विशेष आयोजन किए जाएंगे।
आचार्य आदिसागर (अंकलीकर) का 110 वां आचार्य पदारोहण दिवस
विनोद जैन कोटखावदा के मुताबिक झोटवाड़ा के पटेलनगर स्थित श्री 1008 चन्द्र प्रभ दिगम्बर जैन मंदिर में शनिवार 31 मई को श्रुत पंचमी के पावन अवसर पर भगवान महावीर स्वामी की अक्षुण्ण परम्परा में बीसवीं सदी के ज्येष्ठाचार्य दिगम्बर श्रमण परम्परा के उन्नायक आचार्य आदिसागर (अंकलीकर) महाराज का 110 वां आचार्य पदारोहण दिवस मनाया जाएगा।
श्री जैन के मुताबिक इस मौके पर प्रातः 5.30 बजे नित्य कलशाभिषेक, प्रातः 6.15 बजे आदिसागर गुरुदेव के कलशाभिषेक, प्रातः 7.15 बजे से पं. वैभव शास्त्री के निर्देशन में आदिसागर गुरुदेव की पूजा विधान किया जाएगा।
श्रुत आराधना महापर्व – श्रुत पंचमी है–
राजस्थान जैन सभा जयपुर के उपाध्यक्ष विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी शुभ तिथि को
श्रुत आराधना महापर्व – श्रुत पंचमी है।भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष गमन के बाद उनकी वाणी का पूर्वाचार्यों द्वारा लेखन कार्य हुआ अतः वर्तमान में भी भगवान की वाणी हम लोगों के बीच उपलब्ध है जिसको हम लोग निर्ग्रन्थ मुनिराजों के माध्यम से जानते हैं। पापों से निर्वृत्ति का मार्ग ही जीव के कल्याण का एक मात्र उपाय है, जिसे चारित्र अथवा आचरण कहते हैं। और हम लोग चारित्र का पालन तभी कर सकते हैं जब हमको जिनेन्द्र भगवान द्वारा बताएं मार्ग का ज्ञान हो और यह ज्ञान मात्र चारित्र धारी मुनिराजों द्वारा तथा शास्त्रों के अध्ययन से ही संभव है।
श्री जैन के मुताबिक श्रुत पंचमी पर्व के शुभ अवसर पर अत्यंत भक्ति-भाव से जिनवाणी माता की पूजन की जाती है। जिनालय में विराजमान शास्त्रों के रूप में जिनवाणी का रख रखाव(वैयावृत्ति) की जाती है। आर्यिका माताजी एवं ब्रह्मचारिणी बहनों को नए वस्त्र प्रदान किए जाते हैं।
सामान्यतः पूरे देश में श्रुत आराधना का यह पर्व अत्यंत भक्ति-भाव व प्रभावना पूर्वक मनाया जाता है। अनेक स्थानों में प्रभावना जुलूस भी निकाला जाता है।
वर्तमान में आपाधापी के युग में हम सभी तनाव मुक्ति हेतु अनेक प्रयत्न करते हैं लेकिन यथार्थ में जिनवाणी के अध्ययन से जीवन में जो प्रसन्नता आती है और आत्म विश्वास में जो वृद्धि होती है वह संसार में किसी अन्य माध्यम से संभव नहीं है अतः हम सभी को स्वाध्याय को अपने जीवन का अंग बनाना चाहिए।