नई दिल्ली(विश्व परिवार)। नरक चतुर्दशी को रूप चौदस या छोटी दिवाली के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में ये दीपोत्सव में शामिल अहम पर्व है जिसे दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को छोटी दिवाली के रूप में मनाते हैं। इसी कारण इसे नरक चतुर्दशी कहते हैं। इस बार छोटी दिवाली 30 अक्तूबर को मनाई जा रही है। हालांकि तिथि 31 अक्तूबर को भी लग रही है।
दीपावली का पर्व भगवान श्री राम से संबंधित है। चौदह वर्ष का वनवास समाप्त कर अयोध्या के राजा राम अपने नगर वापस लौटे थे। इसी खुशी में दीपोत्सव हुआ और तब से हर साल लोग दीपक जलाकर भगवान श्रीराम का स्वागत करते हैं। कहते हैं भगवान घर आते हैं तो धन-संपदा और सुबुद्धि घर आती है। इसी कारण दीपावली में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
लेकिन क्या आपको पता है कि एक दिन पहले यानी छोटी दिवाली का पर्व भगवान राम से नहीं बल्कि किसी दूसरे भगवान से जुड़ा है। इस दिन राम जी या गणेश लक्ष्मी का पूजन नहीं होता। आइए जानते हैं कि छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहते हैं और छोटी दिवाली के दिन किस भगवान की पूजा की जाती है।
छोटी दिवाली पर किस भगवान की पूजा होती है
नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और धन की देवी लक्ष्मी जी की भी पूजा की जाती है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नहाना चाहिए। मान्यता अनुसार रूप चौदस के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और लगभग 16,000 महिलाओं को कैद मुक्त किया था। इस दिन भगवान यमराज की पूजा की जाती है इसलिए इस दिन किसी भी जीव की हत्या नहीं करनी चाहिए।
नरक चतुर्दशी से जुड़ी कुछ बातें
नरक चतुर्दशी के दिन पूजा तो की ही जाती है, लेकिन इस दिन आपको और भी बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहेगी। चलिए जानते हैं कि हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
– रूप चौदस के दिन सूर्योदय होने से पहले नहाना चाहिए।
– रूप चौदस के दिन अपने माथे पर तिलक भी लगाना चाहिए।
– नरक चतुर्दशी को यमराज के नाम का दीपक जलाना चाहिए।
– छोटी दिवाली के दिन घर की दक्षिण दिशा को गंदा नहीं करना चाहिए।
– नरक चतुर्दशी के मौके पर घर की साफ सफाई का पूरा ध्यान देना चाहिए ।
– रूप चौदस के दिन सुबह स्नान करके भगवान कृष्ण जी की पूजा करनी चाहिए ।
– नरक चौदस को घर की महिलाएं चौमुखा दीपक बनाकर रात के समय तिल का तेल या सरसों का तेल डालकर चार बत्तियों वाला दीपक जलाती हैं।
– मान्यता है कि जो भी भक्त रूप चौदस को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके यमराज जी की पूजा करता है उसको स्वर्ग की प्राप्ति होती है वह नरक जाने से बच जाता है।
– रूप चौदस को उबटन लगाकर नहाने की भी परंपरा है।